DNA ANALYSIS: PM मोदी को आखिर क्यों बदलनी पड़ी अपनी टीम? समझिए इसके पीछे की रणनीति
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DNA ANALYSIS: PM मोदी को आखिर क्यों बदलनी पड़ी अपनी टीम? समझिए इसके पीछे की रणनीति

7 जुलाई को कुल 43 नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली, जिनमें से 36 नेता ऐसे हैं, जो पहले मंत्रिमंडल में नहीं थे और 7 नेता ऐसे हैं, जिनका प्रमोशन हुआ है. यानी ये वो नेता हैं, जो पहले से सरकार में थे, लेकिन अब इनकी भूमिका सरकार में और बढ़ा दी गई है.

DNA ANALYSIS: PM मोदी को आखिर क्यों बदलनी पड़ी अपनी टीम? समझिए इसके पीछे की रणनीति

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल का अब तक का सबसे बड़ा विस्तार किया है. कुल मिला कर इस बार के मंत्रिमंडल में 36 नए मंत्री शामिल हुए हैं, 7 पुराने मंत्रियों का प्रमोशन हुआ है और 12 मंत्रियों ने इस्तीफा दिया है. 

  1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम में 53 नहीं कुल 77 सदस्य हो गए हैं.
  2. 12 मंत्रियों ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है.
  3. 36 नए मंत्री बनाए गए हैं.
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बदलाव के पीछे PM मोदी की रणनीति

सबसे बड़ी खबर है, देश के चार बड़े मंत्रियों का इस्तीफा. इनमें स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन, कानून और आईटी मंत्री रवि शंकर प्रसाद, सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक का नाम शामिल है. यानी प्रधानमंत्री मोदी ने इस बार शिक्षा, स्वास्थ्य, आईटी और सूचना एवं प्रसारण जैसे बड़े मंत्रालयों में भारी फेरबदल किए हैं. इसलिए आज हम इस मंत्रिमंडल फेरबदल का सम्पूर्ण विश्लेषण करेंगे और आपको बताएंगे कि जिन मंत्रियों की छुट्टी हुई है, उनके पीछे क्या कारण है? और अपनी टीम में इतने बड़े बदलाव करने के पीछे प्रधानमंत्री मोदी की क्या रणनीति है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल विस्तार का कार्यक्रम कल 7 जुलाई को राष्ट्रपति भवन में हुआ और इस दौरान कुल 15 नेताओं ने कैबिनेट मंत्री की शपथ ली और 28 नेताओं ने राज्य मंत्री की शपथ ली. इस कार्यक्रम से पहले प्रधानमंत्री आवास पर भी एक बैठक हुई, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी नई टीम के सदस्यों के साथ चाय पर चर्चा की और फिर ये सभी सदस्य राष्ट्रपति भवन के लिए रवाना हो गए. इसके बाद मंत्रिमंडल के विस्तार की प्रक्रिया पूरी की गई. यानी शपथ ग्रहण समारोह हुआ.

अब हम आपको मंत्रिमंडल विस्तार की हाइलाइट्स बताते हैं.

- कुल 43 नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली, जिनमें से 36 नेता ऐसे हैं, जो पहले मंत्रिमंडल में नहीं थे और 7 नेता ऐसे हैं, जिनका प्रमोशन हुआ है. यानी ये वो नेता हैं, जो पहले से सरकार में थे, लेकिन अब इनकी भूमिका सरकार में और बढ़ा दी गई है.

- मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब सरकार में दलित समुदाय के रिकॉर्ड 12 मंत्री हो गए हैं और ये सभी नेता देश के अलग अलग आठ राज्यों से आते हैं. यहां एक और अहम बात ये है कि अनुसूचित जाति से आने वाले ये सभी नेता अलग अलग 12 समुदाय से संबंध रखते हैं.

- इसके अलावा नए मंत्रिमंडल में अब एसटी यानी अनुसूचित जनजाति के मंत्रियों की संख्या 8 हो गई है, जो अब तक की किसी सरकार में सबसे ज्यादा संख्या है. यहां भी इस बात का ध्यान रखा गया है कि अनुसूचित जनजाति में भी किसी एक समुदाय को खास स्थान न मिले. इसी को देखते हुए आदिवासी समुदाय की सात उप जातियों से नेताओं को सरकार में मंत्री बनाया गया है.

