दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, पूछा- बड़ों के लिए वर्क फ्रॉम होम तो बच्‍चे क्‍यों जा रहे स्‍कूल?
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दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, पूछा- बड़ों के लिए वर्क फ्रॉम होम तो बच्‍चे क्‍यों जा रहे स्‍कूल?

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को प्रदूषण की समस्या (Supreme Court on Air Pollution) को दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार से पूछा कि सरकार ने कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम लागू किया तो बच्चों को स्कूल जाने पर क्यों मजबूर किया जा रहा है?

दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, पूछा- बड़ों के लिए वर्क फ्रॉम होम तो बच्‍चे क्‍यों जा रहे स्‍कूल?

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की समस्या को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court on Air Pollution) गुरुवार को सुनवाई की और दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए सवाल किया कि प्रदूषण के बीच स्कूल (Delhi School) क्यों खोले गए. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि जब आपने अपने कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम (Work from Home) लागू किया है तो फिर बच्चों को स्कूल जाने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है.

  1. प्रदूषण पर दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार
  2. चीफ जस्टिस ने कहा कि 3-4 साल के बच्चे स्कूल जा रहे हैं
  3. सीजेआई ने पूछा कि प्रदूषण का स्तर क्यों बढ़ रहा है

3-4 साल के बच्चे जा रहे हैं स्कूल: सीजेआई

चीफ जस्टिस एनवी रमना (NV Ramana) की अध्यक्षता वाली पीठ ने आपत्ति जताई और दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से सवाल किया कि आप कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम करा रहे हैं और बच्चे स्कूल भेजे जा रहे हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि 3-4 साल के बच्चे स्कूल जा रहे हैं. उन्होंने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए सवाल किया कि आपने स्कूल नहीं बंद किए. अखबरों में आ रहा है कि छोटे बच्चे अभी भी स्कूल जा रहे हैं.

29 नवंबर को खोले गए थे स्कूल

बता दें दिल्ली सरकार ने 29 नवंबर से राज्य में स्कूलों को खोलने की घोषणा कर दी थी. इसके बाद से पिछले कुछ दिनों में दिल्ली की हवा बेहद खराब स्तर पर पहुंच गई है. दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण (Air Pollution) के स्तर के बीच स्कूल खोलने को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है.

सॉल‍िसीटर जनरल ने कोर्ट में दी सफाई

दिल्‍ली में प्रदूषण के हालात पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में केंद्र सरकार की ओर से सॉल‍िसीटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए, जिन्‍होंने अदालत को बताया कि अधिकारी इस दिशा में गंभीरतापूर्वक और तेजी से काम कर रहे हैं और उन उद्योगों को बंद किया जा रहा है, जो नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. हालांकि इस बीच कोर्ट ने तल्‍ख लहजे में कहा, हमें नहीं लगता प्रदूषण का स्‍तर बढ़ने के बावजूद कुछ भी किया जा रहा है.

प्रदूषण का स्तर क्यों बढ़ रहा है: सीजेआई

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि हमारे आदेशों के बावजूद प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जा रहा है. चीफ जस्टिस ने कहा कि कहा, अगर इतने सारे प्रयास चल रहे हैं और निर्देशों को लागू किया जा रहा है तो आपको क्या लगता है प्रदूषण का स्तर इस तरह और बढ़ जाएगा? हर आम आदमी सवाल पूछेगा कि अगर अदालत इतना कुछ कर रही है तो प्रदूषण का स्तर क्यों बढ़ रहा है? समस्या कहां है? जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'मैं भी पूछ रहा हूं कि स्रोत क्या है? SG क्या आपके अधिकारियों ने पहचान की है?' इस पर सॉलिसीटर जनरल ने कहा, 'मैंने अधिकारियों से बात की है. मुख्य स्रोत औद्योगिक प्रदूषण और वाहन प्रदूषण हैं.'

दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति

अधिकारियों ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ के कारण हवा की गति धीमी होने के चलते प्रदूषण तत्व जमा होंगे, जिससे आने वाले 1-2 दिन वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ सकता है. दिल्ली में बुधवार (1 दिसंबर) सुबह नौ बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 357 रहा, जबकि मंगलवार को 24 घंटे का औसत एक्यूआई 328 रहा था. पड़ोसी फरीदाबाद में एक्यूआई 342, गाजियाबाद में 361, ग्रेटर नोएडा में 310, गुड़गांव में 359 और नोएडा में 336 दर्ज किया गया.

कब कितनी खराब मानी जाती है हवा

बता दें कि वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) शून्य से 50 के बीच रहने पर हवा को अच्छा माना जाता है, जबकि 51 और 100 के बीच एक्यूआई 'संतोषजनक' श्रीणी में माना जाता है. वहीं एक्यूआई जब 101 और 200 के बीच रहता है प्रदूषण को 'मध्यम', जबकि 201 और 300 के बीच इसे खराब माना जाता है. 301 और 400 के बीच हवा को 'बेहद खराब' माना जाता है, जबकि 401 और 500 के बीच एक्यूआई को 'गंभीर' श्रेणी में माना जाता है.

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