Rakesh Daulatabad Death: एक ओर जहां हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों पर मतदान हो रहा है. वहीं, दूसरी ओर गुरुग्राम के बादशाहपुर से निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद की हार्ट अटैक से मौत हो गई. सुबह 10:30 बजे हार्ट अटैक आने पर उन्हें पालम विहार के मणिलाल अस्पताल में ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. साल 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में राकेश दौलाताबाद बीजेपी कैंडिडेट मनीष यादव को हराकर विधायक चुने गए थे. बाद में उन्होंने बीजेपी को समर्थन दे दिया था. अब सवाल ये है कि अल्पमत के आरोपों से घिरी नायब सैनी सरकार पर इसका क्या कोई असर होगा.


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तीन विधायकों ने लिया था समर्थन
हाल ही में नायब सिंह सैनी सरकार से तीन निर्दलीय विधायक समर्थन वापस लेकर कांग्रेस की ओर चले गए थे, जिसके बाद कांग्रेस ने बीजेपी की सरकार पर अल्पमत का आरोप लगाते हुए सीएम नायब के इस्तीफे की मांग की थी. राकेश दौलाताबाद की आकस्मिक निधन के बाद 90 सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा में अब 87 विधायक बचे हैं. पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर और रणजीत चौटाला ने पहले ही विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था. हरियाणा विधानसभा में तीन विधायकों के पद खाली हैं.


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क्या है नंबर गेम?
मौजूदा विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 44 है. विधानसभा में बीजेपी के 40 विधायक हैं. 1 निर्दलीय विधायक और हरियाणा लोकहित पार्टी के गोपाल कांडा के समर्थन के बाद भाजपा के पास कुल 42 विधायकों का समर्थन हासिल है. बहुमत के लिए बीजेपी को अभी भी 2 विधायकों का समर्थन चाहिए.


क्या गिर सकती है सरकार
दूसरी ओर सदन में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के 30 विधायक हैं. तीन विधायकों के समर्थन के साथ कांग्रेस के पास कुल 33 सदस्यों का साथ हासिल है. वहीं, 12 विधायक न्यूट्रल की भूमिका में हैं. इनमें जेजेपी के 10, इंडियन नेशनल लोकदल के अभय चौटाला और निर्दलिय विधायक बलराज कुंडू हैं. अब सवाल ये उठता है कि क्या हरियाणा में सरकार गिरने का खतरा है? जवाब है, नहीं. मुख्यमंत्री बनने के बाद नायब सिंह सैनी ने 13 मार्च 2024 को बहुमत साबित किया था. नियम के मुताबिक बहुमत साबित करने के 6 महीने तक विश्वासमत का परीक्षण नहीं हो सकता. यानी 13 मई तक नायब सिंह सैनी सरकार के खिलाफ सदन में विश्वासमत परीक्षण का प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है.