अगर शहीद तुकाराम ने कसाब (Ajmal Kasab) को जिंदा न पकड़ा होता तो दुनिया के सामने भगवा आतंकवाद का झूठ बेनकाब नहीं होता. आपको याद होगा जब पाकिस्तान से आए आतंकी आमिर अजमल कसाब को पकड़ा गया तो उसके हाथ में कलावा बंधा था और वो अपना नाम समीर चौधरी बता रहा था.
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नई दिल्ली: 12 वर्ष पहले 26 नवंबर के दिन मुंबई में एक बड़ा आतंकवादी हमला (Mumbai Terror Attack) हुआ था. ये भारत पर हुआ अब तक का सबसे बड़ा आतंकवादी हमला (Terrorist Attack) था. हमला करने वाले 10 आतंकवादी पाकिस्तान से आए थे. मुंबई की अलग-अलग जगहों पर 60 घंटे तक आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ चली थी जिसमें 9 आतंकवादी मारे गए थे. दसवें आतंकवादी अजमल कसाब को मुंबई पुलिस के असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर तुकाराम ओंबले ने जिंदा पकड़ लिया था. उस दौरान कसाब ने तुकाराम ओंबले के पेट में गोली मार दी थी. गोली लगने के बावजूद वीर तुकाराम ने कसाब को नहीं छोड़ा और वीरगति को प्राप्त हुए.'
हिंदू आतंकवाद के प्रॉपेगेंडा को दुनिया भी सच मान लेती?
शहीद तुकाराम ओंबले की बात आज इसलिए भी खासतौर पर कर रहे हैं क्योंकि, अगर शहीद तुकाराम ने कसाब को जिंदा न पकड़ा होता तो दुनिया के सामने भगवा आतंकवाद का झूठ बेनकाब नहीं होता. आपको याद होगा जब पाकिस्तान से आए आतंकी आमिर अजमल कसाब को पकड़ा गया तो उसके हाथ में कलावा बंधा था और वो अपना नाम समीर चौधरी बता रहा था. ये पाकिस्तान की साजिश थी. जिसमें पाकिस्तान के आतंकियों को हिंदू पहचान के साथ हमले के लिए भेजा गया था. साजिश के मुताबिक ये सुसाइड अटैक था, जिसमें सभी दस आतंकियों को मरना था. अगर ऐसा हो जाता तो हिंदू आतंकवाद के प्रॉपेगेंडा को दुनिया भी सच मान लेती. पर तुकाराम ओंबले ने कसाब को जिंदा पकड़ लिया और पूछताछ में ये साबित हुआ कि कसाब के हाथ में बंधा कलावा एक छलावा है और समीर वास्तव में कसाब है. शहीद तुकाराम ओंबले ने देश की राजनीति के एक बड़े झूठ को भी गलत साबित किया है.
हमले के दो वर्ष बाद 'RSS की साज़िश 26/11' किताब रिलीज की गई
हमले के दो वर्ष बाद मुंबई में ही 6 दिसंबर 2010 को एक किताब 'RSS की साज़िश 26/11' रिलीज की गई. जिसे उर्दू के जाने माने पत्रकार अज़ीज़ बर्नी ने लिखा था. किताब को देश के सामने रखने आए थे कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह. आप तस्वीर में देख सकते हैं कि मंच पर उनके साथ निर्माता निर्देशक महेश भट्ट और महाराष्ट्र सरकार के पूर्व गृह राज्य मंत्री कृपा शंकर सिंह भी मौजूद थे. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह उस समय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सबसे करीबी लोगों में से एक थे.
पाकिस्तान के खिलाफ तुरंत कार्रवाई क्यों नहीं?
डॉक्टर मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार की नीतियों का ये सबसे बड़ा विरोधाभास था. एक तरफ सरकार पाकिस्तान को हमले के डोज़ियर देती थी तो दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी के नेता भगवा आतंक के झूठे प्रचार में शामिल थे. जिसमें मुंबई हमले को आरएसएस की साज़िश बताया जाता था. ऐसे में कई गंभीर सवाल तत्कालीन यूपीए सरकार और उसके नेतृत्व पर भी उठते हैं
और वो ये कि मुंबई हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ तुरंत कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
- क्या 26/11 हमले को हिंदू आतंकवाद से जोड़ने की साज़िश थी ?
- यदि कसाब जिंदा नहीं पकड़ा जाता तो क्या पाकिस्तान को क्लीन चिट मिल जाती?
देश में बंटी हुई सोच आज भी जिंदा
ये सवाल आज हम इसलिए पूछ रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान को पता था कि भारत में विचारों के नाम पर लोग बंटे हुए हैं. इसका फायदा अज़मल कसाब को समीर नाम देकर उठाया जा सकता है. 9 आतंकवादियों को हमारे सुरक्षा बलों ने हमले के दौरान ही मार दिया, कसाब को कानून के तहत फांसी दे दी गई. लेकिन देश में बंटी हुई सोच आज भी जिंदा है. जिसे खत्म करने की जरूरत है. इसके लिए हमें एकजुट रहना होगा.
पाकिस्तान की हिंदू आतंकवाद वाली साज़िश तो सफल नहीं हो पाई लेकिन मुंबई हमले में 166 निर्दोष लोग मारे गए. जिनमें 20 सुरक्षाकर्मी और 26 विदेशी नागरिक शामिल थे.
इस हमले के मास्टरमाइंड हाफिज़ सईद और ज़कीउर रहमान लखवी जैसे आतंकवादी आज भी पाकिस्तान में आराम से अपना जीवन जी रहे हैं.
भारत ने न केवल हिन्दू आतंक के प्रॉपेगेंडा को झूठा साबित किया है, बल्कि दुनिया को समझाया है कि आतंक सबकी समस्या है और उसकी जड़ में पाकिस्तान है.
यूरोपियन यूनियन ने मुंबई हमले को लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से सवाल किया है. दो सांसदों ने पत्र लिखकर इमरान खान से पूछा है कि
- मुंबई हमले की जिम्मेदारी लेने वाले आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैएबा के खिलाफ क्या कदम उठाए गए हैं.
-पाकिस्तान की जमीन पर सक्रिय अन्य आतंकवादी संगठनों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई?
नवाज़ शरीफ ने माना, मुंबई हमले की साज़िश पाकिस्तान में रची गई
यूरोपीय यूनियन ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ के उस बयान का भी जिक्र किया है जिसमें उन्होंने माना था कि मुंबई हमले की साज़िश पाकिस्तान में रची गई. यूरोपियन यूनियन ने यूरोप में बढ़ रही इस्लामिक कट्टरता और आतंकवादी घटनाओं पर चिंता जाहिर की है.
हम यूरोपियन यूनियन की तारीफ करते हैं. इमरान खान सरकार आतंकवादी संगठनों पर कोई कार्रवाई करेगी. इसकी उम्मीद पाकिस्तान से नहीं की जा सकती.
हमें एक ऐसा सिस्टम बनाने की जरूरत है जिसमें कोई भी आतंकवादी घुसपैठ न कर सके. वैसे भी अब जब भी कोई उरी या पुलवामा जैसा आतंकवादी हमला होता है. तब उसका जवाब सर्जिकल और एरियल स्ट्राइक से दिया जाता है. इस तरह का जवाब पाकिस्तान को मुंबई हमले के बाद भी दिया जाना चाहिए था. लेकिन तब सरकार सबूत और डोज़ियर देकर पाकिस्तान से कार्रवाई की उम्मीद करती थी.
कल 26 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि नया भारत नई रीति और नई नीति वाला है और भारत कभी भी मुंबई हमले के जख्म को भूल नहीं सकता है.