Delhi Interesting Facts: 'चिराग दिल्ली' को कैसे मिला ये अनोखा नाम, 700 साल पुरानी है ये कहानी
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Delhi Interesting Facts: 'चिराग दिल्ली' को कैसे मिला ये अनोखा नाम, 700 साल पुरानी है ये कहानी

Chirag Dilli Name Story: अपनी खूबसूरती के लिए राजधानी दिल्ली दुनियाभर में मशहूर है. संपूर्ण भारत का इतिहास डायरेक्ट-इनडायरेक्ट तौर पर दिल्ली से जुड़ा हुआ है. यहां पर घूमने के लिए आपको एक से बढ़कर एक जगह मिलगी. लाल किला से लेकर जामा मस्जिद तक और कुतुब मीनार से लेकर संसद भवन तक, यहां बड़ी संख्या में ऐतिहासिक इमारतें मौजूद हैं जो अपने साथ अपने दौर का इतिहास भी संजोए हुए हैं.

फाइल फोटो

Sheikh Nasiruddin Chirag Delhi: दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोग वीकेंड पर दिल्ली घूमने का प्लान बनाते रहते हैं. आपको बता दें कि दिल्ली से सटे इलाकों को दिल्ली-एनसीआर कहा जाता है. दिल्ली में एक बेहद यूनिक जगह है जिसका नाम है चिराग दिल्ली. अक्सर जब लोगों के दिमाग में यह नाम आता है, तब एक न एक बार लोग सोचने को जरूर मजबूर हो जाते हैं कि यह अनोखा नाम इस जगह को कैसे मिला! आपको बता दें कि घूमने के लिए चिराग दिल्ली बेहतरीन जगह है. अगर आप पार्क में सैर-सपाटे के शौकीन हैं तो यह जगह आपके लिए बेस्ट है. चिराग दिल्ली के नाम की पैदाइश को जानने के लिए हमें इतिहास में 700 साल पीछे चलना होगा.

इस शख्स के नाम पर पड़ा चिराग दिल्ली का नाम

आपको बता दें कि चिराग दिल्ली का नाम हजरत निजामुद्दीन औलिया के सबसे प्रिय शिष्य नसीरुद्दीन महमूद पर रखा गया है. एक वक्त की बात है जब हजरत निजामुद्दीन की दरगाह में एक बावली का निर्माण कराया जा रहा था लेकिन तत्कालीन शासक गयासुद्दीन तुगलक ने इस बावली के बनने पर रोक लगा दी थी.

शासक का तुगलकी फरमान

बादशाह गयासुद्दीन तुगलक के फरमान के खिलाफ जाकर मजदूरों ने रात में बावली के निर्माण कार्य को पूरा करने की ठानी. इसके लिए वो रात में दिए जलाकर बावली का काम पूरा करने लगे लेकिन इस बात की भनक बादशाह को लग गई और उन्होंने मजदूरों को तेल बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया और इस तरह बावली का निर्माण कार्य बंद पड़ गया. प्राचीन कथाओं के मानें तो उस दौरान हजरत निजामुद्दीन औलिया ने अपने शिष्य नसीरुद्दीन महमूद को पानी से दिए जलाने का आशीर्वाद दिया. इसके बाद बावली में मौजूद पानी से दिए जलाए गए और इनकी रोशनी में बावली का काम पूरा किया गया, तब नसीरुद्दीन महमूद को चिराग-ए-दिल्ली के नाम से बुलाया गया और उनके नाम पर ही यहां का नाम चिराग दिल्ली पड़ा.

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