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नई दिल्ली: कहते हैं कि धैर्य और समय किसी भी इंसान को मिले सबसे बड़े तोहफे होते हैं, लेकिन ज्यादातर लोग खराब समय आते ही धैर्य खो देते हैं और जीवन के युद्ध हार जाते हैं. आज हम आपको कर्नाटक के टुमकुर में रहने वाली 15 साल की एक ऐसी लड़की की कहानी बता रहे हैं, जिसने मुश्किल समय में भी अपना हौसला नहीं खोया.
ये कहानी 10वीं क्लास की बोर्ड परीक्षा में टॉप करने वाली ग्रीष्मा नायक (Greeshma Nayak) की है. इसी साल जुलाई के महीने में ग्रीष्मा को 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा देनी थी, लेकिन स्कूल की फीस ना चुका पाने की वजह से ग्रीष्मा के स्कूल ने उसे परीक्षा में शामिल होने के लिए जरूरी एडमिशन कार्ड देने से मना कर दिया और ग्रीष्मा चाहकर भी 10वीं की परीक्षा नहीं दे पाई.
इससे निराश होकर ग्रीष्मा नायक (Greeshma Nayak) ने आत्महत्या का भी प्रयास किया. इस लड़की की मजबूरी ये थी कि लॉकडाउन की वजह से उनके किसान पिता की आय कम हो गई थी और वो स्कूल की फीस चुकाने में असमर्थ थे, लेकिन फिर ग्रीष्मा ने खुद को संभाला और उसने राज्य के शिक्षा मंत्री को एक चिट्ठी लिखी.
इसके बाद शिक्षा मंत्री खुद इस लड़की के घर गए और ये भरोसा दिया कि उन सभी छात्रों को सप्लीमेंट्री एग्जाम देना का असवर दिया जाएगा, जो फीस ना देने की वजह से परीक्षा नहीं दे पाए थे. इसके बाद ग्रीष्मा ने अपनी बड़ी बहनों की मदद से परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी. ग्रीष्मा का धैर्य काम आया और जब पिछले महीने हुई परीक्षा के नतीजे आए तो उसने 95.8 प्रतिशत अंकों के साथ टॉप कर लिया. ग्रीष्मा ने कुल 625 में से 599 अंक हासिल किए.
ये छोटी सी कहानी हमें बताती है कि अगर आप सही समय का इंतजार करें और अपना धैर्य ना खोएं तो विपरित से विपरित परिस्थिति को आप अपने पक्ष में कर सकते हैं. हमें उम्मीद है कि आज इस लड़की की कहानी हमारे देश के ऐसे करोड़ों छात्रों का मनोबल बढ़ाएगी जो असफलताओं से या तो डर गए हैं या निराश हो चुके हैं.
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