DNA ANALYSIS: इस बार पृथ्वी कांपी तो आएगी बड़ी तबाही! Global Warming की खतरनाक चेतावनी
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DNA ANALYSIS: इस बार पृथ्वी कांपी तो आएगी बड़ी तबाही! Global Warming की खतरनाक चेतावनी

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर ज़िले में बुधवार को जबरदस्त Landslide हुआ. इस हादसे के बाद घटनास्थल से अब तक 10 शव निकाले जा चुके हैं.

DNA ANALYSIS: इस बार पृथ्वी कांपी तो आएगी बड़ी तबाही! Global Warming की खतरनाक चेतावनी

नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश के किन्नौर ज़िले में बुधवार को जबरदस्त Landslide हुआ. पहाड़ों से गिरे मलबे के नीचे एक बस और पर्यटकों की कई गाड़ियां दब गई. किन्नौर से शिमला जा रही इस बस में 40 यात्री सवार थे. 

  1. हादसे में अब तक 10 लोगों की मौत
  2. हिमाचल में अब तक भूस्खलन की 35 घटनाएं
  3. निर्माण कार्यों की वजह से बढ़े हादसे

हादसे में अब तक 10 लोगों की मौत

इस दुर्घटना में अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है और बाकी के लोगों को बचाने के लिए Rescue opration जारी है. अगर आप भी छुट्टियां मनाने के लिए हिमाचल प्रदेश या उत्तराखंड के Hill Stations पर जाने की योजना बना रहे हैं तो फिलहाल अपनी योजना को टाल दें. इसकी वजह ये है कि इन जगहों पर बारिश की वजह से खतरा बहुत ज्यादा है.

जिस इलाके में Landslide की ये घटना हुई है. वो इलाका इस मामले में पहले से बहुत संवेदनशील है. Climate Change और Infrastructure के नाम पर पहाड़ों के दोहन की वजह से हिमाचल प्रदेश में इस बार पिछले वर्ष के मुकाबले Land Slide की घटनाएं 116 प्रतिशत बढ़ गई हैं. वहीं बादल फटने की घटनाओं में 121 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

हिमाचल में अब तक भूस्खलन की 35 घटनाएं

इस साल 13 जून से 30 जुलाई तक अकेले हिमाचल प्रदेश में ही Land Slide की 35 बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं. जिनमें अब तक 187 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. पिछले महीने ऐसी ही एक घटना में 9 पर्यटकों की मौत हो गई थी. हिमाचल प्रदेश के नाहन में भी कुछ दिनों पहले Landslide की वजह से एक पूरा पहाड़ और उस पर बनी सड़क भी खिसक गई थी.

इसी साल फरवरी में उत्तराखंड के चमोली में भी Landslide के बाद नदी में बाढ़ आ गई थी. जिसकी वजह से एक Hydro Project और Dam टूट गया था और कई लोगों की मौत भी हो गई थी.

पहाड़ी राज्यों की सरकारें बार बार पर्यटकों से अपील कर रही हैं कि खराब मौसम और तेज बारिश के दौरान वो पहाड़ी इलाकों में घूमने ना जाए. हालांकि भारत में वो लोग खुद को पर्यटक ही नहीं मानते. जो ऐसी चेतावनियों से डर जाएं.

ब्रिटेन की Sheffield यूनिवर्सिटी के रिसर्च के मुताबिक वर्ष 2004 से 2016 के बीच पूरी दुनिया के मुकाबले भारत में Land Slide की सबसे ज्यादा घटनाएं हुईं.

निर्माण कार्यों की वजह से बढ़े हादसे

भारत में Landslide की 28 प्रतिशत घटनाएं पहाड़ों पर हो रहे निर्माण कार्यों की वजह से होती है. जो दुनिया में सबसे ज्यादा हैं. दूसरे नंबर पर चीन और तीसरे नंबर पर पाकिस्तान है. Landslide की दूसरी सबसे बड़ी वजह तेज और बेमौसम बारिश है. जिसके लिए जलवायु परिवर्तन को ज़िम्मेदार माना जाता है.

