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नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने बढ़ते कोरोना के बाद बेकाबू हुए हालात पर चिंता जताई है. अदालत ने उम्मीद जताई है कि केंद्र सरकार हर राज्य की जरूरत और स्थिति के आधार पर, रेमडेसिविर (Remdesivir) जैसी दवाइयां और संसाधन मुहैया करा रही होगी. हाई कोर्ट ने कहा कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो 'लोग एक दूसरे की जान ले लेंगे.’
कोरोना काल में रिसोर्स और दवाओं के डिस्ट्रीब्यूशन के संबंध में सुनवाई करते हुए जस्टिस विपिन सांघी और रेखा पल्ली की खंडपीठ ने कहा, 'हम बर्बाद हो जाएंगे.' केंद्र सरकार की ओर से स्थायी वकील मोनिका अरोड़ा और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) चेतन शर्मा ने कोर्ट को बताया कि रेमडेसिविर (Remdesivir) के इस्तेमाल पर मेडिकल राय अलग-अलग है.
दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने अदालत से कहा कि डॉक्टर रेमडेसिविर दवाई लिख रहे हैं लेकिन पर्चा होने के बावजूद यह बाजार में नहीं मिल रही है. पीठ ने कहा कि कुल मिलाकर अर्थ यह है कि इसकी (रेमडेसिविर) आपूर्ति कम है. कोर्ट ने कहा कि उत्पादन के लिए प्लांट्स की स्थापना के लिए मंजूरी देने से तुंरत रिजल्ट्स नहीं मिलेगा क्योंकि प्लांट्स स्थापित होने में समय लगता है.
अदालत ने केंद्र से कहा, 'टीका उन्हें दें जो लोग इसे लगवाना चाहते हैं. आप जिस किसी का भी टीकाकरण कर सकते हैं, उसे टीका लगाएं. चाहे 16 साल का व्यक्ति हो या 60 साल का, सब को टीकाकरण की जरूरत है. महामारी भेदभाव नहीं करती.'
कोर्ट ने कहा कि इस बार युवा अधिक प्रभावित हो रहे हैं और कई युवाओं की जान जा चुकी है. अदालत ने कहा कि यदि दिन के अंत में, शीशी में कुछ खुराकें बाकी हैं तो उन्हें जरूरतमंद लोगों को दिया जाए. भले ही ऐेसे व्यक्ति टीकाकरण के लिए निर्धारित श्रेणी में नहीं आते हों.
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