Cyber Crime: साल 2019 में साइबर सिक्योरिटी सर्विसेज देने वाली कंपनी ने इस विषय पर एक शोध किया. इस शोध से पता चला कि इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ने के साथ ही 2019 तक 15 हजार से भी ज्यादा निजी और इंटरनेट से जुड़े कैमरों की प्राइवेट तस्वीरें बाजार में उपलब्ध थीं.
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नई दिल्ली: आज हम आपके जीवन में 24 घंटे मौजूद रहने वाले सीसीटीवी कैमरों की बात करेंगे. क्या आप अपने मोबाइल फोन और लैपटॉप के साथ बेडरूम में जाते हैं. क्या आप प्राइवेट मीटिंग में अपने मोबाइल फोन या टैबलेट का इस्तेमाल करते हैं. अगर आप ऐसा करते हैं तो आपको सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि, हो सकता है कि इनमें लगा कैमरा आपका सीधा प्रसारण किसी और के लिए कर रहा हो.
देश में करीब 50 करोड़ लोग स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं और भारत के साढ़े तीन करोड़ घरों में लैपटॉप और कम्प्यूटर का इस्तेमाल किया जाता है और 56 करोड़ नागरिक इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. यानी देश की बड़ी आबादी इंटरनेट के रास्ते आने वाले कैमरे के खतरे की सीमा पर खड़ी है. गृह मंत्रालय ने एक एडवायजरी जारी करके मोबाइल फोन, कंप्यूटर और लैपटॉप वाले कैमरों के गलत इस्तेमाल के बारे में सावधान किया है.
कुछ एप्लीकेशंस मोबाइल फोन या लैपटॉप के कैमरे का इस्तेमाल जासूसी या निगरानी करने के लिए कर सकते हैं. इसलिए जब आप लैपटॉप का प्रयोग नहीं कर रहे हैं तो वेब कैम को किसी चीज से ढक देना चाहिए. यानी आपको अपने लैपटॉप वेब कैम को ढंककर रखना चाहिए ताकि उसके जरिए साइबर अपराधी आप पर नजर न रख सकें. आपको मालूम होना चाहिए कि ऐसा हो सकता है क्योंकि, आज से कुछ साल पहले तक अगर ये बात कही जाती तो इसको मजाक समझा जाता. लेकिन वर्ष 2016 में फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग की एक तस्वीर सामने आई थी जिसमें वो अपने लैपटॉप के पास बैठे दिखे थे. इस तस्वीर में उनके लैपटॉप के वेब कैम पर टेप चिपका हुआ था. ऐसा उन्होंने इसलिए किया था ताकि कोई उनके कैमरे को हैक करके उनकी प्राइवेसी के साथ खिलवाड़ न करे.
तब भी ये सवाल उठे थे कि क्या ऐसा मुमकिन है कि मोबाइल फोन के कैमरे या वैब कैम को हैक किया जा सकता है?
साल 2019 में साइबर सिक्योरिटी सर्विसेज देने वाली कंपनी ने इस विषय पर एक शोध किया. इस शोध से पता चला कि इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ने के साथ ही 2019 तक 15 हजार से भी ज्यादा निजी और इंटरनेट से जुड़े कैमरों की प्राइवेट तस्वीरें बाजार में उपलब्ध थीं. भारत के लिहाज से देखें तो देश डिजिटल इंडिया बनने की राह पर है. देश में इंटरनेट की इस्तेमाल भी हर दिन तेजी से बढ़ रहा है.
Mobile Broadband India Traffic Index 2020 के मुताबिक भारत में पिछले 5 वर्ष में डेटा ट्रैफिक 60 गुना से ज्यादा बढ़ा है और ये दुनिया में सबसे अधिक डाटा ट्रैफिक में से एक है. देश में कोरोना संक्रमण के दौर के बाद से वर्क फ्रॉम होम कल्चर बढ़ा है. ऐसे में लैपटॉप का इस्तेमाल लोगों ने अधिक से अधिक समय तक किया है. इंटरनेट हमारी पहली जरूरत बन गया है. देश में इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ने के साथ ही साइबर क्राइम भी तेजी से बढ़ा है.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक, देश में वर्ष 2019 में साइबर अपराध के मामलों में 63.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी. NCRB के डेटा में बताया गया है कि वर्ष 2018 में 28 हजार 248 की तुलना में वर्ष 2019 में साइबर अपराधों के 44 हजार 546 मामले दर्ज किए गए. यानी जिस तरह से आप अपनी जिंदगी में तकनीक का इस्तेमाल बढ़ा रहे हैं. उसी तरह से अपराधी भी डिजिटल होते जा रहे हैं, तो अगर आप मोबाइल से दूर नहीं रह सकते या कैमरे वाले कंप्यूटर लैपटॉप का इस्तेमाल करते हैं तो जरूरी है कि आप साइबर क्राइम को लेकर अपनी समझ वक्त से साथ बढ़ाते रहें.
