चंडीगढ़: वरिष्ठ कांग्रेस नेता किरण चौधरी ने हरियाणा और केंद्र सरकार पर किसानों के उत्पीड़न का आरोप लगाया है. आज पत्रकारों से बार करते हुए उन्होंने कहा कि किसान विरोधी नीतियों और रबी की खरीद के लिए सरकार की अपर्याप्त व्यवस्था के कारण किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. 


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उन्होंने सरसों की फसल 50 रुपये प्रति किलो बिकने पर निराशा व्यक्त की. उन्होंने कहा कि हरियाणा की विभिन्न मंडियों में 5450 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी के मुकाबले 4500 से 5000 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी खरीद एजेंसियों के अधिकारियों ने किसानों के शोषण को सुविधाजनक बनाने के लिए तेल मिलों के साथ हाथ मिलाया है. एमएस स्वामीनाथन की सिफारिशों के सी-2 फार्मूले के अनुसार एमएसपी देने का भाजपा का वादा एक दिवास्वप्न और जुमला मात्र है.


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किरण चौधरी ने आगे बताया कि असमय बारिश, ओलावृष्टि और खराब मौसम के कारण हरियाणा में गेहूं और अन्य रबी फसलों को व्यापक नुकसान हुआ है. समाचार रिपोर्ट के अनुसार किसानों ने ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर 17.15 लाख एकड़ में गेहूं की खड़ी फसल को नुकसान की सूचना दी है. वास्तविक नुकसान और अधिक हो सकता है, क्योंकि बहुत से किसान आईटी के जानकार नहीं हैं और इंटरनेट आधिकारिक पोर्टल तक नहीं पहुंच सकते हैं.


किरण चौधरी ने  पटवारियों द्वारा प्राकृतिक आपदा से फसलों के नुकसान के लिए की जाने वाली विशेष गिरदावरी की धीमी गति पर असंतोष जताया. इस उद्देश्य के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों को तैनात किया जाए और विशेष गिरदावरी युद्धस्तर पर की जाए, क्योंकि इसके बाद कोई गिरदावरी नहीं की जा सकती है. गेहूं की कटाई हो चुकी है.


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किरण चौधरी ने कहा कि प्राकृतिक आपदा के कारण गेहूं की गुणवत्ता खराब होने की स्थिति में केंद्र सरकार ने फसल को रियायती दरों पर खरीदने की बात  कही थी. उन्होंने कहा कि गेहूं की चमक या दानों के आकार में कमी के कारण किसानों को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए. राज्य सरकार पर बढ़ते कर्ज के बोझ को देखते हुए यह खर्च केंद्र सरकार को वहन करना चाहिए. 


ऑफलाइन भी किया जाए फसल नुकसान का दावा 
वर्तमान में फसलों को हुए नुकसान का आकलन तीन स्तरों पर किया जा रहा है - पटवारी, कृषि विभाग और HARSAC के उपग्रह डेटा। यह प्रक्रिया बहुत जटिल होने के कारण किसानों को परेशान किए जाने की संभावना है. उन्होंने मांग की कि ऑनलाइन पोर्टल के अलावा किसानों को सभी कार्यालयों में मैन्युअल रूप से अपने दावे प्रस्तुत करने का विकल्प दिया जाना चाहिए. उन्होंने निजी बीमा एजेंसियों के पिछले निराशाजनक प्रदर्शन को देखते हुए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसलों को हुए नुकसान की भरपाई का काम सरकारी कंपनियों या किसान सहकारी समितियों को सौंपे जाने की मांग की.


किसानों को बोनस देने की मांग 
उन्होंने विस्तार से बताया कि असमय बारिश, ओलावृष्टि, खराब मौसम और विनाशकारी जलवायु परिवर्तन के कारण प्रति एकड़ उत्पादन में कमी आई है और हरियाणा में रबी फसलों की गुणवत्ता में कमी आई है. इस स्थिति को देखते हुए सरकार को हरियाणा के सभी किसानों को गेहूं पर 500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से यथानुपात बोनस देना चाहिए. 


इनपुट: विजय राणा