DNA ANALYSIS: राहुल के लिए चीन बस '15 मिनट' का खेल, धकेल देंगे 100 किमी पीछे!
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DNA ANALYSIS: राहुल के लिए चीन बस '15 मिनट' का खेल, धकेल देंगे 100 किमी पीछे!

वर्ष 1962 में चीन (China) ने भारत पर हमला किया था.वह युद्ध लगभग एक महीने तक चला था.उस युद्ध में चीन की सेना ने भारत की बड़ी जमीन पर कब्जा कर लिया था.  सत्ता में होते तो चीन को 15 मिनट में पीछे फेंक देते: राहुल गांधी उस समय जवाहर लाल नेहरू भारत के प्रधानमंत्री थे.

DNA ANALYSIS: राहुल के लिए चीन बस '15 मिनट' का खेल,  धकेल देंगे 100 किमी पीछे!

नई दिल्ली: वर्ष 1962 में चीन (China) ने भारत पर हमला किया था.वह युद्ध लगभग एक महीने तक चला था.उस युद्ध में चीन की सेना ने भारत की बड़ी जमीन पर कब्जा कर लिया था. 

  1. कांग्रेस सरकारों में नहीं हुआ सीमाई इलाकों का विकास
  2. नेहरू के शासनकाल में चीन ने कब्जा ली 38 हजार वर्ग किमी जमीन
  3. यूपीए सरकार में राहुल गांधी ने चीन के खिलाफ नहीं दिखाई हिम्मत

सत्ता में होते तो चीन को 15 मिनट में पीछे फेंक देते: राहुल गांधी
उस समय जवाहर लाल नेहरू भारत के प्रधानमंत्री थे. वो भारत के सबसे मजबूत प्रधानमंत्रियों में से एक थे, लेकिन वो कुछ भी नहीं कर पाए थे. लेकिन जवाहरलाल नेहरू के पर-नाती राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का कहना है कि
 वो सत्ता में होते तो सिर्फ 15 मिनट में चीन की सेना को भगा देते. सिर्फ भगा नहीं देते, बल्कि उसे उठाकर 100 किलोमीटर पीछे फेंक देते. 

किसानों की सिरसा रैली में कही ये बात
राहुल गांधी ने ये बात हरियाणा के कुरुक्षेत्र में किसानों की एक रैली में कही है. राहुल गांधी ने अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कायर शब्द का प्रयोग किया और कहा कि प्रधानमंत्री देशभक्त नहीं हैं. राहुल गांधी ऐसी बयानबाजी पहले भी करते रहे हैं. राहुल गांधी सांसद हैं और कांग्रेस पार्टी उन्हें भावी प्रधानमंत्री मानती है. इसलिए राहुल गांधी का यह बयान अपने आप में अहम हो जाता है. 

कांग्रेस सरकारों में नहीं हुआ सीमाई इलाकों का विकास
लेकिन राहुल गांधी को उस दौर के बारे में याद रखना चाहिए. जब उनकी पार्टी सत्ता में हुआ करती थी. तब के रक्षा मंत्री एके एंटनी ने  6 ,सितंबर 2013 को संसद में माना था कि आजादी के बाद से ही कांग्रेस पार्टी की सरकारों की नीति रही है कि सीमा से लगे इलाकों में Infrastructure का ज्यादा विकास नहीं कराया जाए. तब एके एंटनी ने यह भी माना था कि ये नीति सही साबित नहीं हुई और चीन ने इसका फायदा उठाकर भारत में घुसपैठ की.

नेहरू के शासनकाल में चीन ने कब्जा ली 38 हजार वर्ग किमी जमीन
राहुल गांधी आज कह रहे हैं कि वो चीन को 15 मिनट में उठाकर फेंक सकते हैं. लेकिन चीन ने जब भी भारत की जमीन पर कब्जा किया, तब केंद्र में कांग्रेस पार्टी की ही सरकारें थीं.
- सबसे पहले 1962 में चीन की सेना ने भारत का पूरा अक्साई चिन इलाका अपने कब्जे में ले लिया था. ये लगभग 38 हजार वर्ग किलोमीटर का इलाका है. अगर क्षेत्रफल के हिसाब से देखें तो ये दक्षिण कोरिया और UAE जैसे देशों के बराबर है.
- इसके एक साल बाद ही वर्ष 1963 में पाकिस्तान ने POK की लगभग 5180 वर्ग मीटर जमीन चीन को तोहफे में दे दी थी. ये दोनों वो समय थे, जब राहुल गांधी के पर-नाना जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रधानमंत्री हुआ करते थे.
- 1962 से पहले ही चीन अरुणाचल प्रदेश की लगभग 90 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर दावा करता है. हालांकि यहां पर भारत की सेना मुस्तैद है, जिससे चीन यहां कोई दुस्साहस नहीं दिखा पाया है. 
- चीन समय-समय पर लद्दाख में छोटी-मोटी घुसपैठ करता रहा है. हालांकि उसने कोई बहुत बड़ी जमीन कब्जा नहीं की. वर्ष 2010 से 2013 के बीच चीन की सेना ने एक बार फिर से घुसपैठ तेज की. 
- National Security Advisory Board ने 2013 में इस बारे में एक रिपोर्ट दी. जिसमें दावा किया गया कि चीन की सेना पूर्वी लद्दाख के 640 वर्ग किलोमीटर इलाके पर कब्जा कर चुकी है. इस रिपोर्ट पर तब बहुत हंगामा मचा था, लेकिन तब UPA सरकार ने इसे खारिज कर दिया था.