- इस मंत्रिमंडल विस्तार के साथ किसी सरकार में सबसे ज्यादा OBC समुदाय के मंत्री होने का भी रिकॉर्ड बन गया है. अब प्रधानमंत्री मोदी की टीम में कुल 27 मंत्री OBC समुदाय से होंगे. इसलिए आप इसे देश की पहली OBC सरकार भी कह सकते हैं, जिसमें प्रधानमंत्री खुद OBC समुदाय से आते हैं.

- प्रधानमंत्री मोदी की कैबिनेट में 5 मंत्री भी OBC समुदाय से होंगे.

- और इसके अलावा केन्द्रीय मंत्रिमंडल में महिलाओं की संख्या भी अब 11 हो गई है.

- इस विस्तार के बाद इसे युवाओं की सरकार भी कहा जा रहा है. जहां मंत्रिमंडल विस्तार से पहले प्रधानमंत्री मोदी की मंत्रिपरिषद की औसत आयु 61 वर्ष थी, वहीं अब ये 58 साल हो गई है.

- एक और बात ये कि अब मंत्रिमंडल में अनुभवी नेताओं की संख्या काफी ज्यादा है. इनमें 46 नेता ऐसे हैं, जो पहले कभी न कभी केन्द्र सरकार में काम कर चुके हैं. इसके साथ ही 23 नेता ऐसे हैं, जो लोक सभा का चुनाव तीन या उससे ज्यादा बार जीत चुके हैं.

- यहां एक और बड़ा पॉइंट ये है कि अब प्रधानमंत्री मोदी की टीम में राज्यों के अनुभवी नेता भी होंगे. जैसे मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब सरकार में 4 नेता ऐसे हैं, जो मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इनमें असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे, राजनाथ सिंह और अर्जुन मुंडा हैं. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद भी गुजरात के चार बार मुख्यमंत्री रहे हैं. इस मंत्रिमंडल में 18 नेता ऐसे हैं, जिनके पास राज्य सरकारों में मंत्री पद का अनुभव है और 39 नेता ऐसे हैं, जो पहले विधायक भी रह चुके हैं.

- मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब सरकार में पढ़े लिखे नेताओं की संख्या सबसे ज्यादा हो गई है. अब सरकार में 13 वकील, 6 डॉक्टर्स, 5 इंजीनियर्स, 7 सिविल सर्वेंट्स, 7 पीएचडी स्कॉलर, 3 एमबीए और 68 नेता ऐसे हैं, जो ग्रेजुएट हैं. यानी प्रधानमंत्री मोदी की नई टीम में 88 प्रतिशत नेता ऐसे हैं, जो ग्रेजुएट हैं.

- इसके अलावा अब केंद्र सरकार में 5 मंत्री अल्पसंख्यक समुदाय से भी हो गए हैं.

- सबसे अहम इस बार मंत्रिमंडल में देश के 25 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के नेताओं को शामिल किया गया है.

- हालांकि इससे पहले वर्ष 1991 में जब पी.वी. नरसिम्हा राव के मंत्रिमंडल का गठन हुआ था, तब 26 राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों को इसमें जगह मिली थी. हालांकि तब पी.वी. नरसिम्हा राव पर अलग अलग राज्यों की क्षेत्रीय पार्टियों से नेताओं को अपने मंत्रिमंडल में शामिल करने का दबाव था, क्योंकि उनके पास बहुमत नहीं था और कई नेता सिफारिश और राजनीतिक दबाव की वजह से सरकार में आए थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है.

- मंत्रिमंडल विस्तार का एक और बड़ा पॉइंट ये है कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंत्रिपरिषद काफी विशाल हो गई है और इसमें कुल नेता अब 77 हो गए हैं, जो पहले 53 थे.

12 मंत्रियों ने दिया इस्तीफा 

अब आपको इस विस्तार की सबसे बड़ी बात बताते हैं.

