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नई दिल्ली: कहते हैं कि जो देश आपस में लड़ते हैं वो दुश्मन होते हैं और जो आपस में मिलकर लड़ते हैं वो दोस्त होते हैं. वहीं जो देश शांतिकाल में एक दूसरे के साथ मिलकर युद्ध का अभ्यास करते हैं, वो सबसे पक्के दोस्त होते हैं. ऐसी ही पक्की दोस्ती इन दिनों भारत और सऊदी अरब (India and Saudi Arabia) निभा रहे हैं.
भारत का युद्धपोत सोमवार को सऊदी अरब (Saudi Arabia) पहुंचा. इस युद्धपोत का नाम है- INS Kochi, जो दोनों के देशों की नौसेनाओं के बीच पहली बार होने वाले युद्ध अभ्यास में हिस्सा लेगा. इस युद्ध अभ्यास को 'अल मोहेद-अल हिंदी' नाम दिया गया है. भारत की नौसेना का ये जहाज जब सउदी अरब के जुबैल बंदरगाह पहुंचा तो इसका स्वागत सऊदी अरब की शाही नौसेना ने किया.
पिछले साल भारत के सेना अध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे (MM Naravane) सऊदी अरब की राजधानी रियाद गए थे, जहां उन्होंने सऊदी अरब की सेना के बड़े अधिकारियों से मुलाकात की थी और दोनों देशों के बीच सैन्य साझेदारी को आगे बढ़ाने पर बात की थी. ये युद्ध अभ्यास इन्हीं प्रयासों का नतीजा है.
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अभ्यास में हिस्सास लेने वाले युद्धपोत आईएनएस कोच्चि (INS Kochi) का निर्माण भारत में भारत के ही इंजीनियर्स ने किया है. इस युद्धपोत पर ऐसी गाइडेड मिसाइलें लगी हैं, जिनका पता लगाना दुश्मन के लिए आसान नहीं है. ये युद्धपोत आज की तारीख में भारतीय नौसेना (Indian Navy) की शान है. सऊदी अरब दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा खरीददार है और भारत ने इस युद्धपोत को सऊदी भेजकर ये बता दिया है कि भारत भी आधुनिक हथियार बनाने में सक्षम है. सऊदी अरब चाहे तो वो अब भारत से भी हथियार खरीद सकता है.
भारत और सऊदी अरब की ये दोस्ती पाकिस्तान के लिए भी एक झटका है, क्योंकि इससे पहले दक्षिण एशिया में पाकिस्तान सऊदी अरब का सबसे बड़ा साझेदार रहा है. सऊदी अरब इस्लाम का केंद्र है और सबसे शक्तिशाली इस्लामिक देशों में से एक है. वो खुद को पूरी दुनिया में इस्लाम का ठेकेदार मानता है और सऊदी अरब के दम पर ही पाकिस्तान ने इस्लामिक कट्टरपंथ के नाम पर चलने वाली दुकानें खोली थीं. लेकिन अब सऊदी अरब बदल रहा है और पाकिस्तान की इन दुकानों में बिकने वाली कट्टरपंथी विचारधारा के बहुत कम खरीददार दुनिया में बचे हैं.
सऊदी अरब के साथ पाकिस्तान के रिश्ते साल 2017 तक बहुत अच्छे थे. तब पाकिस्तान के रिटायर्ड सेना अध्यक्ष जनरल राहिल शरीफ को सऊदी अरब की आतंकवाद विरोधी सेना का प्रमुख बनाया था, जिसमें 39 देश शामिल थे. 2019 में जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) जब संयुक्त राष्ट्र में भाषण देने अमेरिका जा रहे थे, तब सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने उन्हें अपना प्राइवेट जेट दिया था. इसके बाद इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र महा सभा में भाषण दिया और कहा जाता है कि इस भाषण के बाद से ही मोहम्मद बिन सलमान इमरान खान से नाराज हो गए.
जब इमरान खान (Imran Khan) को अमेरिका से वापस लौटना था, तब उन्हें आखिरी मौके पर पता लगा कि मोहम्मद बिन सलमान ने अपना प्राइवेट जेट (Mohammad Bin Salman's Private Jet) वापस मांग लिया है. इसके बाद इमरान खान एक कमर्शियल फ्लाइट से अपने देश लौटे थे. इसके फौरन बाद सऊदी अरब ने पाकिस्तान से वो 7 हजार 500 करोड़ रुपये वापस मांग लिए, जो उसने लोन के रूप में दिए थे.
इसके बाद सऊदी अरब (Saudi Arabia) ने यहां तक कह दिया भारत को कश्मीर समेत अपने आंतरिक मामलों में खुद फैसला लेने का अधिकार है. ये पाकिस्तान के लिए एक और झटका था. कुल मिलाकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) दोस्त कमाना नहीं, सिर्फ दोस्त गंवाना जानते है. तभी तो एक तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति उन्हें कॉल नहीं कर रहे और दूसरी तरफ सऊदी अरब अब उनकी कोई मदद नहीं करना चाहता.
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