DNA ANALYSIS: WhatsApp पर कुछ भी प्राइवेट नहीं! जानिए कैसे सुरक्षित रख सकते हैं अपना Data
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DNA ANALYSIS: WhatsApp पर कुछ भी प्राइवेट नहीं! जानिए कैसे सुरक्षित रख सकते हैं अपना Data

आज के दौर में हर व्यक्ति दो तरह का जीवन जी रहा है. एक वो जो दुनिया के सामने है और दूसरा वो जो पासवर्ड के ताले में बंद है और जिस दिन ये ताला खुलता है उस दिन आपका जीवन बेपर्दा हो जाता है.

DNA ANALYSIS: WhatsApp पर कुछ भी प्राइवेट नहीं! जानिए कैसे सुरक्षित रख सकते हैं अपना Data

नई दिल्ली: गीता में श्री कृष्ण अर्जुन को आत्मा और शरीर का अंतर समझाते हुए कहते हैं कि शरीर तो नष्ट हो जाता है लेकिन आत्मा कभी नष्ट नहीं होती. आत्मा को न तो शस्त्र काट सकते हैं, न ही आग जला सकती है, न पानी भिगो सकता है और न ही हवा इसे सुखा सकती है. लेकिन आज के दौर में ये बात सिर्फ आत्मा पर नहीं बल्कि, आपके प्राइवेट डेटा पर भी फिट बैठती है. आप चाहे अपने मोबाइल फोन को तोड़ दें, चाहे इसे जला दें या फिर इसे पानी में बहा दें. लेकिन आपका डेटा इंटरनेट के ब्रह्मांड में अमर और अजर हो चुका है और आपका यही डेटा किसी भी दिन आपकी पूरी कुंडली दुनिया के सामने रख सकता है.

पासवर्ड किसी के साथ शेयर न करें
आज के दौर में हर व्यक्ति दो तरह का जीवन जी रहा है. एक वो जो दुनिया के सामने है और दूसरा वो जो पासवर्ड के ताले में बंद है और जिस दिन ये ताला खुलता है उस दिन आपका जीवन बेपर्दा हो जाता है. इसलिए अब लोग कहने लगे हैं कि जिस तरह आप अपने टूथ ब्रश का इस्तेमाल किसी और को नहीं करने देते और जिस तरह आप अपना टूथ ब्रश हर 6 महीने में बदल देते हैं, ठीक वैसे ही आपको अपना पासवर्ड किसी के साथ शेयर नहीं करना चाहिए और हर 6 महीने में इसे बदल देना चाहिए. जो लोग ऐसा नहीं करते, उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ती है.

ऐसा ही कुछ बॉलीवुड की उन सेलिब्रिटीज के साथ भी हो रहा है जिन पर ड्रग्स लेने के आरोप हैं. इन बड़े-बड़े फिल्म स्टार्स की वाट्सऐप वाली प्राइवेट चैट अब दुनिया के सामने है. लेकिन ऐसा कभी भी आपके साथ भी हो सकता है और आपके जीवन के सारे राज दुनिया के सामने आ सकते हैं.

प्राइवेट डेटा को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं?
आज भारत के 70 करोड़ इंटरनेट यूजर्स अपने डेटा को लेकर नए सिरे से सोचने लगे हैं और अब लोग जानना चाहते हैं कि वो अपने प्राइवेट डेटा को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं. इसलिए आज हम आपको बताएंगे टेक्नोलॉजी कंपनियों के बड़े-बड़े दावों के बावजूद आपका डेटा कैसे असुरक्षित है और आप कैसे इसे ज्यादा सुरक्षित बना सकते हैं. इसलिए हम सबसे पहले बात वाट्सऐप की करेंगे. भारत में करीब 40 करोड़ लोग वाट्सऐप का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन इन लोगों को शायद ये नहीं पता कि जिस चैट को वो सुरक्षित और प्राइवेट समझ रहे हैं वो कभी भी दुनिया के सामने आपके जीवन के सारे राज खोल सकती है. इससे बचने के लिए आपको क्या करना चाहिए, वो आप नोट कर लीजिए.

