कोरोना की वजह से मजबूरी में देश में ऑनलाइन पढ़ाई का चलन शुरू हुआ. इसके चलते बच्चों के हाथ में मोबाइल फोन पहुंचे, जिसके बाद अब यह पीढ़ी धीरे-धीरे Online Gaming की लत में पड़ती जा रही है.
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नई दिल्ली: हमारे देश में 41 प्रतिशत आबादी यानी लगभग 55 करोड़ लोगों की उम्र 20 साल से कम है. इसका मतलब ये हुआ कि Online Gaming की लत हमारी पूरी एक पीढ़ी को बर्बाद कर देगी. दुनियाभर के बच्चे डॉक्टर, वैज्ञानिक, इंजीनियर बनेंगे और हमारे देश के बच्चे Online Games ही खेलते रह जाएंगे.
राजस्थान के नागौर में एक 16 साल के बच्चे ने अपने चचेरे भाई की हत्या कर दी. इस लड़के ने लाखों रुपये उधार लेकर Online Games पर बर्बाद कर दिए. यह पैसा चुकाने के लिए वो अपने ही चचेरे भाई का अपहरण करके अपने ही परिवार से फिरौती लेना चाहता था. ऐसी यह केवल इकलौती घटना नहीं है. इस समय पूरे देश में इस तरह की घटनाएं रिपोर्ट हो रही हैं, जहां बच्चे Online Games खेलने के लिए अपने ही घरों में चोरियां कर रहे हैं और अपराध कर रहे हैं.
इसे आप छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की एक खबर से भी समझ सकते हैं, जहां 19 साल के एक लड़के ने ऑनलाइन गेमिंग की लत में खुद की किडनैपिंग की झूठी कहानी रच दी. इस लड़के को भी पबजी खेलने की लत थी और इस चक्कर में ये अपनी बाइक तक बेच चुका था. Online Game के Next Level में जाने के लिए इसे कुछ पैसों की ज़रूरत थी और परिवार ये पैसा देने के लिए तैयार नहीं था.
इसके बाद इसने खुद अपने हाथ पैर बांधे, अपनी एक तस्वीर खींची और माता पिता के मोबाइल फोन पर ये तस्वीर भेज कर लिखा कि वो किडनैप हो गया है और अगर चार लाख रुपये उन्होंने तय जगह पर नहीं पहुंचाए तो उसकी हत्या कर दी जाएगी. पुलिस ने जब इस पूरे मामले की जांच की तो पता चला कि ये किडनैपिंग इस लड़के ने खुद रची थी और ऑनलाइन गेमिंग के चक्कर में ये 15 हज़ार रुपये पहले ही घर से लेकर भागा हुआ था. लेकिन इसे और पैसा चाहिए था.
इसी साल अगस्त महीने में मुम्बई से भी एक ऐसी ही ख़बर सामने आई थी. वहां 16 साल के एक बच्चे को PUBG खेलने का शौक था. वो इस Game के Advance Level पर पहुंचना चाहता था, जिसके लिए उसने अपनी मां के Bank Account से 10 लाख रुपये निकाल लिए थे.
यानी Online Gaming की वजह से बच्चे अपने ही घर में चोरियां कर रहे हैं, अपने माता पिता के बैंक अकाउंट्स से पैसा निकाल रहे हैं और हत्या और किडनैपिंग जैसी वारदात को भी अंजाम दे रहे हैं. ये सबकुछ Online Gaming की वजह से हो रहा है. वैसे तो केन्द्र सरकार ने भारत में पबजी गेम को बैन कर दिया था. अब दक्षिण कोरिया की एक कंपनी ने इस Game को बदले हुए नाम के साथ भारत में Launch कर दिया है और बच्चे इसका तेज़ी से शिकार बन रहे हैं.
भारत की 41 प्रतिशत आबादी 20 साल से कम उम्र के बच्चों की है. इन बच्चों को Online Gaming Apps की लत ने बुरी तरह जकड़ा हुआ है.
पिछले साल भारत में हुए एक सर्वे में 20 साल से कम उम्र के 65 प्रतिशत बच्चों ने माना था कि वो Online Games खेलने के लिए खाना और नींद तक छोड़ने के लिए तैयार हैं. बहुत सारे बच्चे तो इसके लिए अपने Parents का पैसा तक चुराने के लिए तैयार हैं.
