1984 सिख दंगा मामलों में यशपाल सि‍ंह को फांसी की सजा, नरेश सहरावत को उम्रकैद
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1984 सिख दंगा मामलों में यशपाल सि‍ंह को फांसी की सजा, नरेश सहरावत को उम्रकैद

इसी मामले में दूसरे दोषी नरेश सहरावत को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. पटियाला हाउस कोर्ट के इस फैसले के बाद पीड़ित पक्ष ने इस पर संतोष जताया है. उनका कहना है कि हमें उम्मीद है कि जल्द ही दूसरे दोषियों को भी जल्द मिलेगी.

फाइल फोटो

नई दिल्ली : 1984 सिख दंगा मामलों में पटियाला हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए एक दोषी यशपाल सि‍ंह  को फांसी की सजा सुनाई गई है. इसी मामले में दूसरे दोषी नरेश सहरावत को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. पटियाला हाउस कोर्ट के इस फैसले के बाद पीड़ित पक्ष ने इस पर संतोष जताया है. उनका कहना है कि हमें उम्मीद है कि जल्द ही दूसरे दोषियों को भी जल्द मिलेगी. यशपाल सिंह और नरेश सहरावत को कोर्ट ने दो सिखों हरदेव सिंह और अवतार सिंह को दंगों में जान से मारने का दोषी पाया है. नरेश सहरावत की उम्र 59 और यशपाल की उम्र 55 है.

इस सजा के अलावा दोनों पर 35-35 लाख का फाइन भी लगाया है. इससे पहले सिख विरोधी दंगों की जांच के लिए गठित एसआईटी ने गुरुवार को अदालत द्वारा दोषी ठहराये गए दो लोगों को मृत्युदंड देने की मांग करते हुये कहा कि यह अपराध एक समुदाय विशेष के सदस्यों के खिलाफ ‘‘जनसंहार’’ का हिस्सा था और इसे दुर्लभ से दुर्लभतम श्रेणी में रखा जाना चाहिये. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अजय पांडे ने बुधवार को दंगों के समय दक्षिण दिल्ली के महिपालपुर में हरदेव सिंह और अवतार सिंह की हत्या के लिए नरेश शेरावत और यशपाल सिंह को दोषी ठहराया था. इन्हें आगामी 20 नवम्बर को सजा सुनाई जायेगी.

साल 2015 में गठित एसआईटी द्वारा दोबारा खोले गए मामलों में किसी को दोषी ठहराये जाने का यह पहला मामला है. हालांकि दिल्ली पुलिस ने साक्ष्यों के अभाव में 1994 में यह मामला बंद कर दिया था, लेकिन दंगों की जांच के लिए गठित एसआईटी ने मामले को दोबारा खोला. दोषियों के वकीलों ने एसआईटी की इस मांग का विरोध करते हुये उन्हें आजीवन कारावास की सजा देने की मांग की थी. इस प्रकार के अपराध के लिए उम्रकैद की सजा सबसे कम होती है.

अदालत की कार्यवाही के दौरान एसआईटी की तरफ से पेश हुए सरकारी वकील सुरिंदर मोहित सिंह ने कहा कि यह लगभग 25 वर्ष के दो निर्दोष लोगों की ‘‘नृशंस’’ हत्या है. यह पूरी तरह योजनाबद्ध ढंग से किया गया क्योंकि दोषी अपने साथ मिट्टी का तेल और हॉकी वगैरह लेकर आये थे. उन्होंने कहा कि दिल्ली में यह एकमात्र मामला नहीं था और करीब 3000 लोगों को मार डाला गया. सिंह ने कहा कि यह नरसंहार था. इन घटनाओं का अंतरराष्ट्रीय प्रभाव पड़ा और न्याय पाने में 34 वर्षों का समय लग गया. समाज को ऐसा संकेत जाना चाहिये ताकि वह ऐसे डरावने अपराधों से दूर रहे. यह दुर्लभ से दुर्लभतम मामला है जिसमें मौत की सजा दी जानी चाहिये.’ 

उनकी इस मांग का दोषियों के वकील ओ.पी.शर्मा का विरोध करते हुये कहा कि ये हमला सोचा समझा या योजनाबद्ध नहीं था, ये अचानक से भड़का था. पीड़ितों की तरफ से आये वकील एच.एस.फुल्का ने कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री(इंदिरा गांधी) की हत्या की प्रत्येक सिख ने निंदा की. यह बहुत दुखद रहा. लेकिन इसका आशय यह नहीं है कि सिखों को मार डाला जाए. क्या इससे लोगों को मारने का लाइसेंस मिल जाता है. अदालत की कार्यवाही के बाद जब दोषियों को पाटियाला हाउस अदालत परिसर से हवालात ले जाया जा रहा था तभी भाजपा विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने यशपाल सिंह को थप्पड़ मार दिया.

यह मामला हरदेव सिंह के भाई संतोख सिंह की शिकायत पर दर्ज किया गया था. अदालत ने उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) , 307 (हत्या का प्रयास), 395 (डकैती) और 324 (घातक हथियार से चोट पहुंचाना) सहित अन्य अनेक धाराओं के तहत दोषी ठहराया. input : Bhasha

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