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पानीपत: केंद्र सरकार ने जहां किसानों को अपनी योजनाओं के तहत दोगना आए करने का संकल्प लिया था. इसके तहत किसान पानीपत में सरकार की किसानों की योजनाओं का लाभ उठाकर प्रगतिशील किसान की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं. पानीपत जिले के गांव बडौली के युवा किसान सुरेश पिछले 20 साल से भी ज्यादा समय से 25 एकड़ भूमि पर गेंहू, धान डीएसआर, मटर, खरबूजा और प्याज की खेती कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि किसानों को अपनी लागत में कमी कर अधिक लाभ उठाना चाहिए.
पराली प्रबंधन की मशीनों पर मिली 80% सब्सिडी- किसान
किसान सुरेश ने बताया कि गेहूं, मटर, सरसों की खेती में अधिक लाभ उठा रहे हैं. उन्होंने बताया कि 40 से 50 क्विंटल प्रति एकड़ मटर का उत्पादन करते हैं. जिस पर ₹15,000 प्रति एकड़ के हिसाब से खर्च आता है. उन्होंने बताया कि जिसमें लगभग प्रत्येक 50 से 60 हजार का मुनाफा होता है. किसान ने जानकारी देते हुए बताया कि यदि योजनाबद्ध तरीके से खेती की जाए तो मुनाफा अधिक होता है. उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया की मटर की देर से खेती करने से लाभ अधिक होता है.
सुरेश ने बताया कि सरकार की सभी योजनाओं को बेहतर तरीके से लाभ उठा रहे हैं और सब्सिडी ले रहे हैं. उन्होंने बताया कि सरकार की योजनाओं के अनुसार 5 एकड़ में ड्रिप सिस्टम, कस्टम हायरिंग सेंटर पराली के प्रबंधन की सभी मशीनें, सोलर प्लांट सब्सिडी पर ली है. किसान ने बताया कि पराली प्रबंधन की मशीनों पर 80% सब्सिडी मिली तो अन्यों पर 40% सब्सिडी मिलती है. सरकार की सभी योजनाएं किसानों के लिए फायजेमंद है तो विभाग की तरफ से एडीओ डिप्टी डायरेक्टर समय-समय पर निरीक्षण करते रहते हैं. उन्होंने जानकारी देते बताया कि व्हाट्सएप ग्रुप के द्वारा भी जानकारी मिलती है. सुरेश ने बताया कृषि विज्ञान केंद्र के सीनियर कोऑर्डिनेटर डॉ राजबीर गर्ग के मार्गदर्शन में पिछले 10 सालों से अनुभव लेकर खेती कर रहे हैं.
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7 किसानों को मिला चुका है अवार्ड
किसान ने यह भी कहा कि आसपास के किसानों को भी पराली में खेती करने के तरीके बता रहे हैं और उन्हें जागरूक करते हैं. उन्होंने बताया पिछले कई सालों से पराली में गेहूं की सीधी बिजाई की मशीनें लगाकर खेती करते हैं. वही उन्होंने जानकारी दी कि पराली प्रबंधन की मशीन जो कि लगभग 3 लाख से अधिक की कीमत की है 80% सीडी लेकर डेढ़ लाख रुपए में मिली तो सोलर पंप भी सरकारी योजनाओं के तहत लगाएं. उन्होंने कहा कि इंडियन इंस्टिट्यूट बारले रिसर्च के संपर्क में आने के बाद गेहूं का उत्पादन शुरू किया तो उनका लक्ष्य 30 क्विंटल गेहूं का उत्पादन करना था. हमने 25 किवंतल से अधिक गेहूं का उत्पादन करते हैं जिसे लेकर हरियाणा के 7 किसानों में से मुझे भी इंडियन इंस्टीट्यूट बारले रिसर्च द्वारा अवार्ड मिल चुका है.