यूपीए सरकार में राहुल गांधी ने चीन के खिलाफ नहीं दिखाई हिम्मत
ये वो समय था जब केंद्र में मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे और राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी को  सुपर-प्राइम मिनिस्टर कहा जाता था. खुद राहुल गांधी भी वर्ष 2004 से ही सक्रिय राजनीति में हैं. वर्ष 2013 में वो सांसद थे और कांग्रेस पार्टी ने उन्हें प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर प्रोजेक्ट करना शुरू कर दिया था. वर्ष 2013 में राहुल गांधी के पास मौका था कि वो चीन को उठाकर 100 किलोमीटर पीछे फेंक देते, लेकिन तब राहुल गांधी ने ऐसा कुछ नहीं किया.

राहुल गांधी आज जब विपक्ष में हैं तो बहादुरी की बातें कर रहे हैं. वो जो कुछ कह रहे हैं उसका मतलब शायद खुद उन्हें नहीं पता है. उन्हें अगर इतिहास के बारे में जानकारी होती तो शायद ऐसी बातें बोलने से पहले वो एक बार जरूर सोचते.

नेहरु, इंदिरा और राजीव ने चीन को पीछे क्यों नहीं धकेला?
राहुल गांधी के पर-नाना जवाहरलाल नेहरू लगभग 16 वर्ष तक देश के प्रधानमंत्री रहे. वर्ष 1962 के युद्ध के बाद भी जवाहरलाल नेहरू लगभग 2 वर्ष तक अपने पद पर रहे. वर्ष 1964 में उनका निधन हो गया था. नेहरू हमेशा चीन से अच्छे रिश्तों के समर्थक थे. उन्होंने चीन पर विश्वास किया, लेकिन बदले में उन्हें धोखा मिला लेकिन उन्होंने इस धोखे से भी शायद कोई सबक नहीं सीखा.

महावीर त्यागी के सवाल का जवाब आज तक देश को नहीं मिला
भारत-चीन युद्ध समाप्त होने के बाद संसद में इस मुद्दे पर बहस हुई थी. उस बहस में तब के कांग्रेस सांसद महावीर त्यागी ने जवाहरलाल नेहरू से पूछा कि वो अक्साई चिन वापस पाने के लिए क्या कर रहे हैं? इस पर नेहरू का जवाब था कि अक्साई चिन में घास का तिनका भी नहीं उगता.इस पर महावीर त्यागी ने अपने सिर से टोपी उतारी और कहा कि 'यहां पर भी कुछ नहीं उगता, तो क्या मैं अपना सिर कटवाकर किसी और को दे दूं?' तब इस बात पर संसद में जोर का ठहाका लगा था, लेकिन कांग्रेस सांसद महावीर त्यागी के उस सवाल का जवाब आज 58 साल के बाद भी देश ढूंढ नहीं पाया है. यही कारण है कि आज जब राहुल गांधी चीन को लेकर बड़बोलापन दिखाते हैं तो उनकी बातें लोगों को चुभती हैं.

इंदिरा गांधी 16 साल तक देश की पीएम रही
राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी भी लगभग 16 वर्ष तक प्रधानमंत्री रहीं. उनका पहला कार्यकाल लगभग 11 वर्ष का था, जबकि दूसरा कार्यकाल भी लगभग 5 वर्ष रहा था. इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते वर्ष 1975 में भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव पैदा हुआ था. लेकिन तब भी इंदिरा गांधी ने चीन को पीछे खदेड़ने का प्रयास नहीं किया. राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी भी 5 वर्ष तक प्रधानमंत्री पद पर रहे. लेकिन अपने पूरे कार्यकाल के दौरान राजीव गांधी ने एक बार भी चीन से अक्साई चिन को वापस लेने की कोशिश नहीं की.

कांग्रेस और चीन कम्युनिस्ट पार्टी के बीच हुआ समझौता बना रहस्य
वर्ष 2008 में 7 अगस्त  राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी के महासचिव के तौर पर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था. इस मौके पर उनकी मां सोनिया गांधी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी खड़े थे. वे उन दिनों चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव हुआ करते थे. कांग्रेस पार्टी और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच किस बात का समझौता हुआ था ये कोई नहीं जानता. लेकिन इतना तय है कि उस समय भी राहुल गांधी ने चीन को उठाकर 100 किलोमीटर पीछे फेंकने की कोई बात नहीं की थी.

