Good News: केजरीवाल सरकार दिल्ली की महिलाओं के लिए एक खुशखबरी लेकर आई है और अब ओवर टाइम करने वाले कर्मचारियों को अपनी मेहनत का पूरा फायदा मिलेगा और उन्हें दोगुना वेतन दिया जाएगा.
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Delhi Labor Department approved draft: केजरीवाल सरकार दिल्ली की महिलाओं के लिए एक खुशखबरी लेकर आई है और कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया है. श्रम विभाग (Delhi Labor Department) ने कर्मचारियों के लिए नए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इसके तहत कई बड़े फैसले लिए गए हैं, जिसका सीधा फायदा कर्मचारियों को मिलेगा. श्रम विभाग के ड्राफ्ट अनुसार, दिल्ली में अब ओवर टाइम करने वाले कर्मचारियों को अपनी मेहनत का पूरा फायदा मिलेगा और उन्हें दोगुना वेतन दिया जाएगा.
ओवर टाइम के लिए क्या होगा नियम?
दिल्ली सरकार की पॉलिसी के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में काम करने वाले कर्मचारियों को एक दिन में 8 घंटे से ज्यादा काम करने या सप्ताह में 48 घंटे से ज्यादा काम करने को ओवर टाइम माना जाएगा. हालांकि, इसके साथ ही कोई भी कर्मचारी एक दिन में 12 घंटे से ज्यादा और सप्ताह में 60 घंटे से ज्यादा काम नहीं कर पाएंगे. इसके साथ ही कर्मचारी लगातार 7 दिन ओवर टाइम नहीं करेंगे. नई पॉलिसी के अनुसार, अगर कोई कर्मचारी ओवर टाइम करता है तो उसे न्यूनतम मजदूरी के आधार पर हर घंटे के हिसाब से दोगुना भुगतान किया जाएगा.
महिलाएं कर सकेंगी नाइट शिफ्ट में काम
श्रम विभाग (Delhi Labor Department) के नए ड्राफ्ट के मुताबिक दिल्ली में अब महिलाएं नाइट शिफ्ट में भी काम कर सकेंगी. श्रम मंत्री राज कुमार आनंद ने उच्च स्तरीय बैठक कर महिलाओं को नाइट शिफ्ट में काम करने की अनुमति देने और उनकी सुरक्षा समेत अन्य बिंदुओं पर बने ड्राफ्ट पर चर्चा की. श्रम विभाग जनता से इसपर सुझाव व आपत्तियां मांगेगा और उसके बाद ड्राफ्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा.
वर्कप्लेस पर महिलाओं की संख्या बढ़ान के लिए कदम
वर्कप्लेस पर महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने के मद्देनजर दिल्ली सरकार (Delhi Govt) काफी गंभीर है. इससे पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने श्रम विभाग की बैठक ली थी और इस विषय में आगे कदम उठाने के निर्देश दिए थे. उसी परिपेक्ष में श्रम मंत्री राज कुमार आनंद ने श्रम विभाग के अधिकारियों से ड्राफ्ट तैयार करने के निर्देश दिए थे. जिस पर शुक्रवार (28 अप्रैल) को विस्तार से चर्चा की गई और श्रम मंत्री ने ड्राफ्ट को मंजूरी देते हुए यह तय किया गया कि अब महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए उन्हें भी नाइट शिफ्ट में काम करने का अवसर देना चाहिए. हालांकि, महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नियोक्ताओं को महिलाओं के लिए कार्यस्थल पर उचित इंतजाम करने होंगे.
महिलाओं की सहमति होगी जरूरी
नई पॉलिसी के तहत महिलाएं शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे तक काम कर सकेंगी. हालांकि, इसके लिए महिलाओं की सहमति होना बेहद आवश्यक है. नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं के लिए नियोक्ताओं (एम्पलॉयर) को उनके लिए घर से दफ्तर तक यातायात की व्यवस्था करनी होगी. कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए शौचालय, पीने के पानी और उनके आवागमन के लिए उचित व्यवस्था होनी चाहिए और वह उनके कार्यस्थल के पास होना चाहिए.
