भारतीय किसान मोर्चा ने एकबार फिर से केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन का ऐलान किया है. इस प्रदर्शन के दौरान 31 जुलाई को देशभर के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों को चक्का जाम करने का फैसला किया है. वहीं भारतीय किसान मोर्चा के चढूनी गुट ने इससे किनारा कर लिया है.
Trending Photos
दर्शन कैत/कुरुक्षेत्र: किसान आंदोलन के बाद सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस तो ले लिया, लेकिन अभी तक एमएसपी (MSP) के लिए कमेटी का गठन नहीं किया. इस पर गुस्सा जाहिर करते हुए संयुक्त किसान मोर्चे की ओर से 31 जुलाई को देशभर के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों को चक्का जाम करने का फैसला किया गया. इसका समर्थन करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा सोनीपत की और से भी नेशनल हाईवे 44 मुरथल टोल प्लाजा और खरखोदा टोल प्लाजा को पूरी तरह से बंद करने का ऐलान किया.
ये भी पढ़ें: कृषि कानून वापस हुए पर नहीं मिली MSP की गारंटी, अब सरकार के खिलाफ फिर लामबंद होंगे किसान
बता दें कि यह ऐलान भारतीय किसान मोर्चा के टिकैत गुट ने किया था. इसके बाद आज गुरुवार को चक्के जाम को लेकर चढूनी गुट ने अपना पल्ला झाड़ लिया है. धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में भाकियू (BKU) की बैठक के उपरांत चढूनी बोले बाहर से जितना बन पड़ेगा उतना सहयोग देंगे. अब किसानों की मुश्तरका जमीनों के बहाने फिर से सरकार को घेरने की कवायद होगी.
भारतीय किसान यूनियन टिकैत और गुरनाम चढूनी में वर्चस्व की लड़ाई थमने का नाम नहीं ले रही है. आज भारतीय किसान यूनियन चढूनी गुट की कुरुक्षेत्र जाट धर्मशाला में बैठक हुई, जिसमें फैसला लिया गया कि भारतीय किसान मोर्चा टिकैत गुट के 30 जुलाई के चक्का जाम से चढूनी गुट का किनारा रहेगा.
धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में भाकियू की बैठक के उपरांत गुरनाम चढूनी बोले कि बाहर से जितना बन पड़ेगा सहयोग देंगे, यानी कुल मिलाकर दोनों दिग्गज किसान नेताओं के बीच चल रहा शीत युद्ध समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है. वहीं अब किसानों की मुश्तरका जमीनों के बहाने फिर से सरकार को घेरने की कवायद की जाएगी. किसान यूनियन नेता गुरनाम चढूनी ने कहा कि सरकार किसानों की जुमला मालिकान और मुश्तरका मालिकान खाते की जमीनों पर कब्जा करने की कोशिश कर रही है. सरकार ने यह दुर्भाग्यपूर्ण फैसला करवाया और सरकार लैंड बैंक बनाकर यह लाखों एकड़ जमीने कॉर्पोरेट को देगी, जिससे किसान बर्बाद हो जाएगा.
WATCH LIVE TV