DNA ANALYSIS: जैसलमेर बॉर्डर पर BSF की महिला कमांडोज के शौर्य की कहानी, पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट
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DNA ANALYSIS: जैसलमेर बॉर्डर पर BSF की महिला कमांडोज के शौर्य की कहानी, पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट

जैसलमेर में थार के रेगिस्तानी हिस्‍से में सुबह भले ही थोड़ी राहत देने वाली हो, लेकिन दोपहर आने तक रेत भरी गर्म हवाएं, हौसला पस्त करने कोशिशें शुरू कर देती हैं. पर इन हालात में भी यहां तैनात महिला कमांडोज डटी हुई हैं और ये कहानी इन्हीं की है.

DNA ANALYSIS: जैसलमेर बॉर्डर पर BSF की महिला कमांडोज के शौर्य की कहानी, पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट

नई दिल्‍ली:  आज हम आपको राजस्थान के जैसलमेर की एक यात्रा पर ले जाना चाहते हैं. राजस्थान की तकरीबन 500 किलोमीटर की सीमा पाकिस्तान से लगती है, जिसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भारत की फर्स्‍ट लाइन ऑफ डिफेंस यानी BSF के पास है. राजस्थान की ऐसी ही एक सीमा जैसलमेर में है. जैसलमेर थार रेगिस्तान का हिस्सा है, जहां ड्यूटी करने का मतलब है, हर वक्त खतरे से खेलना .यहां पाकिस्तान जैसे दुश्मन का खतरा तो हर वक्त रहता ही है. साथ ही कुछ दुश्मन अदृश्य भी हैं, जो छिपकर या घात लगाकर डंक मारते हैं.

हालांकि प्रतिकूल माहौल में भी महिला कमांडोज दिन-रात यहां ड्यूटी करती हैं. उनकी हिम्मत को न तो तपती धूप पिघला सकती है और न ही रेतीला तूफान उनके चट्टानी हौसले को पस्त कर सकता है. उन्हें न तो दुश्मन की गोली का डर है और न ही रेत में छिपे सांप, बिच्छु जैसे अदृश्य दुश्मनों का. Zee News ने इस बॉर्डर पर पूरा एक दिन बिताया. हमने अपने कैमरे में यहां के सबसे मुश्किल हालातों को कैप्चर किया और आपके लिए एक ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की है. 

देश की रक्षा का जुनून 

जैसलमेर में थार के रेगिस्तानी हिस्‍से में सुबह भले ही थोड़ी राहत देने वाली हो, लेकिन दोपहर आने तक रेत भरी गर्म हवाएं, हौसला पस्त करने कोशिशें शुरू कर देती हैं. पर इन हालात में भी यहां तैनात महिला कमांडोज डटी हुई हैं और ये कहानी इन्हीं की है. इनके मज़बूत इरादों और इनके अंदर देश की रक्षा के लिए भरे जुनून की कहानी.

भारत-पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ सैकड़ों किलोमीटर में फैले थार के रेगिस्तान पर पेट्रोलिंग करने की कई चुनौतियां हैं. जहां तक रास्ता मोटरेबल है, वहां तक तो फिर भी स्थिति ठीक है, लेकिन जहां से आगे बढ़ते ही गाड़ी के पहिए रेत में फंसना शुरू हो जाएं, वहां से आगे की पूरी गश्त पैदल, महिला कमांडोज अपनी सीमा की चौकसी का ज्यादातार हिस्सा फुट पेट्रोलिंग से पूरा करती हैं.

रात में पेट्रोलिंग की चुनौती

इस पूरे स्ट्रैच में कई हिस्से ऐसे भी हैं जहां रेतीली जमीन पर पैदल चलना भी मुश्किल है वो हिस्सा कैमल पेट्रोलिंग का है यानी यहा ऊंट से सीमा की पहरेदारी की जाती है. 

पूरा दिन खत्म होने के बाद रात के पहरे की तैयारी है से पहले महिला कमांडोज टेक्निकल सर्विलांस सिस्टम को पहले से ज्यादा बेहतर और सटीक बनाने की कोशिश में जुट जाती हैं. सीमा पर 24 घंटे पैनी नजर बनी रहे, इसके लिए डेवलप किए गए एडवांस सिस्टम को चलाने का जिम्मा भी एक महिला कमांडोज पर है.

दिन में गश्त के बाद नाइट पेट्रोलिंग की बारी आती है और रेत पर रात में पहरेदारी की अलग चुनौतियां हैं. कई बार ये चुनौतियां घातक और जानलेवा भी साबित होती हैं. हर अगला कदम कभी कितना खतरनाक हो जाए इसका अंदाजा भी नहीं हो पाता.  लेकिन ये महिला कमांडोज यही कहती हैं, न थकेगें, न थमेंगे, हम डटे रहेंगे क्‍योंकि, इस देश की हिफाजत का दारोमदार और सीमा की सुरक्षा का जिम्मा हमारे कंधों पर एक बड़े भरोसे और एक इत्मिनान के साथ डाला गया है.

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