Eye Infection: बाढ़ के पानी से आंखों के पानी तक मॉनसून ने मचाई तबाही! चारों तरफ फैला कंजक्टिवाइटिस
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Eye Infection: बाढ़ के पानी से आंखों के पानी तक मॉनसून ने मचाई तबाही! चारों तरफ फैला कंजक्टिवाइटिस

Eye Infection: आई फ्लू के लिए जगह-जगह भरा हुआ पानी और वातावरण में हर वक्त उमस और नमी वायरस और बैक्टीरिया के फैलने के लिए सबसे अच्छा मौका होता हैं. मेडिकल भाषा में आंखे लाल होने की इस बीमारी को कंजक्टिवाइटिस कहते हैं कुछ लोग इसे पिंक आई या आई फ्लू भी कहते हैं.

Eye Infection: बाढ़ के पानी से आंखों के पानी तक मॉनसून ने मचाई तबाही! चारों तरफ फैला कंजक्टिवाइटिस

Eye Infection: दिल्ली से लेकर बिहार और गुजरात से लेकर महाराष्ट्र तक लोग लाल आंखें लिए घूम रहे हैं. इन सभी राज्यों में इस बार मॉनसून जल्दी आया है और देर तक टिके रहने के इरादे से आया है. जगह-जगह भरा हुआ पानी और वातावरण में हर वक्त उमस और नमी वायरस और बैक्टीरिया के फैलने के लिए सबसे अच्छा मौका होते हैं। तो इस बार आई फ्लू ने लोगों की आंखों में लाल डोरे डाल दिए हैं. मेडिकल भाषा में आंखे लाल होने की इस बीमारी को कंजक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) कहते हैं कुछ लोग इसे पिंक आई (Pink Eye) या आई फ्लू (Eye Flu) भी कहते हैं.   

- आंखों में जलन होना

- पानी आना 

- आंखों में दर्द होना

- आंखों का लाल होना  

दिल्ली के एम्स की ओपीडी में रोजाना आई फ्लू की शिकायत वाले 100 मरीज आ रहे हैं. प्राइवेट आई अस्पतालों में भी 40 से 50 मरीज रोज कंजक्टिवाइटिस से परेशान होकर पहुंच रहे हैं. अगर आपको ये सभी दिक्कते हो रही हैं तो आपको इंफेक्शन हो चुका है. ये इंफेक्शन एक से दूसरे मरीज में बहुत तेजी से फैलता है. इसलिए आपको इससे बचने की बहुत जरुरत है.

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पिछले साल भी फैला था आई फ्लू

दिल्ली के इस प्राइवेट आई हॉस्पिटल में पिछले साल जुलाई में कंजक्टिवाइटिस के 600 मामले सामने आए थे. इस बार अभी तक जुलाई में ही 1200 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. शार्प साइट सेंटर निदेशक डॉ. समीर सूद के मुताबिक, कंजक्टिवाइटिस आंखों के सफेद हिस्से में इरिटेशन से शुरु होता है. मॉनसून, उमस, नमी और पानी वाला वातावरण इस आई फ्लू को तेजी से फैलने में मदद करता है.

वैसे तो इस बीमारी का मरीज 5 से 7 दिन में रिकवर हो जाता है, लेकिन ये वक्त बहुत परेशानी भरा हो सकता है, लेकिन मरीज अपनी मर्जी से इलाज न करें. इसकी बड़ी वजह ये है कि आई फ्लू होने की तीन बड़ी वजहे हैं और वजहों के हिसाब से ही इलाज हो सकता है.   

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- एलर्जी

- वायरल इंफेक्शन

- बैक्टीरियल इंफेक्शन

इन्हीं में से कोई और कारण भी हो सकते हैं. उसी के हिसाब से आई ड्रॉप दी जाती हैं, जिस मरीज को एंटीबायोटिक दवाओं की जरुरत हो उन्हें दवाएं भी दी जाती हैं.

बचाव कैसे करें

कोरोना वायरस की तरह ही इस बीमारी में भी मरीज के लिए आइसोलेशन बेहद जरुरी है जिससे ये दूसरों को न फैले. इसी के साथ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुराग वाही के मुताबिक, मरीज को काला चश्मा पहनकर रहना चाहिए. इससे दो फायदे हो सकते हैं. पहला फायदा ये कि मरीज बार-बार अपनी आंखों को हाथ लगाने से बचेगा और दूसरा फायदा ये होगा कि ऐसे मरीज फोटो सेंसिटिव होते हैं जिसकी वजह से उन्हें तेज रोशनी से परेशानी हो सकती है. तो काला चश्मा तेज रोशनी से भी बचाएगा.

इसी के साथ साफ पानी से आंखों को धोते रहें और हाथों को बार-बार साबुन या सैनिटाइज करते रहे. अपनी पर्सनल चीजें जैसे तौलिया, तकिया, रुमाल, चश्मा वगैरह किसी से शेयर न करें. बार-बार चीजों को न छुएं, जैसेः- दरवाजे का हैंडल, टेबल वगैरह आपके हाथों से इंफेक्शन किसी भी सरफेस पर रह सकता है और वहां से दूसरे तक इंफेक्शन पहुंच सकता है.   

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कैसे बचें – 

अगर आप भी इन दिनों आई फ्लू से परेशान हैं तो भीड़ में जाने से बचना चाहिए. पब्लिक प्लेस या भीड़ वाली जगह पर जीरो पावर का साधारण चश्मा या सनग्लासेस लगा लेने चाहिए. ताकि आप खुद बार-बार आंखों को हाथ न लगाएं. अगर बच्चों को ये बीमारी हो तो उन्हें स्कूल नहीं भेजना चाहिए. मरीज की आंखों में देखने से ये बीमारी नहीं फैलती. वैसे ये बीमारी 5-7 दिन में ठीक हो जाती है, लेकिन कुछ मरीजों में आंखों के सफेद हिस्से से बढ़कर इंफेक्शन आंखों की पुतली तक पहुंच सकता है. ऐसे मामले खतरनाक हो सकते हैं.

(इनपुटः पूजा मक्कड़)