सेलिब्रिटी होने का इस्तेमाल समाज की भलाई के लिए करें जूही चावलाः दिल्ली हाईकोर्ट
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सेलिब्रिटी होने का इस्तेमाल समाज की भलाई के लिए करें जूही चावलाः दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट में अभिनेत्री जूही चावला पर 5G टेक्नोलॉजी को लेकर लेकर लगाए गए जुर्माने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि अभिनेत्री कुछ ऐसा काम करें, जिससे जुर्माने की राशि को घटाया जा सकता है. 

 

फाइल फोटो

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर अभिनेत्री जूही चावला जनता की सेवा से जुड़ा कोई काम करती हैं, तो 5G टेक्नोलॉजी को लेकर को चुनौती देने वाली याचिका पर लगाए गए जुर्माने की राशि को 20 लाख से घटाकर 2 लाख किया जा सकता है.

  1. जूही चावला पर जुर्माना राशि को लेकर सुनवाई
  2. दिल्ली हाईकोर्ट में हुई सुनवाई
  3. 5G टेक्नोलॉजी को चुनौती देने पर लगा था जुर्माना

DLSA के लिए कर सकती हैं काम

जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की खंडपीठ ने मंगलवार को कहा कि हम जुर्माने की राशि को घटाकर 2 लाख रुपए कर देंगे, लेकिन इसकी एक शर्त है. कोर्ट ने जूही चावला के वकील सलमान खुर्शीद को कहा कि आपकी क्लाइंट एक सेलिब्रिटी हैं. ऐसे में उन्हें पब्लिक के लिए कुछ कार्य करना चाहिए. उनकी छवि का इस्तेमाल समाज की भलाई के लिए किया जाना चाहिए. वह दिल्ली कानूनी सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए ) के लिए कुछ काम कर सकती हैं.

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27 जनवरी को अगली सुनवाई

इस पर सलमान खुर्शीद ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने मानव शरीर पर 5G टेक्नोलॉजी के प्रभाव पर चिंता जताई थी. उन्होंने कहा कि वह अदालत द्वारा दिए गए सुझाव पर उनसे निर्देश मांगेंगे. अदालत ने इसके अलावा डीएलएसए सचिव को नोटिस जारी करते हुए मामले को आगे की सुनवाई के लिए 27 जनवरी की तारीख दी.

5G टेक्नोलॉजी को दी थी चुनौती 

बता दें कि 21 जनवरी को डीएसएलएसए ने जुर्माने को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें जूही चावला और दो अन्य को 5G टेक्नोलॉजी को चुनौती देने वाली याचिका के संबंध में दायर की गई याचिका पर 20 लाख रुपए का जुर्माना जमा करने का निर्देश दिया गया था.

कोर्ट ने पिछले साल लगाया था जुर्माना

पिछले साल 4 जून को जस्टिस जेआर मिधा ने देश में 5G वायरलेस नेटवर्क स्थापित करने के खिलाफ उनके मुकदमे को खारिज कर दिया था. जूही की याचिका में कहा गया है कि आरएफ विकिरण का स्तर मौजूदा स्तर से 10 से 100 गुना अधिक है. इसमें यह भी दावा किया कि यह वायरलेस तकनीक मनुष्यों के लिए आशंकित खतरा हो सकती है और यह पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकती है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माना था कि चावला और दो अन्य द्वारा दायर की गई याचिका सुनवाई योग्य नहीं थी. इसके बाद याचिका खारिज करते हुए जुर्माना भी लगाया था.

(इनपुट-आईएएनएस)

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