Geological Survey of India के मुताबिक भारत में 4 लाख 20 हज़ार वर्ग किलोमीटर का इलाका ऐसा है.जहां कभी भी बड़े पैमाने पर Land Slide हो सकता है.

दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला जिसे हम हिमालय पर्वत श्रृंखला कहते हैं. वह भारत के 13 राज्यों से होकर गुज़रती है. इनमें से कई राज्य Seismic Zone Five में आते हैं. माना जाता है कि इस Zone में आने वाले इलाकों में कभी भी Rechter Scale पर सात या इससे ज्यादा तीव्रता का भूकंप आ सकता है. इसके बाद सबसे खतरनाक श्रेणी Seismic Zone Four मानी जाती है. इस इलाके में भी 7 या इससे ज्यादा तीव्रता वाले भूकंप का खतरा बना हुआ है. देश की राजधानी दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार के बहुत सारे इलाके Zone 4 में आते हैं.

ग्लोबल वार्मिंग भी दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार

कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि Global Warming की वजह से भूकंप और Land Slide की घटनाएं तेजी से बढ़ सकती हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक जैसे ही पहाड़ों की बर्फ या वहां मौजूद Glaciers तेजी से पिघलते हैं, वैसे ही पहाड़ों का Weight distribution बदल जाता है. इससे पृथ्वी के नीचे मौजूद Tectonic plates के टकराने की आशंका बढ़ जाती है. जिससे भूकंप आते हैं और LandSlides की घटनाएं होती हैं.

पर्यावरण को सिर्फ Land Slide और भूकंप से ही खतरा नहीं हैं. उसे जंगलों में आग लगने की बढ़ती घटनाओं से भी खतरा है. United Nations के Inter-Govern-mental Panel on Climate Change की Latest report के मुताबिक पृथ्वी का तापमान वर्ष 2040 तक यानी अगले 20 वर्षों में 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा बढ़ जाएगा. 

ये Climate Change पर इस समय की सबसे ताजा और सबसे विश्वसनीय रिपोर्ट है. इसे 66 देशों के 234 वैज्ञानिकों ने 14 हज़ार Research Papers का आंकलन करने के बाद तैयार किया है. जिसे 195 देशों ने अपनी सहमति दी है. इस रिपोर्ट के मुताबिक अगर सभी देश Carbon Emmision रोक भी दें तो भी पृथ्वी के तापमान को बढ़ने से रोकना मुश्किल होगा. इसकी वजह ये है कि इंसान पहले ही प्रकृति को जबरदस्त नुकसान पहुंचा चुका है .

दुनिया में पहले से ज्यादा होगी बारिश-सूखा

इस रिपोर्ट के मुताबिक अब दुनिया में पहले से ज्यादा सूखा पड़ेगा, ज्यादा तूफान आएंगे और बेमौसमी बारिश होगी. एशिया में पहले से ज्यादा लू चलेंगी. हिंद महासागर पूरी दुनिया के मुकाबले ज्यादा तेज़ी से गर्म होगा. इसकी वजह से भारत जैसे देशों में पहले से ज्यादा गर्मी पड़ेगी और ज्यादा बाढ़ आएगी. मानसून का पैटर्न भी बिगड़ जाएगा

वैज्ञानिकों ने इस चेतावनी को इंसानों के लिए एक तरह का Code Red कहा है. जो सबसे बड़े खतरे का संकेत होता है. इस रिपोर्ट में लिखा है कि औद्योगिक युग के बाद से अब तक पृथ्वी का तापमान 1.1 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है. जो अगले दो दशकों में 1.5 और 2060 तक 2 डिग्री Celsius बढ़ जाएगा. इसे ही Global Warming कहते हैं. ये सब तब भी होगा जब पूरी दुनिया में Carbon Emission को समाप्त या नियंत्रित कर लिया जाएगा. हालांकि अगर इस दिशा में कुछ नहीं किया गया तो तापमान 5.7 डिग्री Celsius तक भी बढ़ सकता है.

