कोच्चि से कुछ तस्वीरें सामने आई हैं जिसमें कुछ लोग सचिन तेंदुलकर की तस्वीर पर काली स्याही डाल रहे हैं.
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नई दिल्ली: अब हम देश में 2014 के बाद से फैले एक बड़े भ्रम का DNA टेस्ट करेंगे जो आजकल देश को कुछ ज्यादा ही नुकसान पहुंचा रहा है. आप लोग अक्सर देखते होंगे कि कुछ बुद्धिजीवी, संपादक, पत्रकार, राजनेता मोदी सरकार का विरोध करने में इतने जिद्दी हो जाते हैं कि वो दिन को रात कहने से भी नहीं डरते. ये लोग मोदी सरकार को गलत साबित करने में कब देश को नुकसान पहुंचाने लगते हैं इन्हें शायद समझ में नहीं आता.
यहां हम सबसे पहले बात करेंगे केरल के कोच्चि से आई कुछ तस्वीरों की. इन तस्वीरों में आप देख सकते हैं कैसे कुछ लोग भारत रत्न सचिन तेंदुलकर का अपमान कर रहे हैं. उनकी तस्वीर के ऊपर काली स्याही डाल रहे हैं. ये तस्वीरें शर्मनाक हैं. सचिन का ये अपमान, उनके एक ट्वीट को लेकर किया गया, जो उन्होंने पॉप स्टार रिआना के ट्वीट के बाद प्रतिक्रिया में किया था. सचिन ने भारत की संप्रभुता की बात की थी, तो क्या देश में एकता की बात करना गुनाह है?
अब हम भारत में रहने वाले कुछ ऐसे लोगों की बात करेंगे, जिन्हें इस देश ने सब कुछ दिया. लेकिन ये लोग पता नहीं क्यों, देश से हमेशा नाराज ही रहते हैं. भारत के पूर्व क्रिकेटर इरफान पठान इस लिस्ट में नया नाम है. वो अब किसान आंदोलन में भारत को बदनाम करने वाली ग्रेटा, रिआना और मिया खलीफा की टीम में शामिल हो गए हैं. उनको लगता है कि अगर अमेरिका में मारे गए अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड के समर्थन में भारत के लोग अभियान चला सकते हैं, तो किसानों के समर्थन में ग्रेटा, रिआना, मिया जैसे लोग क्यों नहीं बोल सकते हैं.
लेकिन इरफान पठान को शायद भीड़ का गुस्सा और देश के खिलाफ साजिश में अंतर नहीं मालूम है. उनको ये भी नहीं पता होगा कि 26 जनवरी को 500 से ज्यादा पुलिसवाले घायल हुए थे. जिस देश ने उन्हें इतना सम्मान दिया, पता नहीं उस देश से इरफान और इनके जैसे लोग नाराज क्यों रहते हैं. उन्हें अमेरिका में एक पुलिस अफसर का अत्याचार तो याद है. लेकिन दिल्ली पुलिस के जवानों से उनकी कोई सहानुभूति नहीं है.
कई लोगों ने जब सवाल उठाए तो इरफान को लगने लगा कि उनकी सोच गलत नहीं हैं, बल्कि मीडिया उनकी बात को गलत तरीके से बता रही है. इसके बाद उन्होंने एक और तस्वीर ट्वीट की और लिखा- No Caption Needed.
जो दर्शक जॉर्ज फ्लॉयड को नहीं जानते हैं उनके बारे में भी हम थोड़ी जानकारी दे देते हैं। अमेरिका में पिछले वर्ष मई के महीने में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत पर भारी हंगामा हुआ था। एक श्वेत पुलिस अफसर ने उसकी गर्दन को 8 मिनट तक दबाया था। और बाद में उसकी मौत दम घुटने की वजह से हो गई थी. इसके बाद अमेरिका के 150 से ज्यादा शहरों में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया था और प्रदर्शनकारी व्हाइट हाउस तक पहुंच गए थे, जिसके कारण उस वक्त के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बंकर में जाना पड़ा था.