तो पहली बड़ी बात यही है कि 12 मंत्रियों ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है और इनमें चार बड़े नाम ऐसे हैं, जो कैबिनेट में थे. इनमें पहले हैं डॉक्टर हर्षवर्धन, जिनकी उम्र 66 साल है. दूसरे हैं रवि शंकर प्रसाद, जिनकी उम्र भी 66 साल है. तीसरे हैं प्रकाश जावड़ेकर, जिनकी उम्र 70 साल है और चौथे हैं रमेश पोखरियाल निशंक, जिनकी उम्र 61 साल है. ये चार नेता अब मोदी कैबिनेट का हिस्सा नहीं है और हम एक एक करके इनके बारे में बताते हैं.

डॉक्टर हर्षवर्धन सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे और पिछले डेढ़ वर्षों में उनका रोल सबसे महत्वपूर्ण था क्योंकि, उनके कार्यकाल के दौरान देश ने कोरोना की पहली और दूसरी लहर से संघर्ष किया, लेकिन उनके इस्तीफे से ये बात स्पष्ट है कि सरकार उनके काम से खुश नहीं थी.

मंत्रिमंडल से हटाए गए दूसरे बड़े नेता हैं रवि शंकर प्रसाद. वो प्रधानमंत्री की कैबिनेट में कानून और आईटी मंत्री थे. उनके समय में आईटी मंत्रालय और टेक्नोलॉजी कम्पनियों के बीच विवाद हुआ और पिछले दिनों ट्विटर ने रवि शंकर प्रसाद का अकाउंट एक घंटे के लिए बंद भी कर दिया था और मंत्रिमंडल से उन्हें हटाने का संदेश स्पष्ट है कि सरकार उनके भी काम से खुश नहीं थी.

इनमें तीसरा बड़ा नाम हैं प्रकाश जावड़ेकर. उनके पास दो बड़े मंत्रालय थे, सूचना प्रसारण मंत्रालय और पर्यावरण मंत्रालय. सूचना प्रसारण मंत्रालय ने ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर गालियों को ग्लैमराइज करने, हिंसा दिखाने और अश्लीलता को रोकने के लिए इसी साल 25 फरवरी को नई गाइडलाइंस बनाई थी और तब उनके साथ रवि शंकर प्रसाद आईटी मंत्री की हैसियत से टेक क​म्पनियों के लिए नए दिशा निर्देश लाए थे, लेकिन इन दोनों नेताओं को हटा दिया गया और इससे ये पता चलता है कि जिस तरीके से टेक कम्पनियों और ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म  को हैंडल किया गया, उससे सरकार खुश नहीं थी.

प्रकाश जवाड़ेकर को मंत्रिमंडल से हटाने की एक और बड़ी वजह है सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार यानी बैड प्रेस को नहीं रोक पाना. सूचना प्रसारण मंत्री असल में सरकार का प्रवक्ता होता है और वो सरकार के पक्ष लोगों के बीच रखता है, लेकिन प्रकाश जावड़ेकर इस काम में सफल नहीं हुए.

चौथा बड़ा नाम हैं रमेश पोखरियाल निशंक का जिनके पास शिक्षा मंत्रालय था. बताया जा रहा है कि उनके खराब स्वास्थ्य को देखते हुए सरकार ने ये जिम्मेदारी उनसे वापस ली है. लेकिन इसके पीछे बोर्ड परीक्षाओं का रद्द होना और दूसरे कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स का न हो पाना भी एक बड़ा कारण है. आपको याद होगा कि पिछले कुछ महीनों से शिक्षा मंत्रालय का कामकाज प्रधानमंत्री मोदी खुद देख रहे थे और बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करने का फैसला भी उन्हीं की अध्यक्षता में लिया गया था. इसके अलावा शिक्षा मंत्रालय की बैठकों में भी रमेश पोखरियाल निशंक नहीं थे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बच्चों से संवाद कर रहे थे.

हालांकि यहां बड़ी बात ये है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 बड़े मंत्रालयों को बिल्कुल नहीं छुआ. ये मंत्रालय हैं, गृह, विदेश, रक्षा, वित्त और रेल मंत्रालय.

कुल मिला कर कहें तो इस विस्तार से पहले 53 नेताओं का केन्द्रीय मंत्रिमंडल था, जिनमें से 22.6 प्रतिशत मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया और ये बड़ी संख्या है.

मंत्रिमंडल विस्तार में नया क्या 

अब आपको ये बताते हैं कि इस मंत्रिमंडल विस्तार में नया क्या हुआ?

