सिंघु बॉर्डर पर रहस्यमयी हालत में लटका मिला किसान का शव, पुलिस ने बताई मृतक की पहचान
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सिंघु बॉर्डर पर रहस्यमयी हालत में लटका मिला किसान का शव, पुलिस ने बताई मृतक की पहचान

नए कृषि कानूनों (New Agriculture Laws) के विरोध में जारी किसानों के प्रदर्शन के बीच सोनीपत के कुंडली-सिंघु बॉर्डर पर बुधवार को एक किसान का शव फांसी के फंदे पर लटका हुआ पाया गया, जिसकी पहचान पंजाब के फतेहगढ़ साहिब के रहने वाले गुरप्रीत सिंह के रूप में हुई है.

किसानों का प्रदर्शन पिछले साल नवंबर से जारी है. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों (New Agriculture Laws) के खिलाफ चल रहे किसानों के प्रदर्शन के बीच सिंघु बॉर्डर पर एक किसान ने फांसी लगाकर आत्महत्या (Farmer Commits Suicide on Singhu Border) कर ली है. हालांकि अभी तक आत्महत्या के कारणों का पता नहीं चल पाया है और पुलिस गहराई से मामले की जांच कर रही है.

  1. सिंघु बॉर्डर पर किसान ने की आत्महत्या
  2. पुलिस गहराई से मामले की जांच कर रही
  3. पंजाब के फतेहगढ़ साहिब का रहने वाले है किसान

पुलिस ने बताई मृतक की पहचान

पुलिस ने बताया कि सोनीपत के कुंडली-सिंघु बॉर्डर (Kundli-Singhu Border) पर फंदा लगाकर की आत्महत्या करने वाले किसान की पहचान पंजाब के फतेहगढ़ साहिब जिले के अमरोह तहसील के रहने वाले गुरप्रीत सिंह के रूप में हुई है. वह भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) सिद्धपुर से जुड़ा था.

आत्महत्या और हत्या एंगल की जांच

गुरप्रीत सिंह की मौत के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है और यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि उसकी हत्या हुई है या उसने आत्महत्या की है. ऐसे में पुलिस दोनों एंगल से छानबीन कर रही है और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. पुलिस का कहना है कि रिपोर्ट आने के बाद ही मौत का असली कारण का पता चल सकेगा.

11 महीने से जारी है किसानों का प्रदर्शन

देश के विभिन्न हिस्सों, विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान पिछले साल नवंबर से दिल्ली की तमाम सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन (Farmers Protest) कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी तीन कृषि कानूनों (New Agriculture Laws) को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, जिसको लेकर उन्हें डर है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को खत्म कर दिया जाएगा और उन्हें बड़े कॉर्पोरेट की दया पर छोड़ दिया जाएगा. हालांकि, सरकार तीन कानूनों को प्रमुख कृषि सुधारों के रूप में पेश कर रही है. सरकार और किसान संगठनों के बीच 10 दौर से अधिक की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है.

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