Delhi Ghazipur Mother Son Died: दिल्ली के गाजीपुर में भारी बारिश के बाद खुले नाले ने मां-बेटे की जान ले ली. तनुजा और प्रियांश के शव मिले तो मां ने अपने जिगर के टुकड़े का हाथ नहीं छोड़ा था. वह अपने लाडले के लिए स्कूल ड्रेस लेने घर से निकली थी. दिल्ली के सड़ रहे सिस्टम पर सवाल उठ रहे हैं. उन दोनों का गुनाह क्या था, कोई बताएगा?
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अभी ज़िंदा है मां मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा, मैं घर से जब निकलता हूं दुआ भी साथ चलती है... उस रोज तीन साल के प्रियांश के साथ उसकी मां भी थी. हाथ छूटा और बेटा नाले में समाने लगा तो मां बचाने के लिए कूद पड़ी. जब तक मां जिंदा थी, बच्चे को उम्मीद रही होगी लेकिन कुछ देर बाद दोनों के शव मिले. जिसने भी वह मंजर देखा कलेजा मुंह को आ गया. आखिरी सांस तक मां ने बच्चे को अपने हाथों से पकड़ा हुआ था. अगर उसका हाथ ऊपर की तरफ होता तो शायद उसे लोग बचा लेते लेकिन उसने अपने बेटे को अकेला नहीं छोड़ा. धन्य है मां. तनुजा बच्चे के लिए स्कूल ड्रेस लेने गई थी. राजधानी दिल्ली के खुले नाले ने उन्हें मौत के मुंह में भेज दिया.
प्रियांश और तनुजा की दर्दनाक कहानी
मां की महिमा बताने के लिए शब्द कम पड़ जाएंगे. जिसके सामने देवता भी नतमस्तक होते हैं. जिसे धरती पर ईश्वर का रूप कहा जाता है. वो मां औलाद को भला मौत के मुंह में अकेले कैसे छोड़ सकती थी. पानी का वेग ज्यादा था, नाला गहरा था, जिगर का टुकड़ा गहराई में समाने लगा लेकिन मां ने उसका हाथ नहीं छोड़ा. यह सच्ची घटना आपकी आंखें नम कर देगी. मां तो ऐसी ही होती है. प्रियांश अभी केवल तीन साल का था. वह उस दिन पहली बार स्कूल गया था. घर में सब बहुत खुश थे लेकिन क्या पता था कि दिल्ली का सिस्टम उसकी जान छीनने वाला है.
कुछ घंटे की बारिश ने दिल्ली को पानी-पानी कर दिया. गाजीपुर में एक हंसता-खेलता परिवार उजड़ गया. बच्चे के स्कूल में पहले दिन के लिए मां ने सारी तैयारी कर रखी थी. बस स्कूल ड्रेस नहीं मिली थी. तनुजा वही ड्रेस लेने प्रियांश को साथ लेकर निकली. फिर घर नहीं लौटी. अब प्रियांश कभी स्कूल नहीं जा पाएगा.
खोड़ा कॉलोनी के पास की घटना
प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो खोड़ा कॉलोनी के पास 31 जुलाई की शाम तनुजा अपने बेटे प्रियांश को पकड़े हुए थी. बारिश के बीच पानी में रास्ते की टोह लेते हुए घर तेजी से बढ़ रही थी. अचानक बच्चे की उंगली छूटी और वह 10 फुट से भी ज्यादा गहरे नाले में बहने लगा, जो ऊपर से समझ में ही नहीं आ रहा था.
जैसे ही प्रियांश नाले में गिरा, तनुजा खुद भी कूद गई. पानी का बहाव इतना तेज था कि दोनों लापता हो गए. आसपास के लोगों ने मां-बेटे को बचाने की कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. कई घंटे बाद बाद आधी रात के करीब आधे किमी दूर से दो शव बरामद किए गए. लोग बिलख पड़े. आखिरी सांस तक मां ने अपने बेटे को अकेला नहीं छोड़ा था.
तनुजा का हाथ ऊपर होता तो...
परिवार के सदस्य करण बिष्ट ने मीडिया को बताया कि जब उन्हें नाले से निकाला गया तो तनुजा को वहीं मृत घोषित कर दिया गया जबकि प्रियांश के बचने की थोड़ी उम्मीद थी. हालांकि उसकी भी जान नहीं बची. हादसे के वक्त तनुजा की भाभी पिंकी भी वहीं थीं. उन्होंने बताया कि तनुजा ने प्रियांश को और बैग हाथ में पकड़ रखा था. पिंकी भी उन्हें बचाने के लिए गई थीं लेकिन उन्हें बाहर निकाल लिया गया, तनुजा कहीं नहीं मिली. तनुजा अपने हाथ से बच्चे को पकड़े हुए थी.
मां की आग़ोश में कल, मौत की आग़ोश में आज
हम को दुनिया में ये दो वक़्त सुहाने से मिले.
पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर क्षेत्र में 22 साल की तनुजा और उसके तीन साल के बेटे प्रियांश की दर्दनाक मौत दिल को झकझोरने वाली है. शासन-प्रशासन एक दूसरे पर आरोपों की टोपी पहनाएगा लेकिन दो निर्दोषों की जान कैसे चली गई, इसकी जवाबदेही क्या तय होगी? राजनीति फौरन शुरू हो गई.
आम आदमी पार्टी ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. AAP के विधायक कुलदीप कुमार ने इसे उपराज्यपाल की लापरवाही का नतीजा बताया. उन्होंने कहा, 'मैं कहूंगा कि यह घटना नहीं, बल्कि हत्या है. DDA के निर्माणाधीन नाले को ढका नहीं गया. इसमें गिरकर एक मां और बेटे की मौत हो गई... यह विभाग किसी और के नहीं, बल्कि एलजी के अंतर्गत आता है. हम एलजी साहब से कहना चाहते हैं कि ये हादसा नहीं, बल्कि हत्या है. इसमें पुलिस हत्या का मुकदमा दर्ज करे और पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा दिलाए.'
क्या मुकदमा दर्ज करने से जिम्मेदारी खत्म हो जाएगी. क्या मुआवजे से दो जानें वापस आ जाएंगी? नहीं तो फिर ऐसा सिस्टम क्यों नहीं बनता कि देश में फिर किसी नाले में कोई परिवार न उजड़े, किसी निर्दोष की जान न जाए. सिस्टम की सड़ांध को दूर करने के लिए किस चमत्कार या अवतार का इंतजार हो रहा है?
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