आप भी मोबाइल फोन में किसी ऐप को इस्तेमाल करने से पहले अपने फोन का पूरा एक्सेस दे देते हैं. क्या आप भी ईमेल के जरिए आने वाले लिंक पर क्लिक करते वक्त कैमरा एक्सेस दे देते हैं. अगर ऐसा कर रहे हैं तो यकीन मानिए, आपके मोबाइल फोन और लैपटॉप के कैमरे के जरिए हैकर्स आपकी पूरे दिन की एक्टिविटी का लाइव टेलीकास्ट देख रहे हैं.
साइबर एक्सपर्ट विराग गुप्ता के मुताबिक, ऐसे एप्स हैं जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जासूसी करते हैं. कैमरा हमेशा चालू रहता है, ऐप बंद भी हो जाता है तो भी.
गृह मंत्रालय ने एक ट्वीट के जरिए लोगों को इस खतरे से आगाह किया है और साथ ही लोगों को सलाह दी है कि लैपटॉप का इस्तेमाल अगर न हो रहा हो तो उसके कैमरे को ढक कर रख जाए, पर क्या देश के लोगों को इसके बारे में जानकारी है और अगर हां तो क्या वो सावधानी रखते हैं ये जानने के लिए हमारी टीम कुछ लोगों से मिली.
साइबर एक्सपर्ट मयंक अग्रवाल कहते हैं कि मोबाइल फोन के अलावा लैपटॉप का कैमरा भी हैकर्स के निशाने पर रहता है. इसीलिए ये भी जानना जरूरी है कि लैपटॉप को हैकर्स से कैसे बचाएं और ये कैसे पता लगाएं कि आपके कंप्यूटर का कैमरा बंद है या उससे रिकॉर्डिंग चल रही है. मोबाइल फोन हो या फिर लैपटॉप का वेबकैम, अगर हैकर्स की पहुंच वहां तक हो गई तो इतना समझ लीजिए कि आपका डिवाइस हैकर्स का सीसीटीवी कैमरा बन चुका है और 24 घंटे हैकर्स की नजर में है.
यहां एक बात और समझनी चाहिए कि हम चाहे घर में रहें या बाहर, किसी न किसी कैमरे की निगाह में रहते हैं. किसी मार्केट में रहें या अपने ऑफिस में हम पर सीसीटीवी कैमरों की नजरें चौबीसों घंटे रहती है. इसी तरह से आप घर पर हैं, तो मोबाइल फोन या लैपटॉप के कैमरों की नजरों में रहते हैं.
भले ही बाहर के किसी सीसीटीवी कैमरे की नजर में रहना हमारी मजबूरी हो, लेकिन घर में अपनी प्राइवेसी को आप कुछ खास कदम उठा सकते हैं.
-जब आप वेब कैम का प्रयोग नहीं कर रहे हों तो उसे किसी चीज से ढक दें.
-इसके लिए आप वेब कैम पर टेप चिपका सकते हैं.
-इसके अलावा आप अपने लैपटॉप और मोबाइल फोन को हमेशा अपडेट रखें.
-इसके लिए आप एंटी वायरस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर सकते हैं.
-कोई भी ऐप या सॉफ्टवेयर डाउनलोड करते समय चेक करें कि वो आपसे क्या परमिशन मांग रहा है?
-खुद से सवाल करें कि क्या उस ऐप को सभी परमिशन की जरूरत है?
-अगर उस ऐप को किसी परमिशन की जरूरत नहीं है तो आप उसे अपने मोबाइल फोन में घुसपैठ करने का मौका न दें.
तो ये वो कुछ जरूरी बातें हैं, जिनका अगर आप ध्यान रखें तो आप इस खतरे से बच सकते हैं.