स्क्रीन शॉट्स बिल्कुल न लें
सबसे पहली बात तो ये है कि किसी भी व्यक्ति या ग्रुप के साथ अपनी वाट्सऐप चैट के स्क्रीन शॉट्स बिल्कुल न लें. वैसे तो वाट्सऐप की चैट एंड टू एंड एनक्रिप्टेड होती हैं. यानी इसे मैसेज का आदान प्रदान करने वाले दो व्यक्तियों के अलावा कोई नहीं पढ़ सकता. यहां तक कि वाट्सऐप भी नहीं. लेकिन जब आप अपनी बातचीत का स्क्रीनशॉट लेते हैं तो ये स्क्रीन शॉट मोबाइल फोन में सेव हो जाता है और आपका फोन चोरी होने की स्थिति में या मोबाइल फोन में पासवर्ड न होने की स्थिति में ये चैट किसी और के हाथ लग सकती है.

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बैक अप डेटा को स्टोर न करें
दूसरी बात ये है कि जहां तक हो सके आप अपने वाट्सऐप के बैक अप डेटा को क्लाउड स्टोरेज या मोबाइल फोन की लोकल स्टोरेज में स्टोर न करें. अगर आप एंड्रॉयड मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं तो आपने गौर किया होगा कि वाट्सऐप हर रात 2 बजे आपके डेटा का एक बैक अप तैयार करता है और ये बैक अप मोबाइल फोन में 10 दिनों तक सुरक्षित रहता है. जो लोग आईफोन का इस्तेमाल करते हैं, उनका DATA भी आई क्लाउड पर स्टोर हो जाता है. लेकिन क्लाउड या फिर मोबाइल फोन पर पर स्टोर होने वाला डेटा एंड टू एंड ए​नक्रिप्टेड नहीं होता और कोई हैकर या अपराधी आसानी से इसे हैक कर सकता है. जरूरत पड़ने पर जांच एजेसियां भी कानूनी तौर पर ऐसा कर सकती हैं.

इसके अलावा अलग अलग मोबाइल एप्लीकेशन भी आपसे कई तरह की गैर जरूरी परमिशन मांगती हैं और जब आप इन एप्लीकेशंस को ये परमिशन दे देते हैं तो आपकी लोकेशन और दूसरी जानकारियों का आसानी से पता लगाया जा सकता है. कुछ एप्लीकेशंस तो आपकी बातचीत सुनने और बिना आपकी इजाजत के तस्वीरें खींचने भी सक्षम होती हैं.

बॉलीवुड के स्टार्स की वाट्सऐप चैट लीक कैसे हुई?
अब सवाल ये है कि बॉलीवुड के स्टार्स की वाट्सऐप चैट लीक कैसे हुई ? क्योंकि ये लोग तो अपनी निजी जानकारियों को लेकर ज्यादा सावधान रहते हैं. हमने इस मामले में जब एक्सपर्ट्स से बात की तो हमें पता चला कि ये दो तरीकों से संभव हैं. पहला ये कि अगर इन लोगों ने अपनी चैट डिलीट नहीं की होगी तो हो सकता है कि इनके मोबाइल फोन की क्लोनिंग की गई हो और इसके जरिए ये सारी चैट नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को मिल गई. दूसरी संभावना ये है कि इन लोगों ने शायद अपनी वाट्सऐप चैट तो डिलीट कर दी हो लेकिन डेटा के बैक अप को डिलीट करना भूल गए हों.

यानी जिस तरह आत्मा वस्त्र की तरह शरीर बदलती है लेकिन खुद कभी समाप्त नहीं होती उसी तरह मोबाइल फोन या इंटरनेट से चलने वाली कोई डिवाइस तो आप बदल सकते हैं लेकिन डेटा को मिटाना संभव नहीं है क्योंकि ये कहीं न कहीं स्टोर जरूर होता है.

हालांकि कुछ तरीके अपनाकर आप अपने कम्प्यूटर, मोबाइल फोन और इस पर मौजूद डेटा को कुछ हद तक सुरक्षित जरूर बना सकते हैं. इसके लिए बात बात पर वाट्सऐप चैट का स्क्रीनशॉट लेने की बुरी आदत छोड़ दीजिए.

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ऑटोमेटिक बैक अप लेना आज से ही बंद कर दीजिए
क्लाउड स्टोरेज पर अपने डेटा का ऑटोमेटिक बैक अप लेना आज से ही बंद कर दीजिए. अगर आप आईफोन का इस्तेमाल करते हैं तो आई क्लाउड की सेटिंग पर जाकर ये देखें कि आपने किस किस एप्लीकेशन को ऑटोमेटिक बैक अप की इजाजत दी है. जिस ऐप का बटन एरिया हरे रंग का है उस ऐप का बैक अप आई क्लाउड पर स्टोर हो रहा है. आप इस पर क्लिक करके इसे बंद कर सकते हैं.