इस बार 36 नए मंत्री बनाए गए हैं. यानी इस हिसाब से देखें तो मौजूदा मंत्रिमंडल में लगभग 47 प्रतिशत मंत्री नए हैं. हम आपको इनमें से कुछ प्रमुख और बड़े नाम बताते हैं, जो प्रधानमंत्री मोदी की कैबिनेट का भी हिस्सा होंगे.

इनमे पहला नाम है असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल का, जिन्होंने कैबिनेट मंत्री की शपथ ली. उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाने के पीछे तीन बड़े पॉइंट रहे.

पहला पॉइंट ये है कि वो उत्तर पूर्व के सबसे बड़े राज्य असम से आते हैं और इससे कैबिनेट में उत्तर पूर्व को प्रतिनिधित्व मिलेगा.

दूसरा पॉइंट ये है कि उनके पास पांच साल बतौर मुख्यमंत्री काम करने का अनुभव है और वो मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में खेल मंत्री भी रह चुके हैं.

और तीसरा पॉइंट ये है कि वो अनुसूचित जनजाति से आते हैं और एक वकील हैं.

दूसरा बड़ा नाम है भूपेंद्र यादव का, उन्होंने भी आज कैबिनेट मंत्री की शपथ ली. भूपेंद्र यादव राजस्थान से आते हैं और पर्दे के पीछे रह कर बीजेपी के लिए कई मौकों पर संकचमोचक की भूमिका निभा चुके हैं.

भूपेंद्र यादव ने सह प्रभारी के रूप में बीजेपी को 2013 के राजस्थान चुनाव में बहुमत दिलाया था और इसके अलावा वो गुजरात और उत्तर प्रदेश के 2017 के विधान सभा में भी बीजेपी को जीत दिला चुके हैं. भूपेंद्र यादव को कुशल चुनावी रणनीतिकार माना जाता है और उनके पास राजनीति का लम्बा अनुभव है.

इसके साथ ही वो एक वकील भी हैं और कई सारी कमिटियों के भी चेयरमैन रह चुके हैं. उनके इसी अनुभव और काबिलियत को देखते हुए उन्हें कैबिनेट में जगह दी गई है.

तीसरा बड़ा नाम है ज्योतिरादित्य सिंधिया का. उन्होंने मध्य प्रदेश में फिर से बीजेपी की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई थी. वो पिछले साल ही कांग्रेस से बीजेपी में आए थे और सबसे अहम उन्हें कांग्रेस में राहुल गांधी की टीम का हिस्सा माना जाता था, लेकिन अब वो प्रधानमंत्री मोदी की कैबिनेट में काम करेंगे.

इसके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया पूर्व यूपीए सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी रह चुके हैं. यानी उनके पास सरकार में काम करने का अनुभव है और सबसे अहम उन्होंने MBA की पढ़ाई की हुई है और वो हार्वर्ड और स्टैफोर्ड यूनिवर्सिटी से भी पढ़ चुके हैं.

इस सूची में चौथा बड़ा नाम है पशुपति कुमार पारस का, उन्होंने भी आज कैबिनेट मंत्री की शपथ ली. पशुपति कुमार पारस राम विलास पासवान के छोटे भाई हैं और चिराग पासवान के चाचा हैं. इस समय लोक जनशक्ति पार्टी में चिराग और पशुपति कुमार पारस के बीच टकराव चल रहा है. चिराग पासवान को उम्मीद थी कि उनके पिता राम विलास पासवान की मृत्यु के बाद केन्द्र सरकार में उन्हें मंत्री बनाया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उनके चाचा, सरकार में कैबिनेट मंत्री बन गए.

हालांकि चिराग पासवान की जगह पशुपति कुमार पारस को कैबिनेट मंत्री बनाने के पीछे भी ठोस वजह है. जैसे उनके पास बिहार की राजनीति में लम्बा अनुभव है. वो नीतीश कुमार की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे चुके हैं, 3 बार विधायक रहे हैं और 2019 के चुनाव में पहली बार सांसद का चुनाव भी जीत चुके हैं. इसके अलावा वो ग्रेजुएट हैं.

