वरिष्‍ठ कथाकार रामधारी सिंह दिवाकर को मिला 2018 का श्रीलाल शुक्‍ल स्‍मृति इफको साहित्‍य सम्‍मान
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वरिष्‍ठ कथाकार रामधारी सिंह दिवाकर को मिला 2018 का श्रीलाल शुक्‍ल स्‍मृति इफको साहित्‍य सम्‍मान

पुरस्‍कार स्‍वरूप रामधारी सिंह दिवाकर को एक प्रतीक चिह्न, प्रशस्ति पत्र और 11 लाख रुपए की राशि प्रदान की गई है.

वरिष्‍ठ कथाकार रामधारी सिंह दिवाकर को मिला 2018 का श्रीलाल शुक्‍ल स्‍मृति इफको साहित्‍य सम्‍मान

नई दिल्‍ली: उर्वरक क्षेत्र की प्रमुख संस्‍था इफको द्वारा वर्ष 2018 का 'श्रीलाल शुक्‍ल स्‍मृति इफको साहित्‍य सम्‍मान' वरिष्‍ठ कथाकार रामधारी सिंह दिवाकर को प्रदान किया गया है. उन्‍हें यह सम्‍मान गुरुवार (31 दिसंबर) को नई दिल्‍ली के एनसीयूआई ऑडिटोरियम में आयोजित एक समारोह में सुविख्‍यात साहित्‍यकार मृदुला गर्ग ने प्रदान किया. विशिष्‍ट अतिथि के तौर पर जिलियन राइट की मौजूदगी में पुरस्‍कार स्‍वरूप रामधारी सिंह दिवाकर को एक प्रतीक चिह्न, प्रशस्ति पत्र और 11 लाख रुपए की राशि प्रादन की गई है.

समारोह के दौरान वरिष्‍ठ कथाकार रामधारी सिंह दिवाकर ने ग्रामीण क्षेत्रों की बदहाली का जिक्र करते हुए कहा, 'मैं 70 फीसदी वाले उस गांव का लेखक हूं, जहां तकरीबन 20 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे रहते है. मैं उस गांव का लेखक हूं, जहां कृषि कर्म पर निर्भर, अपने भाग्‍य को कोसते, कर्ज में डूबे, खेती से भी लागत खर्च न निकाल पाने वाले किसान रहते हैं.'

उन्‍होंने आगे कहा, 'लाखों-लाख की संख्‍या में जहां के मजदूर रोजी-रोटी की तलाश में पलायन करते हैं, जहां की आबादी से देश-प्रदेश की शासन सत्‍ता बनती बदलती है, जहां हाथों में मोबाइल फोन लिए नौकरी-रोजगार की तलाश में नौजवानों की विशाल आबादी आश्‍वासनों के सपने संजोए भौंचक सी खड़ी है, गांव के उसी दिशाहीन चौराहे पर खड़ा मै एक हिंदी का लेखक हूं.'

कथाकार रामधारी सिंह दिवाकर ने शहरों और गांव के बीच मौजूद विकास की खाई के बारे में जिक्र करते कहा कि सुनते हैं कि हमारे देश भारत की अर्थव्‍यवस्‍था अब दुनिया की पांचवीं-छठी सुदृढ अर्थव्‍यवस्‍था बन गई है. सुपर पावर बनने जा रहा है अपना देश, नगरों और महानगरों का रकबा ही नहीं, आसमान को छूती उंचाई दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है.

उन्‍होंने कहा‍ कि कितने मोहक लगते हैं देश के संवृद्धि से भरे हुए नगर और महानगर. नगरों और महानगरों की भव्‍यता वाला अपना देश कितना मोहक लगता है, लेकिन इस देश के हालात पोलियो से ग्रस्‍त उस व्‍यक्ति की तरह है, जिसका ऊपरी हिस्‍सा तो खूबसूरत है, मगर पांव से वह लाचार है. पोलियोग्रस्‍त ये पैर ही हमारे गांव है, मैं उसी गांव का एक लेखक हूं.

इस दौरान एफको के प्रबंध निदेशक उदय शंकर अवस्‍थी ने बताया कि लेखक एवं पूर्व सांसद देवी प्रसाद त्रिपाठी की अध्‍यक्षता में गठित निर्णायक मंडल ने रामधारी सिंह दिवाकर का चयन खेती-किसानी वाले ग्रामीण यथार्थ पर केंद्रित उनके व्‍यापक साहित्यिक अवदान को ध्‍यान में रखकर किया है. निर्णायक मंडल के अन्‍य सदस्‍यों में मृदुला गर्ग, मुरली मनोहर प्रसाद सिंह, प्रो. राजेंद्र कुमार, इब्‍बार रब्‍बी एवं डॉ. दिनेश कुमार शुक्‍ल शामिल थे.

उन्‍होंने बताया कि प्रतिवर्ष दिया जाने वाला यह प्रतिष्ठित पुरस्‍कार किसी ऐसे रचनाकर को दिया जाता है, जिसकी रचनाओं में ग्रामीण और कृषि जीवन से जुड़ी समस्‍याओं, आकांक्षाओं और संघर्षों को मजबूती के साथ रखा गया हो. मूर्धन्‍य कथाशिल्‍पी श्रीलाल शुक्‍ल की स्‍मृति में वर्ष 2011 में शुरू किया गया यह सम्‍मान अब तक विद्यासागर नौटियाल, शेखर जोशी, संजीव, मिथलेश्‍वर, अष्‍टभुजा शुक्‍ल, कमलाकांत त्रिपाठी, और रामदेव धुरंधर को प्रदान किया गया है. सम्‍मानित साहित्‍यकार को एक प्रतीक चिह्न, प्रशस्ति पत्र और 11 लाख रुपए की राशि प्रदान की जाती है.

कथाकार रामधारी सिंह दिवाकर के बारे में इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्‍थी ने कहा कि रामधारी सिंह दिवाकर का रचना संसार ग्रामीण और किसानी जीवन के इर्द-गिर्द घूमता है. कार्यक्रम की मुख्‍य अतिथि मृ‍दुला गर्ग ने कहा कि रामधारी सिंह दिवाकर का लेखन अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण है. किसानों के जीवन को मुखरित करने का काम जो रामधारी सिंह दिवाकर ने किया है, वह अत्‍यंत दुर्लभ है.

वहीं, कथाकार श्रीलाल शुक्ल की पुस्‍तक राग दरबारी का अंग्रेजी में अनुवाद करने वाली लेखक और कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि जिलियन राइट ने कहा कि रामधारी सिंह दिवाकर का कथा-साहित्‍य ग्राम्य जीवन के यथार्थ को समेटे हुए है. उन्‍होंने राग दरबारी के तमाम अंशों के जरिए ग्रामीण समाज के मौजूदा परिदृश्‍य और चुनौतियों का भी जिक्र किया. इस अवसर पर महमूद फारूखी और दारैन शाहिदी द्वारा श्रीलाल शुक्‍ल के उपन्‍यास 'राग दरबारी' पर आधारित दास्‍तानगोई की संगीतमय प्रस्‍तुति भी की गई.

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