अगर आप एंड्रॉयड स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं तो पहले गूगल ड्राइव पर जाएं फिर बाईं तरफ सेटिंग का मेन्यू खोलें. इसमें आपको बैक अप का एक विकल्प दिखाई देगा. आप वाट्सऐप समेत जिस भी ऐप को सुरक्षित बनाना चाहते हैं उस पर क्लिक करें. दाईं तरफ आपको दो विकल्प दिखाई देंगे.

पहला विकल्प बैक अप डिलीट करने का होता है और दूसरा ऑटोमैटिक बैक अप को टर्न ऑफ करने का. आप इनमें से किसी भी विकल्प को चुन सकते हैं. लेकिन ऐसा करने से पहले आप ये जरूर देख लें कि कहीं आप कोई महत्वपूर्ण डेटा तो डिलीट नहीं कर रहे हैं. क्योंकि जब आपका मोबाइल फोन खराब हो जाता है या चोरी हो जाता है तो इसी क्लाउड स्टोरेज से आप अपना डेटा वापस पा सकते हैं. इसके अलावा वाट्सऐप का बैक अप आपके मोबाइल फोन की लोकल स्टोरेज पर भी स्टोर होता है. इसे डिलीट करने के लिए मोबाइल फोन के फाइल मैनेजर को खोलें. इसके बाद इसमें वाट्सऐप फोल्डर को ढूंढें. इसमें डेटा बेस फाइल पर क्लिक करें और इस फाइल को डिलीट कर दें.

मोबाइल फोन से डेटा पूरी तरह डिलीट नहीं होता
लेकिन इतना सब करने के बाद भी आपके मोबाइल फोन से डेटा पूरी तरह डिलीट नहीं होता है और सब कुछ डिलीट करने के बाद भी कोई हैकर, अपराधी या जांच एजेंसी आपके डेटा को आपके मोबाइल फोन की फ्लैश मेमोरी से वापस हासिल कर सकती है. इससे बचने के लिए आप एंड्रॉयड के  प्ले स्टोर या ऐपल के ऐप स्टोर से Shredder App डाउनलोड कर सकते हैं. इनका इस्तेमाल करने से आपके मोबाइल फोन या सर्वर पर मौजूद फाइलें पूरी तरह डिलीट हो जाती हैं और इन्हें रिकवर करना लगभग असंभव हो जाता है.

वाट्सऐप पर की गई चैट, लीक हो जाने का असर ये हुआ है कि लोगों ने बड़ी संख्या में वाट्सऐप डिलीट करना शुरू कर दिया है और अब लोगों ने टेलीग्राम और सिग्नल जैसे ऐप का इस्तेमाल शुरू कर दिया है. टेलीग्राम को वाट्सऐप की तुलना में ज्यादा सुरक्षित माना जाता है. 19 से 24 सितंबर के बीच टेलीग्राम इंस्टॉल करने वालों की संख्या में 64 प्रतिशत वृद्धि हुई है. इस दौरान करीब 20 लाख नए लोगों ने टेलीग्राम को डाउनलोड किया है.

जब हैक हुआ जेफ बेजोस का मोबाइल फोन
वाट्सऐप पर डेटा की सुरक्षा को लेकर उठ रहे सवालों का नतीजा ये भी हुआ है कि अब वाट्सऐप, टीवी और सोशल मीडिया पर विज्ञापन जारी करके लोगों को यकीन दिला रहा है कि वाट्सऐप पर लोगों की चैट, कॉल्स और वीडियो कॉल पूरी तरह सुरक्षित हैं. लेकिन ये पूरी तरह से सच नहीं है क्योंकि इसी वर्ष जनवरी में दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति यानी अमेजन के मालिक जेफ बेजोस का मोबाइल फोन वाट्सऐप पर भेजे गए एक वीडियो के जरिए हैक कर लिया गया था. जांच में इस बात का खुलासा हुआ था कि इस वीडियो में पेगासस नाम का एक जासूसी मैलवेयर छिपा था. जांच करने वालों ने दावा किया था कि जिस वीडियो में ये मैलवेयर छिपा था वो सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने जेफ बेजोस को भेजा था. अब ये विडंबना है कि अमेजन दुनिया की उन बड़ी कंपनियों में शामिल है, जिसके पास दुनियाभर के करोड़ों लोगों का निजी डेटा है. लेकिन इस कंपनी के मालिक के लिए भी अपने निजी डेटा को बचाना असंभव हो गया.