नए मंत्रियों में एक और बड़ा नाम मीनाक्षी लेखी का है, जिन्होंने आज केन्द्रीय राज्य मंत्री की शपथ ली. मीनाक्षी लेखी नई दिल्ली लोक सभा सीट से सांसद हैं और 2014 से इस सीट पर उनका कब्जा है. बड़ी बात ये है कि उनकी राजनीति दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ काफी आक्रामक रहती है और सबसे अहम मीनाक्षी लेखी कई वर्षों से सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट में वकालत कर रही हैं.

वो नेता जिनका हुआ प्रमोशन

अब आपको उन नेताओं के बारे में बताते हैं, जिनका प्रमोशन हुआ है.

इनमें पहला नाम है किरेन रिजिजू का वो पहले खेल, आयुष और अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री थे, लेकिन अब उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया है और इस फैसले के पीछे भी कुछ बड़ी वजह रही है.

पहला कारण तो यही है कि उन्होंने जूनियर मिनिस्टर होते हुए दो से ज्यादा मंत्रालयों में काम किया और इस दौरान वो किसी कंट्रोवर्सी में भी नहीं घिरे. यानी उनका प्रदर्शन अच्छा रहा. इसके अलावा एक वजह ये भी रही कि वो उत्तर पूर्व भारत में एक बड़े नेता हैं और उनका अपना जनाधार है.

और सबसे अहम वो मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी गृह मंत्रालय में काम कर चुके हैं और उनके पास इसका अनुभव है और किरेन रिजिजू एक वकील भी हैं.

जिन नेताओं का प्रमोशन हुआ है, उनमें हरदीप सिंह पुरी का भी नाम हैं, जो अभी तक नागरिक उड्डयन मंत्रालय देख रहे थे और मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स में जूनियर मिनिस्टर थे, लेकिन अब उनका प्रमोशन हो गया है और इसकी सबसे बड़ी वजह है कोरोना काल में नागरिक उड्डयन मंत्रालय का शानदार प्रदर्शन. पिछले साल विदेश में फंसे भारतीयों को देश लाने के लिए वंदे भारत मिशन चलाया गया और इस वर्ष भी नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कई अहम और बड़े फैसले लिए, जिसकी वजह से हरदीप सिंह पुरी का रोल सरकार में बढ़ाया गया है.

उनके अलावा अनुराग सिंह ठाकुर, गृह मंत्रालय में जूनियर मिनिस्टर जी. किशन रेड्डी, पुरुषोत्तम रुपाला, मनसुख मांडविया और राज कुमार सिंह का भी प्रमोशन हुआ है और इन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया है.

अगर संख्या की मदद से इस मंत्रिमंडल विस्तार का विश्लेषण करें तो अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम में 53 नहीं कुल 77 सदस्य हो गए हैं.

-इनमें महिलाओं की संख्या 14.3 प्रतिशत है, जो अब तक इतिहास में सबसे ज्यादा है.

-सरकार में SC समुदाय की भागीदारी 15.58 प्रतिशत है, और ये भी एक नया रिकॉर्ड है.

-आदिवासी समुदाय से 10.34 प्रतिशत नेता मंत्रिमंडल में हो गए हैं और ये भी अपने आप में एक बड़ा रिकॉर्ड है.

-OBC समुदाय की मंत्रिमंडल में भागीदारी 35 प्रतिशत है, और इससे पहले किसी भी सरकार में OBC समुदाय को इतना बड़ा प्रतिनिधित्व नहीं मिला.

-स्वास्थ्य और केमिकल एंड फर्टिलाइजर मिनिस्ट्री का एक ही मंत्री होगा.

-मिनिस्टर ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी को प्रधानमंत्री ने अपने पास रखा है. इसे प्राथमिकता दी है.

-सहकारिता मंत्रालय अमित शाह को दिया गया है.

-महिला एंव बाल विकास मंत्रालय पर जोर दिया गया है.

कपड़ा मंत्रालय अब पीयूष गोयल के पास होगा.

आईटी और संचार मंत्रालय अश्विनी वैष्णव को दिया गया.

ज्योतिरादित्य सिंधिया को नागरिक उड्डयन मंत्रालय दिया गया.

हरदीप पुरी को पेट्रोलियम मंत्रालय और शहरी-विकास मंत्रालय मिला.

स्मृति ईरानी महिला, बाल विकास कल्याण मंत्री.

धर्मेंद्र प्रधान देश के नए शिक्षा मंत्री होंगे, कौशल विकास मंत्रालय भी देखेंगे.

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