Delhi High Court: चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि हमारा काम कानून बनाना नहीं है. हमारा काम कानून पर अमल सुनिश्चित कराना है.
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नई दिल्ली: 2024 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया. चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि हमारा काम कानून बनाना नहीं है. हमारा काम कानून पर अमल सुनिश्चित कराना है. हम अपनी तरफ से ऐसा कोई निर्देश नहीं दे सकते.
हालांकि कोर्ट ने याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय को छूट दी कि वो चाहे तो इसके लिए सरकार या चुनाव आयोग को ज्ञापन दे सकते हैं. पीठ ने ECI को जनहित याचिका पर विचार करने और कानून के अनुसार निर्णय लेने का निर्देश देकर उसका निस्तारण कर दिया.
याचिका का आधार
अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि एक साथ चुनाव कराए जाने पर पैसा और समय की तो बचत होगी ही, ये सुरक्षा बलों, चुनाव डयूटी करने वाले और इलेक्शन कमीशन के कर्मचारियों पर काम के बोझ को भी कम करेगा.
अश्विनी कुमार उपाध्याय ने पानी याचिका में केंद्र सरकार और भारत के चुनाव आयोग (ECI) को यह निर्देश देने की भी मांग की थी कि शनिवार और रविवार सहित छुट्टियों के दिन चुनाव कराने की व्यवहार्यता का पता लगाया जाए, क्योंकि स्कूलों, कॉलेजों, यूनिवर्सिटी, सेवा उद्योगों और निर्माण संगठनों का समय मूल्यवान है. याचिकाकर्ता का कहना है कि आदर्श आचार संहिता लागू होने से केंद्र और राज्य सरकार की परियोजनाओं और कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में देरी होती है
ईसीआई की ओर से पेश वकील ने कहा कि याचिका में प्रार्थना के अनुसार चुनाव कराना तार्किक रूप से संभव है. हालांकि, भारत के संविधान में किए जाने वाले संशोधनों और जन प्रतिनिधि अधिनियम पर विचार करना विधायिका के अधिकार क्षेत्र में है. याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए अदालत ने कहा कि संवैधानिक निकाय होने के नाते चुनाव का कार्यक्रम तय करना चुनाव आयोग का अधिकार क्षेत्र है.