डिजिटल डेटा पर किसका अधिकार
मोबाइल डिवाइसेज का डेटा तो आप फिर भी कुछ हद तक डिलीट कर सकते हैं. लेकिन इंटरनेट पर जो भी गतिविधियां आप करते हैं वो डेटा के रूप में कहीं न कहीं स्टोर जरूर हो जाती हैं. चाहे आप वाट्सऐप का इस्तेमाल करें, चाहे किसी भी इंटरनेट ब्राउजर का, या फिर फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसी किसी भी सोशल नेटवर्किंग एप्लीकेशंस का इस्तेमाल आप करें आपका डेटा अजर और अमर है और इंसान के मरने के बाद भी उसका डेटा जीवित रहता है. इसलिए अब बहुत सारे लोग कानूनी तरीके से वसीयत बनाकर अपना डेटा अपने उत्तराधिकारियों को सौंप रहे हैं. यानी लोग अब ये तय करने लगे हैं कि उनकी मृत्यु के बाद उनके सोशल मीडिया अकाउंट या डिजिटल पर पर किसका अधिकार होगा और कौन इसका इस्तेमाल कर सकता है.

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कंपनियां आपको मुफ्त सेवाएं क्यों देती हैं ?
आपने एक और बात पर गौर किया होगा और वो ये कि इन सारी सर्विसेज के लिए आपसे कोई पैसा नहीं मांगा जाता. कोई फीस नहीं ली जाती. सोशल नेटवर्किंग और इंटरनेट पर सर्फिंग के ये सारे संसाधन बिल्कुल मुफ्त हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अरबों डॉलर्स की कीमत वाली ये कंपनियां आपको मुफ्त में ये सेवाएं क्यों देती हैं ? इसका जवाब ये है कि जब आप किसी सर्विस के लिए कोई कीमत नहीं चुकाते तो आप खुद एक प्रोडक्ट बन जाते हैं. इंटरनेट कंपनियां आपको और आपके डेटा को ही एक प्रोडक्ट समझ लेती हैं और आपकी निजी जानकारियों को इंटरनेट की दुनिया में कौड़ियों के भाव नीलाम करके, ये कंपनियां भारी मुनाफा कमाती हैं. फिर इस डेटा को खरीदने वाली कंपनियां आपको अपने प्रोडक्ट बेचने लगती हैं.

सोच-समझकर ही अपना डेटा, कंपनियों के साथ शेयर करें
कुल मिलाकर सोशल मीडिया और इंटरनेट एक ऐसा बाजार है जिसमें इंसानों के भविष्य का व्यापार होता है. आप डिजिटल हाइजीन को अपनाकर कुछ हद तक अपने डेटा को सुरक्षित तो जरूर बना सकते हैं. लेकिन इसे पूरी तरह नियंत्रित नहीं कर सकते. आपका डेटा किसी को भी आपके अतीत की गहराइयों में ले जा सकता है और आपका पासवर्ड अगर किसी के हाथ लग जाए तो उस व्यक्ति के हाथ में आपके जीवन का रिमोट कंट्रोल आ सकता है. इसलिए अंत में हम यही कहना चाहते हैं कि आप सोशल नेटवर्किंग और इंटरनेट को पूरी तरह से अलविदा भले ही न कहें लेकिन डेटा को सुरक्षित और पासवर्ड को मजबूत जरूर बनाएं और सबसे अच्छा तो ये होगा कि आप डेटा के मामले में भी मिनिमलिज्म को अपनाएं क्योंकि आपका प्राइवेट डेटा जितना कम होगा, आपका जीवन उतना ही आसान हो जाएगा. अगर आपको अपना डेटा, पासवर्ड मे कैद करना ही है तो अपनी बैकिंग और रुपये-पैसों से जुड़े डेटा को पासवर्ड से सुरक्षित कीजिए बाकी के डेटा पर आपको पासवर्ड का ताला लगाने की जरूरत नहीं है.

यहां आपको एक बात और समझनी चाहिए और वो ये है कि आप वाट्सऐप की जगह किसी दूसरे ऐप का इस्तेमाल कर लेंगे और जब वो ऐप भी सुरक्षा के मामले में कमजोर साबित होगा तो आप किसी तीसरे ऐप का इस्तेमाल कर लेंगे लेकिन ये सिलसिला रुकने वाला नहीं है. इसलिए जरूरत इस बात की है आप अपने डेटा को गुलामी का कारण ना बनने दें और सोच-समझकर ही अपना डेटा, कंपनियों के साथ शेयर करें.

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