Delhi के बाजारों को सीलिंग से बचाने के लिए मास्टर प्लान 2041 में Amensty Scheme की मांग
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Delhi के बाजारों को सीलिंग से बचाने के लिए मास्टर प्लान 2041 में Amensty Scheme की मांग

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी को आज भेजे एक पत्र में दिल्ली मास्टर प्लान-2041 के तहत दिल्ली की दुकानों को अब और अधिक सीलिंग से बचाने के लिए एक एमनेस्टी स्कीम देने की पुरजोर वकालत की है.

Delhi के बाजारों को सीलिंग से बचाने के लिए मास्टर प्लान 2041 में Amensty Scheme की मांग

नई दिल्ली: कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी को आज भेजे एक पत्र में दिल्ली मास्टर प्लान-2041 के तहत दिल्ली की दुकानों को अब और अधिक सीलिंग से बचाने के लिए एक एमनेस्टी स्कीम देने की पुरजोर वकालत की है. अपने पत्र में, कैट ने पूरे देश में प्रत्येक शहर को एक स्मार्ट शहर बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुसरण में दिल्ली को एक स्मार्ट सिटी का एक आदर्श उदाहरण बनाने के लिए मास्टर प्लान -41 के विभिन्न प्रावधानों की सराहना की है. कैट ने कहा है कि नाइट इकॉनमी को बढ़ावा देने के प्रावधानों के साथ दिल्ली की समावेशी वृद्धि प्रदान करने, खाद्य और खरीदारी सर्किट बनाने, पुरानी संपत्तियों के विध्वंस और पुनर्निर्माण, पुराने गोदामों के नियमितीकरण आदि से दिल्ली में भविष्य में व्यापार के नये अवसर मिलेंगे और बुनियादी सिद्धांतों में बेहतर भविष्य देखने को मिलेगा. हेरिटेज सर्किट का प्रावधान निश्चित रूप से दिल्ली की विशिष्टता और पुरानी संस्कृति को संरक्षित करेगा, जबकि दूसरी ओर व्यापक गतिशीलता योजना बेहतर मानव और परिवहन गतिशीलता की तेजी से बढ़ती मांग को पूरा करेगी.

कैट के महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने पूर्व में 1700 से अधिक अनाधिकृत कॉलोनियों को नियमित किया था, जो दिल्ली के लोगों के लिए एक बड़ी राहत साबित हुई है. इसी तर्ज पर दिल्ली के व्यापारियों को दुकानों को और अधिक सील होने से बचाने के लिए मास्टर प्लान -41 में एक एमनेस्टी स्कीम दी जा सकती है और जो दुकानें सील रह गई हैं उनकी सील खोली जाए, जिससे दिल्ली की सामान्य व्यावसायिक गतिविधियों को फिर से शुरू किया जा सके. खंडेलवाल ने आगे कहा कि पिछले 14 सालों के दौरान जो कुछ हुआ उसे ठीक करने के लिए सभी प्रयास किए गए, जिसका नतीजा यह रहा कि साल दर साल अतीत को सुधारा नहीं जा सका और भविष्य भी लगातार अस्त-व्यस्त बना रहा. 14 साल बीत जाने के बाद भी दिल्ली के व्यापारी आज भी वहीं खड़े हैं. जहां 2006 में थे. इसलिए भावी प्रभाव से कार्रवाई करने की जरूरत है न कि पूर्वव्यापी प्रभाव से और इसलिए एमनेस्टी योजना से दिल्ली के 10 लाख से अधिक व्यापारियों और उनके लगभग 20 लाख से अधिक कर्मचारियों को उनकी आजीविका जारी रहने से बहुत बड़ी राहत मिलेगी .

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खंडेलवाल ने कहा कि यह रिकॉर्ड की बात है कि 1962, 1981 और 2006 के मास्टर प्लान का समय पर कार्यान्वयन नहीं किया गया. जो सीधे तौर पर संबंधित सरकारी विभागों के लापरवाह और सुस्त रवैये को दर्शाता है, जिसके कारण ऐसे सभी निकाय अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में पूरी तरह से विफल रहे हैं. इसलिए ही दिल्ली के लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए व्यापारियों द्वारा असंरचित तरीके से व्यापार विकसित किया गया था. उन्होंने कहा की यहां तक कि शहरी विकास मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव ने भी 2008 में सर्वोच्च न्यायालय में एक हलफनामा दायर किया था और स्वीकार किया था कि विभिन्न सरकारी एजेंसियां पिछले चार दशकों में दिल्ली में केवल 16% वाणिज्यिक स्थान विकसित करने में सक्षम थीं, जो कि दिल्ली के विकास की उपेक्षा का पर्याप्त सबूत है.

खंडेलवाल ने कहा कि कानून की उचित प्रक्रिया के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा दी गई विभिन्न राहतों को निगरानी समिति द्वारा कभी भी संचालित नहीं होने दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में दुकानें जो सरकार के कार्यों के अनुसरण में डी-सील की जा सकती थीं, अभी भी सील बंद हैं. दिल्ली के व्यापारियों को एमसीडी अधिनियम, 1957 की विभिन्न धाराओं के तहत दी गई पर्याप्त नोटिस जारी करने और जवाब देने के लिए समय देने, अपीलीय न्यायाधिकरण में अपील करने, प्रशासक के समक्ष एक और अपील करने के उनके मौलिक अधिकार से वंचित कर दिया गया था. दिल्ली के व्यापारियों के लिए किसी भी "अपील या दलील" का कोई अवसर नहीं था और उक्त निगरानी समिति द्वारा व्यापारियों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित कर दिया गया था.

खंडेलवाल ने कहा कि इस तथ्य के मद्देनजर कि पिछली सभी सरकारों ने दिल्ली की बढ़ती आबादी की आवश्यकताओं के अनुसार वाणिज्यिक स्थान विकसित करने में विफल रही थी, शेष 84% वाणिज्यिक स्थान व्यापारियों द्वारा अपने दम पर विकसित कर दिल्ली के लोगों की जरूरतों को पूरा किया तथा सभी सरकारों के लिए लिए राजस्व संग्रह भी किया. दिल्ली के दुकानदारों से व्यावसायिक आधार पर समय-समय पर संपत्ति कर, बिजली और अन्य सरकारी शुल्क लिए जाते थे, लेकिन उन्हें कभी भी व्यावसायिक दर्जा नहीं दिया गया जो व्यापारियों के साथ घोर अन्याय है. दिल्ली में व्यापार के बेहतर और संरचित विकास के लिए, एमनेस्टी योजना भविष्य की सुंदर दिल्ली का मार्ग प्रशस्त करेगी.