सुरेश ने बताया कि इसके साथ-साथ घर की जरूरतों अनुसार फल और सब्जी में नाशपति, अमरुद, बेलगिरी, अंगूर की खेती भी करते हैं तो वहीं ड्रैगन खेती का भी उत्पादन कर रहे हैं. जिसमें सरकार सब्सिडी दे रही है
किसान वेद प्रकाश सरकार की योजनाओं को बेहतर तरीके से खेती में प्रयोग करके प्राकृतिक खेती कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इन सभी योजनाओं के बारे में वे दूसरे किसानों को भी जानकारी देते हैं. कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ संयोजक डॉ. राजवीर गर्ग ने बताया कि केंद्र और प्रदेश सरकार की कृषि से संबंधित बहुत सी योजनाएं हैं. उन्होंने बताया कि जो किसान जागरूक होगा वही सरकार की योजनाओं का लाभ उठा सकेगा. अधिकारी ने बताया कि सरकार की ऐसी बहुत सी योजनाएं हैं जिसमें सरकार के लक्ष्य पूरे नहीं होते लेकिन लाभ उठाने वाले किसान सामने नहीं आते हैं. अधिकारी ने बताया कि बागवानी के क्षेत्र में सरकार हर पहलू पर सब्सिडी के साथ इंसेंटिव दे रही है. उन्होंने बताया कि पॉलीहाउस ,नेशनल प्लांटिंग मेटीरियल ,नया बाग फूलों की खेती के साथ फसल अवशेष प्रबंधन 80% पर मशीनें किसानों को दी जा रही है.
किसान को सरकार उन्हें 80% सब्सिडी देकर नाम मात्र पैसे लेती है. मेरा पानी मेरी विरासत किसानों को लाभ दिया जाता है. डॉ राजवीर ने कहा कि किसान अपनी योजनाओं को लेकर आए ताकि उन्हें परियोजनाओं का इस्तेमाल करके जिससे उनकी कमाई में मदद मिले. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को बधाई देनी चाहिए क्योंकि सभी योजनाएं ऑनलाइन है. किसी भी बिचोले का कोई काम नहीं है. ऑनलाइन होने से अधिकारियों के बार-बार चक्कर भी नहीं काटने पड़ते है.
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डॉ राजवीर ने किसानों से अपील की कि ऑनलाइन स्कीमों का लाभ लेने के लिए अप्लाई कर सकते हैं. यदि किसी प्रकार की कमी होगी तो अधिकारी उसकी पूर्ति खुद करेंगे. उन्होंने कहा कि किसानों को स्कीमों की जानकारी होनी बहुत जरूरी है. कहा कि खेती की नई तकनीक की जानकारी के लिए कैंप का आयोजन किया जाता है. इसके साथ ही केम्पों में लिटरेचर भी बांटा जाता है. उन्होंने बताया कि कृषि विभाग के पास सामुदायिक रेडियो स्टेशन है जिस पर लगातार रेडियो के माध्यम से बातचीत चलती रहती है.
अधिकारी ने जानकारी देते बताया कि पानीपत में बहुत से किसानों ने सब्जी के क्षेत्र में अच्छा काम कर प्रगतिशील किसान बने हैं. उन्होंने कहा कि बहुत से किसानों ने धान की फसल छोड़कर सब्जी की खेती को अपनाया है. भारत सरकार का 2022 का लक्ष्य था कि किसानों की आमदनी को दोगुनी किया जाए, जिसे लेकर पानीपत के 110 किसानों की सफलता की स्टोरी बनाकर भारत सरकार को भेजी गई. उन्होंने बताया कि 110 किसानों की सफलता की स्टोरी बनाने के बाद यह निष्कर्ष निकला कि जो किसान धान की फसल आज भी कर रहा है. उसकी आय में इजाफा नहीं हुआ है, लेकिन जिस किसानों ने गन्ना सब्जी आधारित और पशुपालन को साथ लेकर काम किया और मशरूम की खेती की उनकी आमदनी दोगुनी से ज्यादा तिगुनी हुई है.
Input: राकेश भयाना