इसके साथ ही महिलाओं की सुरक्षा के लिए नियोक्ताओं को अलग नंबर जारी करना होगा, जिसे कार्यस्थल के साथ ही वाहन पर लिखा होना चाहिए ताकि किसी भी आपातकालीन परिस्थिति में महिला कर्मचारी इसका इस्तेमाल कर मदद मांग सकें. कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के रोकथाम के लिए सेक्शुअल हैरेसमेंट ऑफ वुमन एट वर्कप्लेस (प्रिवेंशन, प्रोहिबिशन एंड रिड्रेसल) एक्ट 2013 का पालन करते हुए उचित इंतजाम किए जाने चाहिए.
हर कर्मचारी को मिलेगा एक्सपीरियंस लेटर और सैलरी स्लिप
बैठक में श्रम मंत्री ने कहा कि किभी भी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को जॉइनिंग और अनुभव पत्र (एक्सपीरियंस लेटर) देना अनिवार्य होगा. नियोक्ताओं (Employer) को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके यहां कार्यरत सभी कर्मचारियों का रिकॉर्ड दर्ज होना चाहिए, इसी के साथ सभी कर्मचारियों को सैलरी स्लिप जरूर मिलनी चाहिए.
प्रवासी कर्मचारियों को मिलेगा यात्रा भत्ता
जहां भी प्रवासी कर्मचारी कार्यरत होंगे वहां नियोक्ताओं को उन्हें साल में एक बार यात्रा भत्ता देना होगा. इसके लिए नियोक्ताओं को कर्मचारी के लिए कुछ राशि तय करनी होगी. यात्रा भत्ता इतना होना चाहिए कि कोई भी प्रवासी कर्मचारी बस या रेल से यात्रा करते हुए अपने घर आने और जाने का खर्च निकाल सके.
खतरनाक फैक्ट्रियों में काम करने वाले कर्मचारियों की होगी फ्री मेडिकल जांच
दिल्ली में जितने भी कर्मचारी खतरनाक केमिकल और सामग्री से संबंधित फैक्ट्रियों में काम कर रहे हैं उनकी हर साल मेडिकल जांच कराई जाएगी. इसकी जिम्मेदारी भी फैक्ट्री संचालक की ही होगी कि वह अपने कर्मचारियों के खून, पेशाब, एक्स-रे अन्य जांच कराने के साथ ही मेडिकल इंस्पेक्टर द्वारा प्रस्तावित जांच कराना सुनिश्चित करे. लोगों को खतरनाक बीमारियों से बचाने के लिए और कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए श्रम विभाग के इंस्पेक्टर समय-समय पर फैक्ट्री का निरीक्षण करेंगे और नियोक्ताओं को इस दिशा में उचित कदम उठाने के लिए निर्देश देंगे. जिसका पालन न होने पर नियोक्ता के खिलाफ श्रम विभाग ठोस कदम भी उठाएगा.
दुर्घटना होने पर 12 घंटे के अंदर श्रम विभाग को देनी होगी जानकारी
किसी भी कंपनी, फैक्ट्री या अन्य कार्यस्थल पर कोई भी दुर्घटना होने पर नियोक्ता को 12 घंटे के अंदर घटना की जानकारी श्रम विभाग को देनी होगी. वह टेलीफोन, मैसेज और ई-मेल के जरिए श्रम विभाग के इंस्पेक्टर और चीफ इंस्पेक्टर से संपर्क कर सकते हैं. किसी भी कर्मचारी की मृत्यु की घटना पर नियोक्ता को इसकी जानकारी देते हुए श्रम विभाग, जिलाधिकारी या उप-खंड मजिस्ट्रेट और पुलिस स्टेशन इंचार्ज और प्रवासी कर्मचारी होने पर उसके राज्य के संबंधित विभाग को नोटिस भेजकर जानकारी देनी होगी.