इसके पीछे कोविड भी एक बड़ा कारण है. कोरोना आने के बाद से देशभर में बच्चों के स्कूल लगभग बन्द हैं और उन्हें Online पढ़ाई करनी पड़ रही है. Online पढ़ाई के लिए बच्चों को दो चीज़ चाहिए होती हैं, एक इंटरनेट और दूसरा Laptop, Computer या मोबाइल फोन में से कोई भी एक Gadget. समस्या ये है कि ऑनलाइन गेमिंग के लिए भी बच्चों को यही दोनों चीज़ चाहिए. जब से कोविड आया है, तब से देशभर के बच्चों में ऑनलाइन गेमिंग Apps की लत काफ़ी बढ़ी है. इसका असर एक पूरी पीढ़ी पर पड़ रहा है.
एक समय था, जब बच्चे स्कूल से आकर दोस्तों के साथ खेलने जाते थे. शायद आप भी अपने बचपन में स्कूल से आने के बाद या छुट्टी वाले दिन Parks में खेले गए होंगे. उस समय गिल्ली डंडे का खेल होता था, Hide and Seek का खेल था, खोखो, कबड्डी और रस्साकशी जैसे खेल थे. इसके बाद समय बदला और बच्चे स्कूलों में होने वाली Activities तक सीमित हो गए. आज बच्चों के लिए उनका लैपटॉप, कम्प्यूटर और मोबाइल फोन ही नया Playground बन गया है.
इस समय हमारे देश के बच्चे एक दिन में औसतन 218 मिनट Online Games खेलते हैं. पहले ये 24 घंटे में औसतन 151 मिनट था. वर्ष 2020 में जब पहली बार Lockdown लगा था. तब इसके शुरुआती कुछ महीनों में भारत में 700 करोड़ से ज्यादा बार Online Games अलग अलग Digital Devices पर Install किए गए थे.
हमारे देश में भले इस समस्या को ज्यादा गम्भीर नहीं माना जाता और माता पिता भी इसे ज्यादा गम्भीरता से नहीं लेते. लेकिन आप इसे ऐसे समझिए Online Games बच्चों को शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से बर्बाद कर रहे हैं.
इससे बच्चों में मोटापे की समस्या बढ़ रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक़ कोविड के बाद भारत में बच्चों का वज़न सामान्य से चार से पांच किलोग्राम बढ़ा है. इसकी वजह ये है कि Online Gaming के लिए आपको कहीं जाना नहीं होता. आप दिनभर एक जगह बैठकर ये Games खेल सकते हैं.
- इससे बच्चों की आंखों पर भी असर पड़ रहा है. उनकी दृष्टि पहले की तुलना में कमज़ोर हुई है.
- बच्चों का Sleep Pattern बिगड़ गया है और वो अब इसकी वजह से कम नींद ले रहे हैं
- बच्चों को भूख कम लग रही है.
- एक अध्ययन में ये भी पता चला है कि जो बच्चे Online Games खेलते हैं, उनका दूसरी गतिविधियों में मन नहीं लगता. यानी वो अपने माता पिता से बात करना कम कर देते हैं, अलग थलग रहने लगते हैं. और पढ़ाई से भी उनका मोहभंग हो जाता है.
- Online Gaming Apps एक Addiction यानी लत की तरह है. अगर किसी बच्चे को इसकी लत लग जाए तो उसके लिए ये समझना मुश्किल हो जाता है कि वो क्या सही कर रहा है और क्या गलत कर रहा है.
- जैसे हर खेल में हार जीत होती है, ठीक वैसा ही Online Games में भी होता है. इसमें चूंकि पैसा लगा होता है इसलिए हारने पर बच्चे चिढ़चिढ़े होने लगते हैं और छोटी उम्र से ही उनके डिप्रेशन में जाने का ख़तरा रहता है.
- इसके अलावा Online Games में इतनी हिंसा होती है कि इससे बच्चे हिंसा के प्रति आकर्षित हो जाते हैं.
- लगातार कई घंटे खेलने से हाथों की नसें कमज़ोर हो जाती है.
- अगर आपका बच्चा अपनी Online गतिविधियों को आपसे छिपाने लगे तो आपको सावधान हो जाना चाहिए.
- बच्चा अचानक से ज़रूरत से ज्यादा समय इंटरनेट पर बिताने लगे तो भी सावधान हो जाएं.
- आपके द्वारा पूछने पर बच्चा अगर अचानक से अपने Digital Device की Screen बदल दे तो समझ जाए कि वो कुछ ऐसा कर रहा है जो उसे नहीं करना चाहिए.
- अगर आपका बच्चा इंटरनेट इस्तेमाल करने के बाद अचानक चिड़चिड़ा हो जाए तो ये इशारा है कि कुछ गड़बड़ है.
- इसके अलावा अगर आपके बच्चे की Digital Device में अचानक से आपको बहुत सारे Phone Numbers या E-mail Adress दिखाई दें तो भी आपको सावधान होने की ज़रूरत है.