कांग्रेस सरकारों के नरम रवैये से देश की सीमा सिकुड़ती चली गई
चीन के प्रति कांग्रेस सरकारों के ऐसे ही नरम रवैये का परिणाम हुआ कि चीन की सेना लगातार घुसपैठ करती रही.
- पहली बार वर्ष 2017 में केंद्र सरकार ने सूचना के अधिकार के तहत बताया था कि भारत के कुल 43 हजार 180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर चीन का अवैध कब्जा है.
- अक्साई चिन पर चीन के कब्जे के कारण भारत और चीन के बीच की सीमा आज लगभग 2000 किलोमीटर ही रह गई है. जबकि जो असली नक्शा हम देखते हैं उसके मुताबिक ये 4056 किलोमीटर लंबी होनी चाहिए.
- चीन अपने कब्जे वाले इलाकों में तेजी से सड़क और पुल बना रहा है, जबकि भारत ने कांग्रेस के शासन वाले समय में इस पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया. लद्दाख में सड़कें और पुल बनाने का अधिकतर काम या तो अटल बिहारी वाजपेयी के समय में हुआ या फिर 2014 के बाद.

पहाड़ी इलाकों में गाड़ी 25-30 किमी से ज्यादा तेज नहीं चल सकती
राहुल गांधी कह रहे हैं कि अगर उनकी सरकार होती तो वो 15 मिनट में चीन के सैनिकों को खदेड़ देते. कांग्रेस दावा कर रही है कि चीन ने लद्दाख और उसके आस पास की 1200 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया है. अगर आप लद्दाख गए होंगे तो आपको अंदाज़ा होगा कि पहाड़ी इलाके में गाड़ी 25 से 30 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा की रफ्तार से नहीं चल पाती .

1200 किमी का चक्कर लगाने में लगेंगे 28 घंटे
अगर राहुल गांधी और उनकी टीम बिना रुके इस 1200 वर्ग किलोमीटर के इलाके का चक्कर भी लगाएगी तो उन्हें इसे पूरा करने में कम से 28 घंटे लग जाएंगे. इस इलाके में राहुल गांधी अगर गाड़ी चलाकर पहुंचेगे तो 15 मिनट में वो करीब 7 किलोमीटर का सफर ही तय कर पाएंगे.

बड़े देश की सेना को एकदम से पीछे हटाना आसान नहीं होता
हालांकि हकीकत ये है कि चीन इस बार भारत की एक इंच जमीन पर भी कब्जा नहीं नहीं कर पाया है. यदि ऐसी स्थिति आ भी जाए तो किसी बड़े और शक्तिशाली देश की सेना को पीछे हटाना आसान नहीं होता. राहुल गांधी को तो ये बात और अच्छे तरीके से समझनी चाहिए क्योंकि 1962 में जब भारत का चीन के साथ युद्ध हुआ था तब उनके पर नाना जवाहर लाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे. उस समय युद्ध विराम की घोषणा होने में 1 महीने का समय लग गया था.

दुनिया का सबसे छोटा युद्ध ब्रिटेन और जांजी बार के बीच लड़ा गया
कहा जाता है कि इतिहास का सबसे छोटा युद्ध वर्ष 1896 में ब्रिटेन की सेना और Tanzania के एक छोटे से द्वीप Zanzi Bar (जांजी बार) के सुल्तान के बीच लड़ा गया था. लेकिन ये युद्ध भी 38 मिनट तक चला था. वो भी तब जब ब्रिटेन के तीन हजार सैनिकों को सिर्फ Zanzi Bar (जांजी बार) के सुल्तान के तीन मंजिला महल पर कब्जा करना था. लेकिन राहुल गांधी दावा कर रहे हैं कि वो अपने दम पर चीन की सेना को 100 किलोमीटर पीछे धकेल सकते हैं.

लद्दाख के 44 हजार किमी इलाके का चक्कर लगाने में राहुल को 33 दिन लगेंगे
इसी तरह लद्दाख और आसपास की जिस लगभग 44 हज़ार वर्ग किलोमीटर ज़मीन पर चीन ने कब्जा किया है. उसका गाड़ी से एक पूरा चक्कर लगाने में राहुल गांधी को 800 घंटे से ज्यादा का समय लगेगा, ये 33 दिनों के बराबर है. अब राहुल गांधी को ये सोचना चाहिए जिस देश में चाइनीज़ नूडल्स भी 15 मिनट में नहीं बन सकते. उस देश में चीन की सेना को 15 मिनट में उठाकर फेंक देने का उनके पास कौन सा फॉर्मूला है ? सेना की रणनीति Instant Noodles की तरह नहीं होती. इसके लिए जमीन और माहौल तैयार करना होता है.जिसमें कई बार समय लग जाता है.

राहुल गांधी 15 मिनट बैठकर योग साधना करें
लेकिन राहुल गांधी चाहें तो वो 15 मिनट में एक काम जरूर कर सकते हैं और वो ये कि वो शांति से थोड़ी देर बैठे. हो सके तो कुछ देर के लिए Meditation करें क्योंकि सिर्फ 15 मिनट तक किया गया अच्छा Meditation भी उन्हें भाषणों की आभासी दुनिया से वास्तविक दुनिया में वापस ला सकता है. ये इसलिए जरूरी है क्योंकि राहुल गांधी पीएम पद के दावेदार हैं और उनके ऐसे दावे उनकी गंभीरता पर सवाल उठाते हैं.

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