दिल्ली सरकार प्लाज्मा थेरेपी पर फोकस कर रही है. ये बैंक 2 दिन में शुरू हो जाएगा. प्लाज्मा दान करने वालों के लिए हॉटलाइन नंबर जारी होगा और उनके लिए ट्रांसपोर्ट की भी सुविधा होगी.
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नई दिल्ली: देश में कोरोना (Corona-Virus) के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इस बीच दिल्ली सरकार ने एक बड़ा ऐलान किया है. दिल्ली सरकार देश का पहला प्लाज्मा बैंक बनाएगी. ब्लड बैंक की तर्ज पर ये प्लाज्मा बैंक बनेगा.
दिल्ली सरकार प्लाज्मा थेरेपी पर फोकस कर रही है. ये बैंक 2 दिन में शुरू हो जाएगा. प्लाज्मा दान करने वालों के लिए हॉटलाइन नंबर जारी होगा और उनके लिए ट्रांसपोर्ट की भी सुविधा होगी.
बता दें कि प्लाज्मा को लेकर शुरू से अफरा-तफरी का माहौल है. दिल्ली में सबसे पहले प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल हुआ था, जिसके नतीजे बेहतर रहे थे.
दिल्ली का प्लाज्मा बैंक ILBS अस्पताल में बनाया जाएगा. दो दिन में यह शुरू भी हो जाएगा. सरकारी व प्राइवेट सभी अस्पताल में दाखिल मरीजों के लिए यह बैंक होगा.
आईएलबीएस अस्पताल कोरोना अस्पताल नहीं है. कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों को दोबारा संक्रमण होने की यहां संभावना नहीं है. दिल्ली सरकार ने प्लाज्मा दान करने के लिए लोगों को प्रेरित करने में मीडिया से महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की अपील की और कहा कि दिल्ली सरकार भी लोगों को फोन करके इसके लिए तैयार करेगी.
प्लाज्मा थेरेपी कोई संजीवनी बूटी नहीं है, लेकिन जिनकी हालत ज्यादा खराब नहीं है, उनके लिए काफी मददगार साबित हो सकती है.
वहीं लोगों से भी ये अपील की जा रही है कि जो लोग कोरोना से ठीक हो गए हैं, वो ज्यादा से ज्यादा प्लाज्मा दान करें और बाकी लोगों की जान बचाएं.
बता दें कि एलएनजेपी में पिछले कुछ दिनों में 35 मरीजों को प्लाज्मा दिया गया, जिसमें 34 बच गए. प्राइवेट में 49 में 46 लोगों की जान प्लाज्मा थेरेपी से बचाई गई है.
प्लाज्मा दान करने वालों के आने-जाने का इंतजाम दिल्ली सरकार करेगी. एक नंबर जारी किया जाएगा, जिस पर कॉल करके प्लाज्मा डोनेट करने के बारे में जानकारी देनी होगी. सरकार की तरफ से भी ठीक हुए मरीजों से संपर्क किया जाएगा.
इसके अलावा दिल्ली सरकार, LNJP के डॉक्टर असीम गुप्ता के परिजनों को एक करोड़ रुपए सम्मान राशि देगी. डॉक्टर असीम गुप्ता की कोरोना संक्रमण की वजह से मौत हो गई थी.
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दिल्ली सरकार का कहना है कि कुछ हफ्ते पहले तक दिल्ली में बेड की बहुत समस्या थी. लोग अस्पताल में बेड के लिए दर-दर की ठोकरें खाते थे. अगर परिवार में कोई बीमार हो जाए, तो वे एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल, दूसरे स्थान से तीसरे अस्पताल भागते थे. वे जिस अस्पताल में जाते थे, उन्हें सुनने को मिलता था कि बेड भरे हुए हैं. बेड खाली नहीं है. हमारे पास भी बहुत फोन आते थे. रात-रातभर जागकर हम लोगों के लिए अलग-अलग अस्पतालों में बेड का इंतजाम करते थे. पिछले 1 महीने में हम लोगों ने कई कदम उठाए हैं, जिसकी वजह से आज दिल्ली में बेड की कमी नहीं है. अस्पतालों में अभी कुल 13,500 कोरोना के बेड हैं. उनमें से करीब 6000 बेड भरे हुए हैं और 7500 बेड अभी भी खाली हैं.
