गाजियाबाद के शहीद मोहित शर्मा की कहानी, जानें उनके माता-पिता की जुबानी
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गाजियाबाद के शहीद मोहित शर्मा की कहानी, जानें उनके माता-पिता की जुबानी

आजादी के अमृत महोत्सव के तहत देशभर में हर घर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा है. इस बीच पत्रकारों ने गाजियाबाद के शहीद मेजर मोहित शर्मा के माता-पिता से उनके बारे में बातचीत की, जिसमें उन्होंने पत्रकारों को शहीद मोहित शर्मा के बारे में बताया.

गाजियाबाद के शहीद मोहित शर्मा की कहानी, जानें उनके माता-पिता की जुबानी

गाजियाबाद: देश की स्वतंत्रता के 75 साल होने पर अमृत महोत्सव के तहत हर घर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा है. देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दे चुके भारत मां के सपूतों को भी देश याद कर रहा है. गाजियाबाद के साहिबाबाद में रहने वाले वीर सपूत मेजर मोहित शर्मा ने भी आतंकियों से टक्कर लेते हुए देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया था.

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जी मीडिया की टीम ने शहीद मेजर मोहित शर्मा के परिवार से हमने बात की. इस दौरान शहीद मोहित शर्मा की मां सुशीला शर्मा ने बताया कि मेजर मोहित शर्मा 13 जनवरी 1978 में पैदा हुए थे और मोहित शर्मा डीपीएस गाजियाबाद के छात्र थे. 1995 में एनडीए के जरिए वो भर्ती हुए थे. उनको याद करते हुए उनकी मां ने बताया कि मोहित बचपन से कहता था कि मैं किसी भी आतंकी को नहीं छोडूंगा और एक-एक को खत्म करूंगा. मरने से पहले भी उसने दो आतंवादियों को मार गिराया था और अपने 2 साथियों की जान भी बचाई थी. बलिदान होने से पहले ये कुपवाड़ा में तैनात थे और आतंकियों की सूचना मिलने पर 10 वीर सैनिकों की टीम मौके पर पहुंची थी, जहां आतंकियों के हमले में वीर सपूत मोहित शर्मा सहित 8 वीर सपूत शहीद हो गए. हालांकि शहीद होने से पहले इन्होंने 2 आतंकियों को मार गिराया था और अपने दो साथियों की जान भी बचाई थी. वहीं वीर शहीद मोहित शर्मा की मां ने मीडिया के जरिये देश की सरकार से अपील की कि देश के लिए शहीद हुए जवानों के माता पिता के लिए भी सरकार को कुछ कदम उठाने चाहिए, जिससे अन्य लोग भी अपने बेटों को सेना में भेजने के लिए प्रेरित हों.

वहीं शहीद मोहित शर्मा के पिता राजेंद्र शर्मा ने बताया कि उनका बेटा मोहित शर्मा एनडीए के लिए पैरा 1 फोर्स में गए. एनडीए में उन्हें बेस्ट बटालियन कैडेट चुना गया. इसके बाद उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति के आर नारायण से मिलने का मौका भी मिला. वह 4 आतंकियों को मारते हुए और अपने 2 साथियों की जान बचाते हुए देश के लिए 21 मार्च 2009 को शहीद हो गया. 26 जनवरी 2010 को शहीद मेजर मोहित शर्मा को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था. 2012 में एक सड़क का नाम मोहित शर्मा के नाम पर रखा गया. 2019 में मेट्रो शुरू होने के समय राजेंद्र नगर मेट्रो का नाम शहीद मेजर मोहित शर्मा राजेंद्र नगर मेट्रो स्टेशन रखा गया. 

उनके पिता ने बताया कि 2021 में करण गेट पुलिस चौकी चौराहे पर मेजर मोहित शर्मा की एक मूर्ति भी लगाई गई, जिसका उद्घाटन देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा किया गया था. महज 31 साल की उम्र में मेजर मोहित शर्मा ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था. वो दो भाई थे और उनका बड़ा भाई एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, जो फिलहाल यूएस में कार्यरत है.

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