Fatehabad News: गौशाला संचालकों के अनुसार गौ प्रेमी से सबसे बड़ा साधन है. अगर दानी लोग आगे न आएं तो गौशालाओं को एक दिन भी चला पाना मुश्किल हो जाएगा. गौशाला संचालक लगातार सरकार की ओर आस भरी दृष्टि से देख रहे हैं कि सरकार उनकी मदद को कब आगे आती है.
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Fatehabad News: जगह और आर्थिक संकट से जूझ रही हैं फतेहाबाद की गौशालाएं, क्षमता से 3 गुणा अधिक गौवंश है गौशालाओं में, प्रदेश में सबसे अधिक गौशालाएं हैं फतेहाबाद में, जिले में कुल 72 गौशालाओं में है करीब 40 से अधिक गौवंश, करीब 5-7 से हजार गौवंश सड़कों और गलियां में भटक रही है बेसहारा, जगह की कमी, नाममात्र की सरकारी सहायता और आर्थिक संकट से जूझ रही गौशालाएं देख रही है सरकार की ओर.
जहां एक ओर प्रदेश की सड़कों पर बेसहारा घूमती गौवंश बड़ी परेशानी का कारण बनी हुई है तो वहीं इन्हें संभालने वाली गौशालाएं भी आज के समय में बड़ी परेशानी से जूझ रही है. इन गौशालाओं में न तो पर्याप्त जगह है और न ही आय का कोई स्त्रोत. फतेहाबाद, जिले की बात की जाए तो पूरे प्रदेश में सबसे अधिक गौशालाएं अगर कहीं हैं तो फतेहाबाद जिले में है. फतेहाबाद जिले में कुल 72 गौशालाएं हैं जिनमें 67 गौशालाएं रजिस्टर्ड हैं जबकि 5 गौशाला अनरजिस्टर्ड हैं.
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इन गौशालाओं में करीब 45 हजार से अधिक गौवंश का सहारा बनी हुई हैं. जबकि 5 से 7 के करीब गौवंश अभी सड़कों पर बेसहारा घूम रही है. गौशाला संचालकों की मानें तो रोजाना बड़ी संख्या में गौवंश सड़कों पर मिलता है, जिन्हें गौशालाओं में लाया जाता है. इनमें अधिकांश बूढ़ी गाय और सड़क दुर्घटना का शिकार होती है. फतेहाबाद की गौशाला संचालकों की मानें तो उनके पास इतनी जगह ही नहीं है कि इन गौशालाओं और गौवंश को रखा जा सके.
फतेहाबाद अनाजमंडी के समीप बनी हरियाणा गौशाला संचालकों ने बताया कि उनके पास करीब अढ़ाई एकड़ जगह है, जिसमें गौशाला, चारा रखने का स्थान, चिकित्सालय बने हुए हैं. उनकी गौशाला की क्षमता 600 से 700 गऊओं की रखने की है जबकि इस वक्त उनके पास 2 हजार से अधिक गौवंश है. कमोवेश यही स्थिति हर गौशाला की है. इन गौशालाओं में रह रहे गौवंश की सेवा के लिए यूं तो गौप्रेमियों और गौशाला संचालकों द्वारा कोई कमी नहीं रखी जाती.
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उन्होंने आगे बताया कि गर्मियों के मौसम में गऊओं के बाड़े में पंखे, कूलर तक की व्यवस्था की गई जाती है, जगह के अभाव में पशुओं को इतना सटकर खड़ा रहना पड़ता कि उन्हें गर्दन घुमाने में भी मुश्किल होती है. वहीं गर्मी के इस सीजन में स्थिति और भी विकट हो जाती है, तेज गर्मी, लू ऊपर से चारे का संकट गौशाला संचालकों के लिए बड़ी चुनौती बनती है. गौशाला संचालकों की मानें तो सूखे चारे, तूड़ी के रेट इतने बढ़ गए हैं कि तूड़ी खरीद पाना उनके बूते से बाहर होता जा रहा है.
उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से 300 रुपये प्रति गाय प्रति वर्ष के हिसाब से मिलते हैं जबकि प्रति गाय पर प्रतिदिन का खर्चा 150 रुपये से अधिक है. गौशाला संचालकों ने बताया कि सरकार के आगे वे कई बार गुहार लगा चुके हैं. मगर सरकार उनकी ओर ध्यान नहीं दे रही है. उन्होंने कहा कि गौशालाओं को सरकार अगर अतिरिक्त जगह मुहैया और कुछ ग्रांट मुहैया करवा दे तो स्थिति में सुधार हो सकता है.
उन्होने कहा कि अगर उन्हें अतिरिक्त जगह मिलती है तो न केवल गऊओं के लिए आश्रय बनाया जा सकता है बल्कि उस जमीन गौवंश के लिए चारा के बिजाई भी की जा सकती है. गौशाला संचालकों के अनुसार गौ प्रेमी से सबसे बड़ा साधन है. गौशालाओं को चलाए रखने का. उन्होंने कहना है कि अगर दानी लोग आगे न आएं तो गौशालाओं को एक दिन भी चला पाना मुश्किल हो जाएगा. गौशाला संचालक लगातार सरकार की ओर आस भरी दृष्टि से देख रहे हैं कि सरकार उनकी मदद को कब आगे आती है.
(इनपुटः अजय मेहता)