दिल्ली में क्यों बढ़ रहा जलसंकट, पर्यावरणविदों ने बताई इसकी असल वजह
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दिल्ली में क्यों बढ़ रहा जलसंकट, पर्यावरणविदों ने बताई इसकी असल वजह

हर साल जून-जुलाई में सूखने वाली यमुना मई की शुरुआत में ही सूखने लगी है. दिल्ली के लोगों के लिए जीवनदायिनी कही जाने वाली यमुना इस साल तेजी से सूख रही है. 

दिल्ली में क्यों बढ़ रहा जलसंकट, पर्यावरणविदों ने बताई इसकी असल वजह

वैभव परमार/दिल्ली: देश के कई हिस्सों में गर्मी अपने तमाम रिकॉर्ड तोड़ रही है. राजधानी दिल्ली में तो हालात ये हैं कि हर साल जून और जुलाई में सूखने वाली दिल्ली की जीवनदायिनी नदी यमुना इस बार मई की शुरुआत में ही सूखने लगी है.

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दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई हिस्सों में गर्मी अपने तमाम रिकॉर्ड तोड़ रही है. हालात ये हैं कि भीषण लू के चलते एक तरफ लोग बीमार हो रहे हैं, दूसरी तरफ तेजी से बढ़ती गर्मी की वजह से नदियां भी सूखने लगी हैं. दिल्ली में तो हालात ये हैं कि अमूमन हर साल जून और जुलाई में सूखने वाली यमुना मई की शुरुआत में ही सूखने लगी है और इसी वजह से राजधानी के कई इलाकों में जलसंकट भी बढ़ता जा रहा है.

क्षमता से कम काम कर रहे ट्रीटमेंट प्लान
पूरे देश के आंकड़े की बात की जाए तो औसत मार्च और अप्रैल में 2-2 बार लू चली और अप्रैल के आखिरी सप्ताह में तो देश के कई हिस्सों में हीट वेव चलने से लोगों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ा. यही कारण है कि राजधानी में यमुना नदी हर साल के मुकाबले इस बार जल्दी सूख गई. इसकी वजह दिल्ली के तीन वाटर ट्रीटमेंट प्लांट- वजीराबाद, चंद्रावल और ओखला अपनी क्षमता से नीचे काम कर रहे हैं.

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खरीदकर पानी पीने की लाचारी
उत्तर प्रदेश के अमरोहा के रहने वाले 26 साल के अंकित पेशे से डॉक्टर हैं और पिछले 2 साल से दिल्ली के वजीराबाद में रह रहे हैं. अंकित पिछले 2 दिन से अपने घर में पानी आने का इंतजार कर रहे हैं लेकिन 2 दिन होने के बाद भी अब तक इनके घर में पानी नहीं आया. दिल्ली के ही ओखला में रहने वाली 48 वर्षीय दीपा भी पानी की किल्लत से परेशान हैं. पिछले 3 दिन से इनके घर में पानी नहीं आया. इसलिए ये भी बाहर से पानी की बॉटल मंगवाकर काम चला रही हैं. 

पौधों को पानी न मिलने से परेशान
तुषार दिल्ली के वजीराबाद में वर्षों से रहते हैं. बी.कॉम सेकंड ईयर में पढ़ाई कर रहे तुषार पर्यावरण प्रेमी हैं. इन्होंने अपने घर की छत पर ही कई पौधों को लगा रखा है. तुषार की परेशानी ये हैं कि वे खुद की प्यास तो मिनरल वाटर खरीदकर बुझा लेंगे, लेकिन अपने पौधों को पानी नही दे पाएंगे. 

हालात दयनीय नहीं, भयावह 
दिल्ली में पानी की कमी और इससे होने वाली किल्लत से हर साल लोगों को परेशानी होती है, लेकिन इस बार ये किल्लत मई के शुरुआत में हो रही है, जिसे पर्यावरणविदों ने गंभीर बताया है. पर्यावरणविद पंकज सारण के मुताबिक दिल्ली की यमुना ही नहीं, देश की लगभग सभी नदियों की हालत जलवायु परिवर्तन की वजह से खराब होती जा रही है. यह स्थिति दयनीय ही नहीं, भयावह भी है.

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जलवायु परिवर्तन चिंता की विषय
फिलहाल मौसम विभाग ने दिल्ली के लिए मई के महीने को गर्मी से राहत भरा बताया है, क्योंकि इस साल मई में कई वेस्टर्न डिस्टर्बेंस में एक्टिव होने के चलते देश के उत्तरी हिस्सों में बारिश होने के आसार हैं. यही कारण है कि विभाग ने राजधानी के लिए भी बारिश का अनुमान सामान्य से 9 प्रतिशत ज्यादा लगाया है. हो सकता है इससे इस साल लोगों को राहत जरूर मिल जाए, लेकिन जलवायु परिवर्तन साल दर साल चिंता का विषय बनता जा रहा है.

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