सतेंद्र ने बताया कि सोशल डिस्टेनसिंग का पालन करते हुए बच्चों को दूर-दूर बैठाकर हमने ऑनलाइन क्लास देना शुरू किया है
इन झुग्गियों में बिजली नहीं है लेकिन फिर भी ये बच्चे ऑनलाइन क्लास में पढ़ाई कर रहे हैं. जुग्गियों में पढ़ाई कर रहे ये बच्चे 9वीं और 10वी में पढ़ते हैं. कोरोना के चलते स्कूल ऑनलाइन क्लासेज ले रहे हैं. सिलेबस से लेकर होमवर्क तक वाट्सएप पर भेजा जाता है.
इस कार्य में इनके टीचर सत्येंद्र पाल का पूरा सहयोग रहा है. सत्येंद्र पिछले 5 सालों से इन बच्चों को ट्यूशन पढ़ा रहे हैं. लेकिन कोरोना के चलते अब स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है जिसेसे बच्चों को समझने में परेशानी होती है. ऐसे में सत्येंद्र अपने लैपटॉप और टैबलेट से बच्चों को तकनीकी मदद के साथ-साथ कोर्स को आसानी से समझने में भी मदद करते हैं.
सत्येंद्र का कहना है कि इनमे से ज्यादातर बच्चों के पास मोबाइल और लैपटॉप नहीं है और इन जुग्गियों मे न ही बिजली है और न नेटवर्क ऐसे में बच्चों की पढ़ाई छूट रही थी. इसलिए हमने सोशल डिस्टेनसिंग का पालन करते हुए बच्चों को दूर-दूर बैठाकर ऑनलाइन क्लास देना शुरू किया है.
एक पूरानी कहावत है कि, 'ठान लिया जाए तो कोई काम मुश्किल नहीं होता', इसी कहावत को आज इन बच्चों ने सच कर दिखाया है. इन झुग्गियों में भले ही बिजली न हो लेकिन ऑनलाइन क्लासेज चल रही हैं. इनके पास मोबाइल या लैपटॉप भले ही न हो लेकिन पढ़ाई में कोई कसर नही रहती . ये भले ही ज़मीन पर बैठ कर पढ़ रहे हैं लेकिन इनके सपने आसमान छू रहे हैं.
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