कुल मिलाकर खतरे की घंटी है. उन माता-पिता के लिये जो अभी भी नहीं संभले हैं. गेमिंग की दुनिया उनके बच्चों को उनसे दूर कर रही है. एक ऐसे रास्ते पर धकेल रही है जहां पहुंचकर रिज़ल्ट कुछ अच्छे नहीं हैं.
भारत में इस समय Google Playstore पर 30 लाख से ज़्यादा मोबाइल फ़ोन Application मौजूद हैं. इनमें से 4 लाख 44 हज़ार 226 Online Gaming Apps हैं. जिनमें से 19 हज़ार 632 Apps भारत में ही बनाए गए हैं.
वर्ष 2018 में भारत में Online Games खेलने वाले Users की संख्या 26 करोड़ 90 लाख थी. वर्ष 2020 में ऐसे Users की संख्या बढ़ कर 36 करोड़ 50 लाख हो गई. अनुमान है कि वर्ष 2022 में ये संख्या 51 करोड़ हो जाएगी.
वर्ष 2019 में भारत में Online Gaming Industry की Value 8 हज़ार 300 करोड़ रुपये थी. अनुमान है कि वर्ष 2022 तक ये Value बढ़ कर 21 हज़ार करोड़ रुपये हो जाएगी.
Federation of Indian Chambers of Commerce & Industry की एक Study में ये अनुमान लगाया गया है कि भारत में वर्ष 2023 तक Real Money Gaming का बाज़ार 13 हज़ार 300 करोड़ रुपये का हो जाएगा. इसे आप ऐसे समझिए कि ऑनलाइन जुए का कारोबार 13 हज़ार करोड़ का होगा.
भारत में कहा जाता है कि नशे की लत दो तरह की होती है. एक लत है नशीले पदार्थों की और दूसरी लत है जुए के नशे की. यानी जुए को भारत में नशे की लत की तरह देखा जाता है.
तीन दशक पहले तक जब मोबाइल फ़ोन एक सीमित वर्ग के पास होता था और Smart Phone नहीं आए थे, तब जुए को एक बीमारी माना जाता था. लोग कहते थे कि जुआ ज़िन्दगियां बर्बाद कर देता है. शायद इसीलिए तब माता पिता अपने बच्चों को जुए से दूर रखते थे और जुआ खेलने वालों को समाज में ग़लत नज़रों से देखा जाता था. तब बड़े बुज़ुर्ग परिवार के सदस्यों से कहते थे कि ऐसे लोगों से दूर रहो, जो जुआ खेलते हैं.
लेकिन आज ज़माना बदल गया है. अब इंटरनेट का युग है और इस युग में जुआ खेलना ट्रेंड है. आज कई Online Gaming Apps के ज़रिए लोग पैसा कमा रहे हैं और इसमें आर्थिक नुक़सान होने का भी जोखिम रहता है. एक अध्ययन के मुताबिक़ भारत में कुल Internet Users में से 40 प्रतिशत ऑनलाइन जुआ खेलते हैं. ये अध्ययन ये भी कहता है कि आने वाले वर्षों में भारत इस मामले में ब्रिटेन को भी पीछे छोड़ देगा.
इसके अलावा एक और रिसर्च कहती है कि भारत में 18 साल से ऊपर के 80 प्रतिशत लोग साल में कम से कम एक बार ज़रूर जुआ खेलते हैं. Online Gaming Apps आने के बाद तो हर रोज़ जुआ खेलने का एक ट्रेंड बन गया है.
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भारत की तरह चीन भी ऑनलाइन गेमिंग का एक बहुत बड़ा बाज़ार है. अब चीन की सरकार ने वहां के बच्चों को इसकी लत से बचाने के लिए नए नियम बना दिए हैं. जिसके मुताबिक चीन की Online Gaming कंपनियों को ये सुनिश्चित करना होगा कि बच्चे एक हफ्ते में केवल 3 घंटे के लिए ही Online Game खेल पाएं. जो कंपनियां ऐसा नहीं करेंगी उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. हमें लगता है कि भारत में भी इस पर कड़े नियम बनाने की ज़रूरत है.
पिछले दिनों राज्यसभा में बीजेपी के सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा था कि अगर Online Gaming में इतना ज्यादा पैसा शामिल है तो फिर सरकार इस पर टैक्स लगाने का विचार क्यों नहीं करती? हमें लगता है कि ये इंडस्ट्री एक गहरे कुंए की तरह है. इसमें जो लेन देन होता है, उसे तो रेगुलेट करना ही चाहिए. साथ ही इस पर चीन की तरह बच्चों के लिए एक समय निधारित कर देना चाहिए ताकि वो असीमित समय Online Gaming Apps पर ना बिताएं.
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