DNA ANALYSIS: डेल्टा वेरिएंट के सामने वैक्सीन बेअसर? रिसर्च में सामने आई ये बात
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DNA ANALYSIS: डेल्टा वेरिएंट के सामने वैक्सीन बेअसर? रिसर्च में सामने आई ये बात

इस स्टडी के लिए देश के 17 राज्यों से 677 लोगों को चुना गया था. ये ऐसे लोग थे, जो वैक्सीन लगने के बाद भी वायरस से संक्रमित हो गए थे. इनमें से 86 प्रतिशत लोग डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित थे.

DNA ANALYSIS: डेल्टा वेरिएंट के सामने वैक्सीन बेअसर? रिसर्च में सामने आई ये बात

नई दिल्ली: ICMR यानी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की एक रिसर्च में पता चला है कि वैक्सीन की दोनों डोज लगने के बाद अगर आप संक्रमित हुए हैं, तो मुमकिन है कि आप कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट से पीड़ित हैं. शोध के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया है कि वैक्सीन के बाद जिन लोगों को संक्रमण हुआ, उनमें 86 प्रतिशत लोगों में डेल्टा वैरिएंट पाया गया.

  1. दुनिया के 104 देशों में कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट मिला है.
  2. ये वैरिएंट पिछले सारे वैरिएंट से ज्यादा संक्रामक है. 
  3. वैक्सीन लगवाई है तो संक्रमित होने पर अस्पताल जाने की नौबत कम आती है.
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17 राज्यों से 677 लोगों पर स्टडी

इस स्टडी के लिए देश के 17 राज्यों से 677 लोगों को चुना गया था. ये ऐसे लोग थे, जो वैक्सीन लगने के बाद भी वायरस से संक्रमित हो गए थे. इनमें से 86 प्रतिशत लोग डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित थे और कुछ लोगों में वायरस का कप्पा वैरिएंट मिला है.

भारत ही नहीं दुनिया के 104 देशों में कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट मिला है. ये वैरिएंट पिछले सारे वैरिएंट से ज्यादा संक्रामक है. हालांकि वैक्सीन लगवा चुके लोगों के लिए राहत की बात ये है कि संक्रमित होने पर अस्पताल जाने की नौबत कम आती है.

10 प्रतिशत मरीजों को ही अस्पताल जाने की जरूरत पड़ी

वैक्सीन लगवाने के बाद डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित हुए 10 प्रतिशत मरीजों को ही अस्पताल जाने की जरूरत पड़ी. यानी कुल 677 में से केवल 67 लोग ही अस्पताल गए और इनमें से 1 प्रतिशत से भी कम लोगों की मौत हुई.

अस्पताल में जो मरीज भर्ती हुए उनके लिए भी हालात बहुत मुश्किल नहीं रहे. वैक्सीन लगवाने की वजह से वो लोग संक्रमण से जल्दी उबर गए और अस्पताल से उन्हें जल्दी छुट्टी मिल गई. दरअसल, वैक्सीन लगवाने के बाद जो लोग वायरस के डेल्टा वैरिएंट से पीड़ित हुए उनमें गंभीर लक्षण नहीं दिखे.

शोध में शामिल लोगों में 10 प्रतिशत को कोवैक्सीन और 89 प्रतिशत को कोविशील्ड लगी थी. वहीं 2 लोग ऐसे थे, जिन्हें चीन की साइनोफार्म वैक्सीन लगी थी.

ठीक हो चुके 40 प्रतिशत मरीज लॉन्ग कोविड से परेशान 

आपको याद होगा कि हमने लॉन्ग कोविड के प्रभावों पर आपको एक रिपोर्ट दिखाई थी. उसमें हमने बताया था कि कोविड-19 से ठीक हो चुके 40 प्रतिशत मरीज लॉन्ग कोविड से परेशान हैं. कोरोना संक्रमण से उबरने के 12 हफ्ते बाद भी अगर आपको कोविड से जुड़े लक्षण जैसे सिरदर्द, बुखार या कमजोरी महसूस होती है, तो इसे लॉन्ग कोविड कहा जाता है.

दुनियाभर में अब इसे एक बीमारी माना गया है और लोग इसके लिए डॉक्टर से सलाह ले रहे हैं.

मेडिकल जर्नल लैंसेट की रिपोर्ट 

लॉन्ग कोविड पर ही मेडिकल जर्नल लैंसेट में एक रिपोर्ट छपी है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, पूरी दुनिया में लॉन्ग कोविड के 200 से ज्यादा लक्षण मरीजों में दिखे हैं. इन लक्षणों में सबसे सामान्य हैं थकान, कंपकंपी, टिन्निटस, और दिमागी बीमारियां.

लैंसेट में प्रकाशित हुई ये रिसर्च यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों की है. इस रिसर्च में 56 देशों के साढ़े 3 हजार से ज्यादा लोगों को शामिल किया गया था. ये ऐसे लोग थे, जिन्हें कोरोना संक्रमण से उबरे हुए 12 हफ्ते से ज्यादा समय हो गया था.

दिमागी बीमारियों से जुड़ी जांच भी करवाएं

रिसर्च में शामिल हुए लोगों में लॉन्ग कोविड के लक्षण देखे गए. 1 तिहाई लोगों में ये लक्षण 6 महीने तक बने हुए थे, जबकि आधे से ज्यादा लोग 6 महीने से अधिक समय तक लॉन्ग कोविड से प्रभावित रहे. इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अभी तक लॉन्ग कोविड के मामलों में डॉक्टर्स दिल और फेफड़ों से जुड़े टेस्ट करवाने पर जोर देते थे, लेकिन अब डॉक्टर्स को मरीजों की दिमागी बीमारियों से जुड़ी जांच भी करवानी चाहिए.

कोविड-19 के संक्रमण से उबर चुके कई मरीज अब भी छोटी-छोटी कई सामान्य बीमारियों से परेशान हैं. वो इस बात को नहीं समझ पाए हैं कि ये लॉन्ग कोविड के लक्षण हैं और इसका इलाज होना चाहिए.

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