Arvind Kejriwal Latest News: दिल्ली  के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत और उन्हें सीबीआई द्वारा गिरफ्तार करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच के समक्ष केजरीवाल की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी, जबकि सीबीआई की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने रखीं. 


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26 जून को सीबीआई ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया था. सीएम ने जमानत से इनकार किए जाने के खिलाफ और सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ दो अलग-अलग याचिकाए दायर की हैं. केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी को जारी रखने के हाईकोर्ट के 5 अगस्त के आदेश को चुनौती दी है. 14 अगस्त को शीर्ष अदालत ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था और उनकी याचिका पर सीबीआई से भी जवाब मांगा था. सीबीआई ने कोर्ट में बताया था कि उन्होंने एक मामले में जवाब दाखिल कर दिया है, जबकि दूसरे केस में जवाब देने के लिए उसे अभी थोड़ा और समय चाहिए. 23 अगस्त को कोर्ट ने केजरीवाल को जवाब दाखिल करने के लिए दो दिन का समय दिया था. 


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मनमाफिक जवाब देने का मतलब गिरफ्तारी नहीं 


गुरुवार को अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि CBI ने उनके मुवक्किल को तब गिरफ्तार किया, जब वो मनी लॉन्ड्रिंग केस में हिरासत में थे. कोर्ट ने कहा कि अगर आरोपी पहले से ही हिरासत में है तो ऐसी सूरत मे कोर्ट की इजाजत लेनी पड़ती है. इस पर सिंघवी ने दलील दी कि सीआरपीसी के 41, 41ए के प्रावधानों पर अमल करे बगैर CBI ने केजरीवाल को गिरफ्तार किया. उन्होंने ये भी कहा, जांच एजेंसी के मनमाफिक जवाब न देने का मतलब ये नहीं कि ये अपने आपमें गिरफ्तारी का आधार हो जाएगा. उन्होंने कहा कि सीआरपीसी की धारा 41ए 2010 में पेश की गई थी. इसका उद्देश्य मनमाने ढंग से की जाने वाली गिरफ्तारियों को रोकना था और यह सुनिश्चित करना था कि  बिना वैध आधार के किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता.


केजरीवाल के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं  


सिंघवी ने कहा कि मगुंटा रेड्डी के बयान के अलावा CBI के पास केजरीवाल के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं है. अरविंद केजरीवाल जमानत की सभी शर्तों पर खरा उतरते है. वह संवैधानिक पद पर हैं और उनके देश छोड़कर भागने की आशंका नहीं है. सिंघवी ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग केस, जहां पर जमानत की दोहरी सख्त शर्तों का प्रावधान है, वहां जमानत मिल गई, लेकिन CBI केस जहां पर ऐसी कोई शर्त नहीं है, वहां हाईकोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया, इसलिए हमें SC आना पड़ा.


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एसवी राजू बोले-निचली अदालत में जाना चाहिए 


सिंघवी के बाद एएसजी एसवी राजू ने अपनी दलीलें शुरू की. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मेरा सवाल केजरीवाल की ज़मानत अर्जी की मेन्टेनबिल्टी पर है. उन्हें जमानत के पहले निचली अदालत जाना चाहिए. HC ने भी उनकी जमानत अर्जी पर विचार नहीं किया था. केजरीवाल का केस कोई स्पेशल केस नहीं है कि HC सीधे जमानत अर्जी पर सुनवाई करता. यही वजह है कि हाईकोर्ट ने उन्हें निचली अदालत जाने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने HC के आदेश को SC में चुनौती दे दी. 


SC ने पूछा, हाईकोर्ट ने कोई फैसला क्यों नहीं किया?


उन्होंने कहा कि सिंघवी कोर्ट में मनीष सिसोदिया, के. कविता और बाकी जिन आरोपियों को मिली जमानत का हवाला दे रहे थे, उन सबने निचली अदालत में जमानत की अर्जी लगाई थी. इस दौरान SC ने सवाल उठाया कि केजरीवाल की जमानत अर्जी पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला क्यों नहीं लिया? जहां सवाल व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हो, वहां HC अपने स्तर पर सुनवाई कर फैसला दे सकता है. इस पर ASG राजू ने सवाल उठाया कि क्या ऐसा प्रिविलेज आम आदमी को भी हासिल है? सिर्फ इसलिए कि केजरीवाल के पास रुतबा है, संसाधन है, उन्हें HC में सीधे सुनवाई का अधिकार नहीं मिल जाता।