Panipat Polics: 2024 के चुनाव में पानीपत के इस घराने में छिड़ सकती है राजनीतिक जंग, क्या होगा कांग्रेस का कदम?
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Panipat Polics: 2024 के चुनाव में पानीपत के इस घराने में छिड़ सकती है राजनीतिक जंग, क्या होगा कांग्रेस का कदम?

Panipat Polics: 5 बार विधायक रह चुके बलबीर पाल शाह ने छोटे भाई वीरेंद्र शाह के लिए राजनीति से दूरी बना ली थी, लेकिन अब बलबीर के बेटे बिक्रम शाह ने आगामी चुनाव में अपने चाचा को जता दिया है कि अब वह पिता की विरासत को संभालने के लिए तैयार हैं.

Panipat Polics: 2024 के चुनाव में पानीपत के इस घराने में छिड़ सकती है राजनीतिक जंग, क्या होगा कांग्रेस का कदम?

Panipat News: हरियाणा प्रदेश की राजनीति तीन लाल भजनलाल, देवीलाल व बंसीलाल के बिना अधूरी मानी जाती है.  इन तीनों का जिक्र किए बिना हरियाणा की राजनीति के बारे में बात करना ही व्यर्थ है. प्रदेश की राजनीति में अपने क्षेत्रों के भी कई बड़े घरानों के नाम आते हैं, जिनके बिना भी उनके क्षेत्र में राजनीति के कुछ मायने नहीं है. हम बात करें राव इंद्रजीत राव ,कैप्टन अजय यादव व शाह परिवार, जिन्होंने राजनीति में कदम रखकर अपनी अलग पहचान बनाई. 

इसी तरह पानीपत का एक बड़ा घराना हुकूमत राय शाह का भी है. पानीपत की राजनीति में अगर शाह परिवार का नाम नहीं लिया जाए तो राजनीति की बात करना व्यर्थ है. 1972 में पानीपत को हुकूमत राय शाह के रूप में पहला विधायक मिला था. यही से शाह परिवार का राजनीति में प्रवेश हुआ. उनके दो  बेटे (बड़ा बेटा बलबीर पाल शाह व छोटा वीरेंद्र शाह उर्फ बुल्ले शाह) हैं. इन दोनों भाइयों के बिक्रम शाह व विपुल शाह बेटे हैं.

पानीपत में बलबीर पाल शाह 5 बार विधायक, 1 बार परिवहन मंत्री व 1 बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके हैं. 2014 के बाद से बलबीर पाल शाह राजनीति से दूर हो गए, क्योंकि उनके छोटे भाई वीरेंद्र शाह चुनाव लड़ना चाहते थे. लेकिन 2014 में बुल्ले शाह ने चुनाव लड़ा और हार गए. पानीपत के इतिहास में पहली बार था, जब 2019 में कांग्रेस की टिकट पर शाह परिवार से किसी भी शख्स ने चुनाव नहीं लड़ा, क्योंकि वीरेंद्र शाह उर्फ बुल्ले शाह ने जब चुनाव लड़ने से मना कर दिया था तो अग्रवाल समाज को टिकट मिल गई.

पिता की राजनीती से दूरी पर बोले बिक्रम शाह 
अब जब 2024 का चुनाव नजदीक आता जा रहा है तो एक बार फिर से चुनावी मैदान में शाह परिवार के दो युवराजों के आमने-सामने होने की संभावना है. चुनावी सरगर्मियां में बलबीर पाल शाह के बेटे बिक्रम शाह से राजनीति पर चर्चा हुई तो उनका कहना था कि भगवान श्री कृष्ण द्वारकाधीश चले गए थे. इसका मतलब यह नहीं कि सब कुछ खत्म हो गया. चाचा बुल्ले शाह विधायक बनना चाहते हैं तो बड़ों का आशीर्वाद लें नहीं तो उनका सपना, सपना ही रह जाएगा।  शाह ने कहा चुनावी टिकट घर के बाहर जा चुका है. मैदान खाली है तो टिकट लेने वालों की लाइन में हम भी खड़े हैं. 

कांग्रेस पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बलबीर पाल शाह की छवि बेदाग और स्पष्टवादी नेता के रूप में की जाती है. उनके बेटे बिक्रम शाह से जी मीडिया ने बात की तो उन्होंने कहा कि पिताजी के छोटे भाई वीरेंद्र शाह चुनाव लड़ना चाहते थे, इसलिये पिताजी ने चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया था. क्योंकि यह स्पष्ट था कि अगर वीरेंद्र शाह चुनाव लड़ रहे हैं तो सीट शाह परिवार के पास ही थी. बिक्रम ने कहा, लेकिन जब चाचा चुनाव हारे और पिछला चुनाव नहीं लड़े तो मैं  लड़ सकता था. 

अब नई शुरुआत होगी
बिक्रम सिंह ने कहा, चाचा वीरेंद्र शाह के चुनाव नहीं लड़ने का क्या कारण है, इसके बारे में कुछ नहीं कह सकता हूं, लेकिन अब नई शुरुआत होगी. मैदान खुला है अगर चुनाव लड़ना चाहें तो लड़ सकते हैं.