सीएम केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली देश का पहला राज्य है, जहां पहली बार प्लाज्मा का परीक्षण किया गया. हमने दो-ढाई महीना पहले बताया था कि हम लोग प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल कर रहे हैं. हमने 29 मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी का परीक्षण शुरू किया, उसके नतीजे काफी उत्साह वर्धक थे. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि कोरोना में मरीजों के साथ दो चीजें होती है. एक तो उसका ऑक्सीजन स्तर नीचे चला जाता है. एक सामान्य व्यक्ति में ऑक्सीजन का स्तर 95 होना चाहिए और यदि यह 90, 85 या 80 पर पहुंच जाता है, तो खतरनाक हो जाता है और दूसरा उसका रेस्पिरेशन का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है. मरीज की सांस फूलने लगती है. एक समान्य व्यक्ति में रेस्पिरेशन का स्तर 15 होना चाहिए. यह 20, 25 या 30 तक पहुंच जाता है. यह देखने में आया है कि यदि मरीज को प्लाज्मा दे दिया जाए, तो उसके ऑक्सीजन स्तर में काफी अच्छी वृद्धि होती है और उसके रेस्पिरेशन का स्तर भी कम हो जाता है.
दिल्ली सरकार ने बताया कि 29 मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी के किए गए परीक्षण की रिपोर्ट हमने केंद्र सरकार को सौंपी और उसके आधार पर केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार के अस्पतालों के साथ ही कई प्राइवेट अस्पतालों को भी प्लाज्मा थेरेपी करने की इजाजत दी. अब हमें प्लाजमा थेरेपी की अनुमति तो मिल गई है, लेकिन प्लाज्मा कहां से आएगा? प्लाज्मा वही लोग दे सकते हैं, जिनको कोरोना हुआ था और वह ठीक हो गए. उनके खून के अंदर एंटीबॉडीज बनती हैं, जो उन्हें कोरोना से बचाती हैं. यदि उनके खून से प्लाज्मा निकालकर कोरोना के मरीज को दे दिया जाए, तो वह ठीक हो जाता है. उसके शरीर में भी एंटीबॉडीज बननी चालू हो जाती है. इस समय लोग प्लाज्मा लेने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. इसलिए दिल्ली सरकार ने तय किया है कि हम दिल्ली में प्लाज्मा बैंक बनाएंगे.
दिल्ली सरकार के मुताबिक आईएलबीएस अस्पताल में प्लाज्मा बैंक बनाया जाएगा. अगर किसी को प्लाज्मा चाहिए तो उस अस्पताल या डॉक्टर को लिखकर देना पड़ेगा कि उनको प्लाज्मा थेरेपी की जरूरत है. कोई खुद से नहीं कह सकता है कि उसे प्लाज्मा चाहिए. इसमें डॉक्टर की रिकमेंडेशन जरूरी है. डॉक्टर या अस्पताल आईएलबीएस से संपर्क करेंगे और आईएलबीएस उन्हें प्लाज्मा दे देगा. यह प्लाज्मा बैंक अगले 2 दिन में शुरू हो जाएगा, तब तक हम इसकी सारी कार्यवाही पूरी कर लेंगे.
दिल्ली सरकार ने कहा कि प्लाज्मा दान करने वालों के मन में कुछ गलतफहमी हैं. डोनर को लगता है कि वह कोरोना के अस्पताल में प्लाज्मा दान करने जाएगा, तो कहीं उसे दोबारा कोरोना न हो जाए. वैसे तो दोबारा कोरोना नहीं होगा, फिर भी हमने आईएलबीएस अस्पताल में प्लाज्मा बैंक की व्यवस्था की है. यह अस्पताल, कोरोना अस्पताल नहीं है. आपके आने-जाने और टैक्सी का सारा इंतजाम दिल्ली सरकार करेगी. सिर्फ आप हां कर दीजिए कि मैं प्लाज्मा दान देना चाहता हूं. आईएलबीएस में अच्छी व्यवस्था की गई है. प्लाज्मा देने में एक व्यक्ति को आधा से पौन घंटे तक का समय लगता है.
रिकॉर्ड के मुताबिक दिल्ली में अभी तक 52,000 लोग ठीक हो चुके हैं. इसके अलावा भी और बहुत से लोग होंगे, जिन्हें कोरोना हुआ और वे ठीक हो गए, लेकिन उन्हें पता भी नहीं चला. ऐसे सभी लोगों को प्लाज्मा दान करने के लिए प्रेरित किया जाएगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद कर सके और उनकी जान बचा सके.
लोगों को प्लाज्मा काम करने के लिए प्रेरित करने में सबसे बड़ी भूमिका मीडिया की होगी. इसमें कोई पार्टीबाजी नहीं, कोई राजनीति नहीं, हमें सबकी जान बचानी है, चाहे वह किसी भी धर्म का हो, जाति का हो या पार्टी का हो. उसमें पत्रकार भी आते हैं. मेरी मीडिया के लोगों से निवेदन है कि वह लोग अभियान चलाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रेरित करें कि वे लोग प्लाज्मा डोनेट करें और दूसरों की जान बचा सके.