DNA Analysis: तेजस्वी की ये उड़ान इसलिए भी खास है, क्योंकि वो भारत की इकलौती ऐसी महिला पायलट हैं, जो सुखोई के कॉकपिट पर सवार होकर दुश्मन पर मिसाइलें बरसा सकती हैं. दरअसल सुखोई एक ट्विन सीटर फाइटर जेट है यानी इसमें दो पायलट्स की जगह होती है और दोनों पायलट एक टीम की तरह काम करते हैं.
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DNA Analysis: फ्लाइट लेफ्टिनेंट तेजस्वी ने LAC पर उड़ान भरी तो उन्होंने एक इतिहास भी रच दिया. तेजस्वी की ये उड़ान इसलिए भी खास है, क्योंकि वो भारत की इकलौती ऐसी महिला पायलट हैं, जो सुखोई के कॉकपिट पर सवार होकर दुश्मन पर मिसाइलें बरसा सकती हैं. दरअसल सुखोई एक ट्विन सीटर फाइटर जेट है यानी इसमें दो पायलट्स की जगह होती है और दोनों पायलट एक टीम की तरह काम करते हैं. आगे वाला पायलट विमान को उड़ाता है और उसे कंट्रोल करता है, जबकि आसमान में युद्ध की जिम्मेदारी पीछे वाले पायलट की होती है.
और तेजस्वी यहीं करती हैं. यानी आसमान में उड़ रहे दुश्मन के विमान को ढूंढ कर उस पर निशाना साधना हो या जमीन पर मौजूद किसी ठिकाने पर मिसाइल दाग़नी हो. ये सब उनके इशारे पर ही होता है. वायुसेना की शब्दावली में ऐसे पायलट को WSO कहा जाता है. वायुसेना के लिहाज से LAC का ईस्टर्न फ्रंट काफी चुनौती भरा माना जाता है. यहां सिर्फ़ चीन की ही नहीं. मौसम की भी चुनौतियां रहती हैं और यहां की भौगोलिक स्थिति भी आसान नहीं है लेकिन इसके बावजूद फारवर्ड बेस पर महिला फाइटर की ये उड़ान बताती है कि वो इन चुनौतियों के लिए न सिर्फ़ तैयार हैं, बल्कि उन्हे हराने की काबिलियत भी रखती हैं.
दो इंजन वाला ये विमान न सिर्फ़ हवा से हवा, बल्कि आसमान से जमीन पर अचूक निशाना लगाने की भी क्षमता रखता है. ये विमान अपने साथ कई तरह की मिसाइलें और बम ले जा सकता है. इस विमान से दुश्मन के रडार और एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह करने वाली एंटी रेडियेशन मिसाइल रुद्रम भी दाग़ी जा सकती है. यही नहीं ये परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम बह्मोस मिसाइल भी फायर कर सकता है.
फ्लाइट लेफ्टिनेंट एनी अवस्थी और ए नैन ALH असम और अरुणाचल प्रदेश के दुर्गम इलाक़ों में भी कई उड़ानें भर कर कई अहम ऑपरेशन्स को अंजाम दे चुकी हैं.इसी तरह कुछ वक्त पहले ही स्क्वॉड्रन लीडर पारुल भारद्वाज और स्वाति राठौर ने पहली बार चिनूक हेलिकॉप्टर उड़ा कर इतिहास रचा था. चिनूक भारतीय सेना का फ्रंट लाइन कार्गो हेलिकॉप्टर है और ये अपने साथ टैंक, बख्तरबंद वाहन और होवित्ज़र तोपें भी ले जा सकता है. चीन के साथ तनाव के दौरान इन हेलिकॉप्टर्स ने सेना की तैनाती में बड़ी भूमिका निभाई थी और अब इस हेलिकॉप्टर को भी महिलाएं उड़ा रही हैं और ये सिर्फ़ इन पायलट्स के लिए नहीं हर भारतवासी के लिए गर्व की बात है.
वैसे तो वायुसेना में वर्ष 1990 से महिला पायलट के तौर पर अपनी सेवाएं दे रही हैं, लेकिन तब उन्हे सिर्फ़ हेलिकॉप्टर या ट्रांसपोर्ट विमान उड़ाने की ही इजाज़त थी और उन्हे फाइटर पायलट की भूमिका नहीं दी जाती थी. लेकिन वर्ष 2015 में पहली बार वायुसेना ने महिलाओं को फाइटर पायलट के लिए भी प्रशिक्षित करने की योजना बनाई, जिसके बाद वर्ष 2016 में अवनी चतुर्वेदी, मोहना सिंह और भावना कंठ ने फाइटर पायलट बनने की ट्रेनिंग शुरू की.
वर्ष 2018 में अवनी चतुर्वेदी ने अकेले मिग 21 बाइसन विमान उड़ा कर इतिहास रचा था और उन्हे भारत की पहली महिला फाइटर पायलट बनने का गौरव भी हासिल है. आज भारत में महिला पायलट्स मिग 21 ही नहीं, सुखोई और रफ़ाल जैसे आधुनिक फाइटर जेट भी उड़ा रही हैं और वो पूरी दुनिया को ये संदेश भी दे रही हैं, कि भारत की नारियां न सिर्फ़ आसमान छूने की क्षमता रखती हैं, बल्कि जरूरत पड़े तो आसमान से दुश्मन पर तबाही बरसाने का हौसला भी रखती हैं.
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