कनाडा में 50 डिग्री तक पहुंचा तापमान

वैज्ञानिकों के मुताबिक पिछला दशक पिछले डेढ़ लाख वर्षों में सबसे गर्म दशक था. ऐसा पहली बार है जब समुद्रों का स्तर पहले से बहुत बढ़ चुका है. ये सब सिर्फ इंसानों की गतिविधियों की वजह से हो रहा है. अमेरिका के 13 से ज्यादा राज्यों के जंगलों आग लगी हुई. जिसमें कई लोगों की मौत हो चुकी है. हाल ही में कनाडा में तापमान 50 डिग्री तक पहुंच गया था और इस गर्मी की वजह से वहां कई लोगों की मौत हो गई थी. कनाडा में समुद्र का पानी इतना गर्म हो गया था कि लाखों मछलियां इसकी वजह से मर गईं. 

ग्रीस में भी इस समय जंगलों में आग लगी हुई है. इटली भी जंगलों में लगी आग से परेशान है. वहीं वेनिस में बे-मौसम बरसात की वजह से बाढ़ आ गई है. अक्सर ठंडे रहने वाले Russia और Siberia के भी जंगलों में आग लगी है. इसका धुआं अब North Pole तक पहुंच गया है. पिछले महीने जर्मनी में Second World War के बाद की सबसे भयानक बाढ़ आई थी. वहीं पिछले ही महीने 62 वर्षों के बाद ब्राज़ील के कुछ शहरों में पहली बार बर्फ पड़ी थी.

सदी के अंत तक ये 12 शहर डूब जाएंगे

इस रिपोर्ट के मुताबिक Global Warming की वजह से इस सदी के अंत तक समुद्रों के किनारे बसे भारत के 12 शहर तीन फीट पानी में डूब जाएंगे. जिनमें, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, कोच्चि, विशाखापत्तनम जैसे शहर शामिल हैं. इसके अलावा गोवा राज्य भी पानी में डूब जाएगा. बहुत सारे शहर तो ऐसे हैं. जो इस सदी के अंत तक नहीं बल्कि वर्ष 2050 तक ही पानी में डूब चुके होंगे.

अगर आप सोच रहे हैं कि आप इन शहरों में नहीं रहते और आप बच जाएंगे तो आप गलत सोच रहे हैं. ये शहर समुद्र में डूबे होंगे तो मैदानी इलाकों में आपको सांस लेने के लिए ऑक्सीजन ही नहीं मिलेगी. इसकी वजह ये है कि इस समय वातावरण में Carbon Dioxide पिछले 20 लाख वर्षों के मुकाबले सबसे ज्यादा है. Methane और Nitrous Oxide जैसी जहरीली गैसों की मात्रा 8 लाख वर्षों के मुकाबले सबसे ज्यादा है.

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Climate Change वो मुद्दा है जिसे लेकर लोगों और सरकारों के बीच जागरूकता पहले से ही बहुत कम है. जहां जागरूकता है, वहां भी लोग इस बारे में ज्यादा बात नहीं करना चाहते. हमारे देश का मीडिया भी Climate Change की खबरों को गंभीरता से नहीं लेता. इसे Headlines में जगह नहीं मिलती. ऐसे में ये खबर बहुत पीछे छूट जाती है.

मीडिया को देना होगा इस मुद्दे पर ध्यान

मीडिया का पूरा ध्यान इस पर रहता है कि किस celebrity ने किसको तलाक दिया. किसने किस कंपनी से इस्तीफा दिया और किसने कितना पैसा कमाया. अब Climate Change की खबरों को प्राथमिकता देने का समय आ गया है. वो दिन दूर नहीं जब दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों मे बर्फ पड़ने लगेगी. नैनीताल और शिमला जैसे शहरों में भीषण गर्मी पड़ेगी. वहीं राजस्थान और कच्छ के रेगिस्तान में भारी बरसात होगी. आप अपने घर में बैठे हुए इस जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते. जबकि कुछ ही वर्षों के बाद ये सब कुछ आपके सामने होगा. 

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