दिल्ली के पास एक वर्ल्ड क्लास एक्सप्रेसवे तीन साल पहले बन कर तैयार हुआ था, लेकिन इस एक्सप्रेसवे के आसपास रहने वाले लोगों ने इसकी बुरी हालत कर दी है. ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे की स्थिति ऐसी है कि इस एक्सप्रेस वे के हालात देखकर अच्छी सड़कों की मांग करने वाले लोग दुखी हैं.
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नई दिल्ली: आज हम आपको भारत के लोगों के शॉर्ट कट वाले DNA के बारे में बताते हैं क्योंकि, हमारे देश में लोग परिश्रम वाले लम्बे रास्ते पर नहीं चलना चाहते, बल्कि वो धोखे वाले शॉर्ट कट पर चलना चाहते हैं. भारत की स्थिति ये है कि आप लोगों को वर्ल्ड क्लास एक्सप्रेसवे बना कर दे दीजिए, एक्सप्रेस ट्रेन दे दीजिए या कोई भी वर्ल्ड क्लास सुविधाएं दे दीजिए, वो अगले दिन से उनका दुरुपयोग करना शुरू कर देते हैं.
दिल्ली के पास एक ऐसा ही वर्ल्ड क्लास एक्सप्रेस वे तीन साल पहले बन कर तैयार हुआ था, लेकिन इस एक्सप्रेस वे के आसपास रहने वाले लोगों ने इसकी बुरी हालत कर दी है क्योंकि, ये सारे लोग अपने जीवन में शॉर्टकट के सिद्धांत पर चलते हैं. तीन साल पहले 11 हजार करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुआ ये एक्सप्रेस वे इस समय बहुत बुरी हालत में है. लाइटें चुरा ली गई हैं, डिवाइडर तोड़ दिए गए हैं और सड़क पर भी अतिक्रमण हो गया है.
हम दो तरह के भारत में रहते हैं. पहला है, जिसमें शानदार सड़कें, खूबसूरत कलाकारी और विश्वस्तरीय सुविधाएं नजर आती हैं और दूसरे भारत में ऐसी तस्वीरें दिखती हैं जिसमें हाइवे पर बनी कलाकृतियों में तोड़फोड़ है. उनकी खूबसूरती खराब करने की कोशिश है, सामान की चोरियां है और दुर्घटनाओं को निमंत्रण देने वाली हरकतें हैं.
ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे की स्थिति ऐसी है कि इस एक्सप्रेस वे के हालात देखकर अच्छी सड़कों की मांग करने वाले लोग दुखी हैं. दरअसल, दिल्ली के चारों ओर से दो पेरिफेरल एक्सप्रेस वे बने हैं जिसको ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे कहा जाता है.
135 किलोमीटर लंबा ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे कुंडली से शुरू होता है, फिर बागपत, गाजियाबाद, नोएडा होते हुए पलवल तक जाता है. इस हाइवे के बनने के बाद ऐसा महसूस होता है कि क्या कुछ लोग इस तरह के हाइवे के लिए मानसिक रूप से तैयार हैं?
हमने इस हाइवे का मेनटेनेंस देखने वाले राजीव चौहान से बात की क्योंकि, तोड़फोड़ और असुरक्षित हाइवे देखने के बाद पहली नजर में ये हाइवे मेटेनेंस टीम की लापरवाही जैसा नजर आया.
हम अच्छी सड़कें तो चाहते हैं, लेकिन सड़कों की कद्र नहीं करते, उनसे जुड़े नियमों का पालन नहीं करना चाहते. यहां कुछ लोगों ने तो एक्सप्रेस वे से अपनी सहूलियत के हिसाब से नई सड़कें निकाल दी हैं. इस एक्सप्रेस वे पर 120 किमी प्रति घंटे के रफ्तार से गाड़ियां चलती हैं और ये नया रास्ता हादसे के लिए तैयार है.
जिस दौरान हम यहां पर रिपोर्टिंग कर रहे थे. तभी एक जनाब उसी जुगाड़ू रास्ते से अपने गांव की ओर जाने की कोशिश में थे. हमने उन्हें रोका और समझाया कि वो ऐसा करके खुद की जान खतरे में नहीं डाल रहे हैं, लेकिन उनके पास हर सवाल पर अलग तर्क था.
इस एक्सप्रेसवे पर इस तरह के कई अवैध रास्ते हैं. इस जगह से कार भी अवैध तरीके से नीचे उतर सकती है. हाइवे मेंटेनेंस देखने वालों का कहना है कि टोकने पर लोग नाराज हो जाते हैं और लड़ने मरने पर उतारू रहते हैं.
ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे हमें कई ऐसी चीजें दिखीं जिनमें बेवजह की तोड़फोड़ की गई है. यहां साइनबोर्ड को तोड़ा गया, जबकि सच्चाई ये है कि ये बोर्ड किसी और चीज के काम नहीं आएगा.
इसी तरह से डिवाइडर्स पर नंबर लिख दिए गए हैं, जबकि इसका कोई खास फायदा नहीं होना है. हाइवे पर सबसे बड़ी दिक्कत है चोरियां. आम लोग सोच भी नहीं पाएंगे की हाइवे से कोई क्या चुरा सकता है, लेकिन चोर इससे इत्तेफाक नहीं रखते. दुहाई हाल्ट इंटरचेंज का एक सोलर पैनल सेंटर है, जहां से बनी बिजली की मदद से एक्सप्रेसवे रोशन रहता है, लेकिन यहां से कई सोलर पैनल गायब हैं.
सोलर पैनल ही नहीं, एक्सप्रेसवे की सजावट के लिए फाउंटेन बनाए गए थे. लगभग 1.5 करोड़ रुपये की लागत से 3 फाउंटेन बनाए गए थे, लेकिन चोरों की नीयत इस पर भी आ गई. अब सवाल ये उठता है कि लोग ऐसा क्यों करते हैं. उन्हें अपने घर के पास अच्छी सड़कें चाहिए, लेकिन जब वो बन जाती हैं तो वो इस तरह की हरकतें करते हैं.
इस एक्सप्रेस वे पर केवल चोरियां या अवैध सड़कें ही बड़ी परेशानी नहीं हैं. लोग इस पर ओवरस्पीडिंग भी करते हैं जिसकी वजह से कई दुर्घटनाएं होती हैं. इस एक्सप्रेस वे से हर रोज लगभग 6000 गाड़ियां गुजरती हैं और इसे खुले केवल 3 साल हुए हैं, लेकिन इन 3 सालों में ही लोगों की कारस्तानियों की तस्वीरें नजर आ जाती हैं.
ऐसा नहीं है कि सिर्फ आम लोग ही नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, बल्कि टोल गेट पर भी नियमों का उल्लंघन किया गया. ये एक जुगाड़ वाहन है. ये भाईसाहब इसके मालिक हैं. इनको टोल गेट से गाजियाबाद जाने के लिए इस हाइवे पर जाने दिया गया, जबकि ये प्रतिबंधित है.
पूरे 11,000 करोड़ रुपये खर्च करके इस एक्सप्रेस वे को तैयार किया गया था. देश को विश्वस्तरीय सड़कें देने की कोशिश की गई थी, लेकिन इन तस्वीरों को देखने के बाद ऐसा लगता है कि क्या हमारे देश विश्वस्तरीय सड़कों के लिए तैयार है?