भारत के पराक्रम से पीछे हटा चीन, लद्दाख में 3 पोस्ट से लौटने लगे चीनी सैनिक
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भारत के पराक्रम से पीछे हटा चीन, लद्दाख में 3 पोस्ट से लौटने लगे चीनी सैनिक

लद्दाख में चीन के सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. गलवान से चीन के सैनिकों की गाड़ियां, बख्तरबंद गाड़ियां वापस जा रही हैं. 

भारत के पराक्रम से पीछे हटा चीन, लद्दाख में 3 पोस्ट से लौटने लगे चीनी सैनिक

नई दिल्ली: गलवान पर भारत की बड़ी जीत हुई है. लद्दाख में चीन के सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. गलवान से चीन के सैनिकों की गाड़ियां, बख्तरबंद गाड़ियां वापस जा रही हैं. चीन के सैनिक पीएलए पीपी 14 से टेंट हटाते दिखे. चीन के सैनिक गलवान, हॉटस्परिंग और गोगरा में वापस जाते दिखे. सूत्रों के मुताबिक, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि चीन के सैनिक कितने किमी तक पीछे हटे हैं.  

3 पोस्ट से पीछे हटने लगे चीनी सैनिक 
सूत्रों के मुताबिक, चीन के सैनिक तीन पोस्ट गलवान, हॉटस्परिंग, गोगरा से वापस जाते दिखे हैं. अगले 24 घंटे बहुत महत्वपूर्ण हैं. पिछले दो माह से दोनों देश के सेनाएं आमने-सामने हैं. भारत अभी चीन के सैनिकों के वापस जाने के मामले पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं. पैंगोंग पर अभी भी चीन के सैनिक जमे हैं. भारत का साफ कहना है कि चीनी सैनिकों को फिंगर 8 से पीछे जाना होगा. 

LAC पर भारत के अडिग रुख के आगे चीन झुक गया है. गलवान से चीन के सैनिकों ने पीछे हटना शुरू कर दिया है जिसका मतलब है गलवान में भारत की बड़ी जीत हुई है. LAC पर चीन की आर्मी पीपी 14 से टेंट हटाते दिखाई दिए हैं जिसका मतलब है विस्तारवाद पर भारत के विकासवाद की जीत हुई है.

अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री के बीच बातचीत
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री के बीच बातचीत हुई थी. ये बातचीत 5 जुलाई को हुई थी और दो घंटे तक चली थी. बातचीत में सीमा पर तनाव कम करने पर चर्चा हुई. दोनों देश भविष्य में शांतिपूर्ण माहौल बनाने पर सहमत हुए हैं.
 
विदेश मंत्रालय ने कहा दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर खत्म करने की प्रक्रिया को जल्द पूरा किया जाए. इसके अलावा दोनों पक्षों को भारत-चीन सीमाओं पर चरणबद्ध तरीके से टकराव को कम करना चाहिए. दोनों देशों के प्रतिनिधि इस बात पर भी राजी हुए हैं कि दोनों पक्षों को भारत-चीन सीमा में शांति बनाए रखने वाले नेताओं की आम सहमति से मार्गदर्शन लेना चाहिए. बातचीत के दौरान दोनों पक्ष सख्ती से एलएसी का सम्मान करने पर भी राजी हुए हैं. इसके साथ ही भविष्य में सीमा पर शांति भंग करने या किसी भी घटना से बचने के लिए मिलकर काम करने पर भी सहमति बनी है.

 

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