Delhi में अंगदान का हैरतअंगेज मामला, मौत के बाद भी फिट थे 92 साल के बुर्जग के अंग
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Delhi में अंगदान का हैरतअंगेज मामला, मौत के बाद भी फिट थे 92 साल के बुर्जग के अंग

परिवार की सहमति के बाद डॉक्टरों ने जांच की तो दंग रह गए. दरअसल 92 साल की उम्र में भी डोनर का लिवर, दोनों कॉर्निया (आखें) और दोनों किडनी बिल्कुल सही थीं. फौरन हुए प्रॉसेस में घंटेभर के भीतर 57 साल की जरूरतमंद महिला के शरीर मे लिवर और दोनों किडनी ट्रांसप्लांट कर दी गईं.

सबसे बुजुर्ग डोनर का परिवार गर्व महसूस कर रहा है.....

नई दिल्ली: कलयुग में दान की विशेष महिमा है. जिस दान से किसी की जान बचे या जीवन संवरे, वही दान महादान बन जाता है. यहां बात दिल्ली में हुए ऐसे ही दान की जहां परिजनों ने 92 साल के ब्रेन डेड बुजुर्ग के अंग दान किया. इसके बाद अमृत लाल बुधराजा दुनिया के सबसे ज्यादा उम्र वाले आर्गन डोनर बन गए. आईबी (IB) ऑफिसर रिटायर्ड अमृतपाल बुधराजा के लीवर और किडनी से एक 56 वर्षीय महिला की जान बचाई गई, जो इन्ही की बीमारियों से पीड़ित थीं. 

  1. दिल्ली में हुए इस अंगदान की व्यापक चर्चा
  2. 92 साल के डोनर के अंग पूरी तरह सही थे
  3. अंगदान से बचाई गई एक महिला की जान

अमृतपाल हमेशा अपनी सेहत का ध्यान रखते थे. रोजाना की तरह 5 जनवरी को एक्सरसाइज कर रहे थे. घर पर सुबह 9 बजे ब्रेन स्ट्रोक हुआ. परिजन फौरन अस्पताल ले गए जहां 8 जनवरी को उनकी मौत हो गई. अमृतपाल के बेटे दीपक और बहू प्रीती ने पिता के अंगदान को लेकर बात की. बेटे ने बताया कि उनके पिता हमेशा आंखे दान करने की चर्चा करते थे. लेकिन परिवार ने डॉक्टरों से कहा कि आप जो भी अंग ठीक लगे उसे डोनेट करने के लिए हम तैयार है.

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हैरान रह गए डॉक्टर 

परिवार की सहमति के बाद डॉक्टरों ने जांच की तो दंग रह गए. दरअसल 92 साल की उम्र में भी उनके लिवर, दोनों कॉर्निया (आखें) और दोनों किडनी बिल्कुल सही थीं. फौरन अंगों को निकाला गया और घंटेभर के भीतर 57 साल की जरूरतमंद महिला के शरीर मे लिवर और दोनों किडनी ट्रांसप्लांट कर दी गईं. ट्रांसप्लांट करने वाले सीनियर डॉक्टर सुभाष गुप्ता ने बताया कि वो भी इस उम्र में इतने फिट ऑर्गन देखकर हैरान रह गए थे.

आसान नहीं थी सर्जरी

डॉ अनंत कुमार की लीड में डॉक्टरों की टीम ने यूरोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांट डिवीजन के प्रमुख ने किडनी प्रत्यारोपण किया. डॉक्टरों के मुताबिक डोनर ने एक बहुत सक्रिय जीवन शैली को अपनाया था. यही वजह थी कि उनके अंग अंतिम सांस तक काफी स्वस्थ थे. हालांकि गुर्दे की स्थिति के बारे में वो थोड़ा अनिश्चित थे, लेकिन वो भी एकदम फिट साबित हुए.  

पिता के अंगों से किसी की जान बचने के बाद अब बुधराजा परिवार गर्व महसूस कर रहा है. 

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