कई कदम परवार की इज्जत के लिए उठाने पड़ते हैं
पिताजी बलबीर पाल शाह की विरासत संभालने के बारे में उन्होंने कहा, मैंने हाल ही में ग्रेजुएट हुआ हूं. अब कोशिश करूंगा कि हमें टिकट मिले और फिर चुनाव लड़ा जाए. बलबीर पाल शाह की राजनीति की दूरियों पर उन्होंने कहा कि राजनीति से जुड़े लोग कभी राजनीति से दूर नहीं होते हैं. समय और परिस्थितियों के अनुसार व परिवार की इज्जत की खातिर कई कदम उठाने पड़ते हैं. उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण भी द्वारकाधीश चले गए थे, इसका मतलब यह नहीं था कि सब कुछ खत्म हो गया. समय आएगा तो चुनाव लड़ेंगे. 

बिक्रम शाह बोले-बड़ों के आशीर्वाद से लडूंगा चुनाव 
बिक्रम शाह ने अपने अनुज विपुल शाह पर बोलते हुए कहा कि वह अभी छोटा है. 20 साल से दोनों परिवारों कि आपस में कोई बातचीत नहीं हुई. इसलिए मैं उसको पहचानता हूं, जानता नहीं हूं. चाचा वीरेंद्र शाह की राजनीति पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि उनकी राजनीति से मेरी विचारधारा नहीं मिलती, लेकिन अगर मैंने चुनाव लड़ा तो बड़ों का आशीर्वाद लूंगा। उनका कहना कि उम्र व अनुभव का बड़ा महत्व होता है. समय के अनुसार हर चीज बदल जाती है.

अमिताभ बच्चन के डायलॉग को किया याद 
बिक्रम शाह ने कहा कि मैं कांग्रेस का आदमी हूं लेकिन भाजपा से हिंदुत्व पर विचारधारा मिलती है, लेकिन मैं धर्म निरपेक्षता में विश्वास करता हूं. बंधी हुई राजनीति नहीं कर सकता हूं. उन्होंने अमिताभ बच्चन के डायलॉग- 'मेरे पास मां है' को याद करते हुए कहा-मेरे पास बाप है. उन्होंने कहा कि अगर वीरेंद्र शाह लगातार चुनाव  लड़ रहे होते तो मैं चुनाव मैदान में नहीं होता, लेकिन अब टिकट घर के बाहर जा चुका है. शहर में मैदान खाली है. टिकट लेने वालों की भीड़ है  तो मैं भी टिकट लेने की कोशिश करूंगा. 

विधायक बनने के लिए चाचा लें बड़ों का आशीर्वाद 
चाचा वीरेंद्र शाह के विधायक बनने के सपने पर बोलते हुए उन्होंने कहा यदि वह विधायक बनना चाहते हैं तो बड़ों का आशीर्वाद लें और सपना पूरा कर लें. उन्होंने यह भी कहा कि जब चुनाव लड़ने के लिए आप सारी दुनिया से आशीर्वाद लेते हैं. ऐसी जगह से भी आशीर्वाद लेना पड़ता है, जहां आपका मन नहीं होता. चाचा पर जुबानी हमला करते हुए उन्होंने कहा, आप किस राजनीति की बात करते हैं. यदि आप झुकना नहीं चाहते तो आप राजनीति के लिए फिट नहीं हैं. ऐसे में आपका सपना तो सपना ही रह जाएगा।

विपुल शाह बोले-बात करने का यह सही समय नहीं  
बिक्रम शाह ने कहा कि 2024 के चुनावों के लिए पूरी तरह से तैयार हूं. आलाकमान किसे टिकट देगा, यह उनका फैसला है, लेकिन बलवीर पाल शाह के बेटे होने का फायदा जरूर उठाऊंगा. इधर जब आगामी चुनाव में वीरेंद्र शाह के परिवार का क्या कदम होगा. इस बारे में पूछे एक सवाल पर उनके बेटे विपुल शाह  ने इस मुद्दे पर बात करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, इस पर बात करने का अभी समय नहीं है. 

इतनी तो तस्वीर साफ हो चुकी है कि अगले चुनाव में बिक्रम शाह पिता बलबीर पाल शाह की राजनीतिक विरासत संभालने को तैयार हैं. अब वीरेंद्र सिंह का परिवार की आगामी रणनीति क्या होगी, यह समय बताएगा. बहरहाल अब हरियाणा के एक और राजनीतिक परिवार में कुर्सी के लिए जंग होने की संभावना बनती दिख रही है. यह बात तो तय है वीरेंद्र शाह उर्फ बुल्ले शाह के विधायक बनने के सपने में उनका भतीजा सामने आने की तैयारी में जुट चुका है, इसलिए  बुल्ले शाह का विधायक बनने का रास्ता आसान नहीं होगा. 

इनपुट: राकेश भयाना 

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