Haryana News: रशियन और यूक्रेन युद्ध में फंस युवाओं के परिजनों ने सरकार से लगाई गुहार बोले- हमारा उनसे संपर्क टूट गया. 1 महीने बाद उसने एक अनजान नंबर से हमें फोन करके बताया कि वह घायल हो गया है और उसके पांव में गोली लगी है. उसने बताया कि उनके साथ जबरदस्ती करके उसे युद्ध लड़ाया जा रहा है. हम सरकार से उसे वापस लाने की गुहार लगा रहे हैं.
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Haryana News: रूस और यूक्रेन के बीच धकेल गए भारतीयों का डेटा आए दिन बढ़ता जा रहा है. हरियाणा के करनाल के हर्ष के बाद अब पता चला है की युद्ध में गुमराह करके भेजे गए हरियाणा के युवाओं को फसाने के लिए एजेंटों का जाल किस तरह से फैला है. इसी तरह का मामला कैथल के उप मंडल कलायत के गांव मटौर से सामने आया है. जहां से 7 युवा रशियन आर्मी में बतौर हेल्पर गए थे और उन्हें अब फ्रंट का सैनिक बना दिया गया है. यह हरियाणा के कैथल जिले के बाग सिंह है, जिन्होंने रोजगार की तलाश में खेती की जमीन का आधा एकड़ बेचकर बेटे साहिल को विदेश भेजा.
पैसे लेकर युवाओं को धकेला युद्ध में
लेकिन, ऐजेंट ने बाग सिंह को दस लाख रुपये लेकर उनके बेटे साहिल को रूस और यूक्रेन युद्ध में धकेल दिया है. दोनों देशों के बीच चल रहे इस जानलेवा युद्ध में उनके बेटे को गोली लगी है, जिसकी जानकारी बाग सिंह को कुछ दिन पहले ही मिली है. रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में इन बेरोजगार युवाओं को टारगेट करके ही विदेश में अच्छी सैलरी का प्रलोभन देकर भेजा गया है. साहिल के पिता बाग सिंह को भी यही बताया गया था की उनके बेटे साहिल को सामना लोडिंग और अनलोडिंग करना है, लेकिन कुछ दिन की ट्रैनिंग के बाद उसे जबरदस्ती यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में उतार दिया.
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रोजगार के लालच में युद्ध में फंस युवा
पिता ने बताया कि बेरोजगारी के कारण मैंने अपने बेटे को विदेश भेजा था ताकि उसे रोजगार मिल सके, लेकिन उसे वहां काम नहीं मिला तो ऐजेंट ने उसे आगे भेज दिया. अब वो युद्ध में फंस गया है. उसका फोन जब्त कर लिया गया है. उसके पांव में गोली लगी है. हम चाहते हैं कि वह वापस आ जाए. एजेंट को हमने आधा एकड़ जमीन बेचकर 10 लाख रुपये देकर अपने बेटे को विदेश भेजा था. ऐजेंट ने हमें बताया था कि सिर्फ सैनिकों का सामान लोड और अनलोड करना है. मैंने अपने बेटे के लिए आधा एकड़ जमीन बेचनी पड़ी ताकि उसे विदेश में जाकर रोजगार मिल सके.
परिजनों से नहीं हो पा रहा कोई कांटेक्ट
रशियन आर्मी की वर्दी में गाड़ी पर लगाईं गए ये फोटो गर्व का प्रतीक थी, लेकिन अब इसी फोटो से मदद मांगी जा रही है. गाड़ी की सफाई कर रहा ये युवक कैथल जिले का अजय है. जो खुद की टैक्सी चलाकर परिवार का गुजारा करता है. परिवार के अच्छे गुजारे के लिए इन्होंने ऐजेंट को दस लाख रुपये देकर भाई को विदेश भेजा था, जिसे जबरदस्ती रुस और युक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में धकेल दिया गया. अजय ने बताया कि मेरा भाई रशियन आर्मी में गया है. हमारी अब उससे कोई बातचीत नहीं हो रही. उसने आखिरी बातचीत में बताया कि वह लड़ाई में जा रहा है. हमारे गांव के एक दूसरे युवा को युद्ध में गोली लगी है. जो अब अस्पताल में है.
उन्होंने आगे कहा कि वह हमसे वहां से निकालने की गुहार लगा रहे हैं. ऐजेंट ने हमें बताया था कि वह 8 महीने में वहां पर पक्का हो जाएगा. विदेश भेजने के नाम पर एजेंट ने हमसे 10 लाख रुपये लिए थे. उनकी मदद के लिए मैंने एंबेसी को ईमेल करवाया है. मेरी आखरी बातचीत 12 मार्च को हुई थी. मोटी सैलरी और चमचमाती लाइफस्टाइल वाली नौकरी के लालच एजेंटों ने धोखे से कई भारतीयों को रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे जानलेवा युद्ध में धकेल दिया है. मेरा भाई बेरोजगारी के कारण यहां से रूस गया था.
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परिजनों ने सरकार से लगाई गुहार
उन्होंने कहा कि ऐजेंट उसे ट्रक से सामान लोड करने की बात कहकर लेकर गया था. वहां जाने के बाद मेरे भाई से रशियन भाषा में एक कॉन्ट्रैक्ट साइन करवाया गया. उसके बाद उसकी सेना में 15 दिन ट्रेनिंग करवाई गई. उसके बाद उसे युद्ध ले जाया गया. उसके बाद हमारा उससे संपर्क टूट गया. हमने सोचा कि वह ठीक होगा. 1 महीने बाद उसने एक अनजान नंबर से हमें फोन करके बताया कि वह घायल हो गया है और उसके पांव में गोली लगी है. उसने बताया कि उनके साथ जबरदस्ती करके उसे युद्ध लड़ाया जा रहा है. हम सरकार से उसे वापस लाने की गुहार लगा रहे हैं.
कैथल जिले के गांव मटोर के सोनू ने बताया कि उनके गांव से करीब 7 युवा यूक्रेन युद्ध में धकेले गए है. ऐजेंट उन्हें यहां से झूठ बोलकर ले गया. ऐजेंट ने बताया था कि उनसे सिर्फ लेबर का काम लिया जाएगा. अब उन्हें युद्ध में बली का बकरा बनाया जा रहा है. हमारी सरकार से अपील है कि सभी को जल्दी से जल्दी बाहर निकाला जाए. पर कुछ दिन पहले रशियन सेना की वर्दी पहनकर करनाल के हर्ष ने अपनी वीडियो वायरल करके सरकार से मदद की अपील की थी. हर्ष का भी यही आरोप था कि उसे जबरदस्ती इस जंग में फसाया गया है. हर्ष के परिवार वालों को उसके घर वापिस लौटने का इंतजार है.
(इनपुटः विपिन शर्मा)