अगर ऐसे ही बढ़ता रहा कूड़ा तो 'कचरे का पहाड़' हो जाएगा ताजमहल से भी ऊंचा
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अगर ऐसे ही बढ़ता रहा कूड़ा तो 'कचरे का पहाड़' हो जाएगा ताजमहल से भी ऊंचा

गाजीपुर में कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई इस समय 65 मीटर है. इसे फीट में मापा जाए तो इस पहाड़ की हाइट 213 फीट होगी.

राजधानी में कूड़ा प्रबंधन को लेकर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने कड़ा रुख अपनाया है.

नई दिल्ली: 29 फुटबॉल मैदानों जितना बड़ा, कुतुब मीनार से भी ऊंचा. ये सुनने में कोई स्मारक या टूरिस्ट प्लेस जैसा लगता है पर असल में यह दिल्ली के गाजीपुर में एक कचरे का पहाड़ है. गाजीपुर की इस लैंडफिल में सालों से लगभग पूरी दिल्ली का कचरा उड़ेला जाता है. पर अब यहां ऐसे हालात हैं कि आस-पास रहने वाले लोग इसकी बदबू और पनप रही बीमारियों से परेशान होकर अपने घर तक बदलने को मजबूर हो गए हैं. 

गाजीपुर लैंडफिल के पास इंद्रापुरम में रहने वाली पारुल माथुर बताती हैं कि इस सड़ते कचरे से निकलने वाली ज़हरीली गैस मेरे पूरे परिवार के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रही है. हमने सपनों का घर तो ले लिया पर हम उस घर की खिड़की नहीं खोल सकते, क्योंकि खिड़की खुलते ही ऐसी दुर्गंध आती है कि उल्टी आ जाए. इस जहरीली हवा ने हमारे घर की दीवारों को काला कर दिया है.  

गाजीपुर के कचरे के खिलाफ चल रही है 'ऑनलाइन याचिका'
प्रशासन तक इस कचरे के ढेर से होती परेशानियों की आवाज़ पहुंचाने के लिए इंद्रापुरम निवासी पारुल माथुर और नोएडा निवासी सीमा मिश्रा ने ऑनलाइन याचिका की शुरूआत की है. सीमा मिश्रा बताती हैं कि हमने ये पिटिशन शुरू किया है क्योंकि अब हमसे और नहीं सहा जाता. हम नहीं चाहते कि हमारे बच्चों के फेफड़े काले हों. हम प्रशासन को नींद से जगाना चाहते हैं. क्यूंकि ये लैंडफिल मेरे जैसे लाखों निवासियों के लिए सांसें रोककर जीने का कारण बन गई है.

अगले 1 साल में ताजमहल से भी ऊंचा हो जाएगा ये कचरे का ढेर
गाजीपुर में कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई इस समय 65 मीटर है. इसे फीट में मापा जाए तो इस पहाड़ की हाइट 213 फीट बैठेगी. रिपोर्ट्स के अनुसार अगर ऐसा ही चलता रहा तो 2020 तक कूड़े का यह पहाड़ हाइट के मामले में ताजमहल और कुतुबमीनार जैसी ऐतिहासिक इमारतों को भी पीछे छोड़ देगा, क्योंकि दोनों की हाइट 73 मीटर है. अगर एक मंजिल की औसत हाइट 10 फीट मान ली जाए तो गाजीपुर के इस कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई 21 मंजिला बिल्डिंग जितनी बैठेगी. इतनी अधिक ऊंचाई होने के कारण यह ब्लैक कलर का पहाड़ कई किलोमीटर दूर से नजर आता है.

एनजीटी ने नगर निगम को भी लगाई थी फटकार 
राजधानी में कूड़ा प्रबंधन को लेकर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने कड़ा रुख अपनाया है. एनजीटी ने दिल्ली की तीन नगर निगमों से कूड़े के रखरखाव के लिए उठाए गए कदमों की रिपोर्ट तलब की है. एनजीटी ने यह कदम उन खबरों के बाद उठाया है, जिनमें दावा किया गया था कि भलस्वा, गाजीपुर और ओखला लैंडफिल साइटों के कारण नजदीकी अनधिकृत बस्तियों में भूजल प्रदूषित हो रहा है. हालांकि, इसको लेकर ईस्ट एमसीडी का कहना है कि कूड़े के इस पहाड़ की ऊंचाई जितनी बढ़नी थी वह बढ़ चुकी, अब हाइट किसी भी कीमत पर इससे ज्यादा ऊंची नही होने दी जाएगी. इसके लिए एमसीडी का कई चरणों में काम चल रहा है.

दिल्ली में कहां पर कितना कूड़ा
भलस्वा- 2000 मीट्रिक टन प्रति दिन
गाजीपुर- 2100 मीट्रिक टन प्रति दिन
ओखला- 1200 मीट्रिक टन प्रति दिन

फैलता जा रहा है मुसीबत का पहाड़
कूड़े के पहाड़ आसपास रहने वाले लोगों के लिए मुसीबत का पहाड़ गया है. आबोहवा तो प्रदूषित हो ही गई है, ज़मीन का पानी भी पीने के लायक नहीं रहा. यही वजह है कि इस इलाके के लोग सांस की बीमारियों से लेकर कैंसर तक की चपेट में आ रहे हैं. लैंडफिल के आसपास रहने वाले लोगों ने की बीमारियां फैलने की शिकायत करते हुए कहा कि कूड़े की वजह से बड़ी संख्या में लोग टीबी, कैंसर और सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं. 

कचरे के पहाड़ से यमुना भी होती है दूषित 
लैंडफिल साइटों पर लगे कूड़े के पहाड़ जैसे ढेर का वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन नहीं होने का असर यमुना नदी पर भी दिखाई दे रहा है. इन लैंडफिल साइटों पर कूड़ा गल जाता है और उससे निकलने वाली गंदगी बहकर यमुना नदी में पहुंच जाती है और यमुना में जल प्रदूषण का बड़ा कारण बन रही है. 

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