जब सिद्धू की ताजपोशी हुई तो वो मंच पर ही बल्लेबाजी करने लगे, मानो वो राजनीति के इस मैच को जीतने का जश्न मना रहे हों. सिद्धू ने अपनी बॉडी लैंग्वेज से ये बता दिया कि अब पंजाब में कांग्रेस को वही आगे बढ़ाएंगे.
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नई दिल्ली: ऐसा कहा जाता है कि राहुल गांधी को 'पप्पू' नाम सबसे पहले नवजोत सिंह सिद्धू ने दिया था, लेकिन विडंबना देखिए कि साढ़े चार साल पहले बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में जाने वाले वही नवजोत सिंह सिद्धू आज पंजाब में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बन गए हैं.
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह करीब 80 साल के हैं और नवजोत सिंह सिद्धू की उम्र 57 वर्ष हैं, लेकिन लोग कह रहे हैं कि राजनीति के नए-नए खिलाड़ी नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस के सबसे मजबूत कैप्टन को हरा दिया है.
सिद्धू को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए या नहीं, इस पर पंजाब में बहुत हंगामा हुआ और कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी अपनी नाराजगी दिखाई, लेकिन सोनिया गांधी इस मैच में थर्ड अंपायर की भूमिका में थीं और आखिरकार पार्टी ने उन्हीं के फैसले को अंतिम मानकर पंजाब में कांग्रेस की जिम्मेदारी सिद्धू को दे दी. जब सिद्धू की ताजपोशी हुई तो वो मंच पर ही बल्लेबाजी करने लगे, मानो वो राजनीति के इस मैच को जीतने का जश्न मना रहे हों.
यानी सिद्धू ने अपनी बॉडी लैंग्वेज से ये बता दिया कि अब पंजाब में कांग्रेस को वही आगे बढ़ाएंगे. यानी कॉमेडी के मंच पर बार बार ठोको ताली कहने वाले सिद्धू ने पंजाब में अपनी अगली पारी के लिए ताल ठोक दी है.
लेकिन कहते हैं न कि गुरु, गुरु होता है. जब बारी कैप्टन अमरिंदर सिंह की आई, तो उन्होंने भी कह दिया कि जब सिद्धू का जन्म भी नहीं हुआ था. तब वो भारतीय सेना जॉइन कर चुके थे और चीन के साथ बॉर्डर पर तैनात हो गए थे.
सिद्धू क्रिकेट के मशहूर खिलाड़ी रहे हैं. वन डे और टेस्ट मैच मिलाकर उन्होंने साढ़े सात हजार रन बनाए हैं. वन डे में उनका औसत 37 और टेस्ट मैच में 42 रहा है. सिद्धू राजनीति की दुनिया में अपने फैसलों से पलटने के लिए जाने जाते हैं. पहले वो बीजेपी में थे, फिर कांग्रेस में गए और बीच-बीच में उनके आम आदमी पार्टी में जाने की अटकलें भी लगती रहीं.
लेकिन इस यू-टर्न की शुरुआत उन्होंने क्रिकेट के दिनों कर दी थी. कहा जाता है कि वर्ष 1996 में इंग्लैंड दौरे पर उनकी मोहम्मद अज़हरूद्दीन से लड़ाई हो गई थी, तब अज़हरूद्दीन टीम के कैप्टन थे. इस लड़ाई के बाद सिद्धू ये दौरा बीच में ही छोड़कर वापस आ गए थे और उन्होंने क्रिकेट से संन्यास ले लिया था. लेकिन फिर कुछ समय बाद वो संन्यास से भी पलट गए और वापस क्रिकेट खेलने लगे.
पंजाब में अगले साल विधान सभा चुनाव होने हैं. 2017 के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने पंजाब की 117 सीटों में से 77 सीटें जीती थीं. यानी कांग्रेस को बहुमत से 18 सीटें ज़्यादा मिली थीं, जबकि अकाली दल और बीजेपी दोनों मिलाकर कुल 18 सीटें जीत पाए थे.
किसानों के मुद्दे पर बीजेपी और अकाली का गठबंधन टूट चुका है और दोनों पार्टियों अभी पंजाब में कमजोर दिख रही हैं. अब अगर अमरिंदर सिंह और सिद्धू के बीच टकराव से कांग्रेस भी कमजोर हो गई, तो सीधा फायदा आम आदमी पार्टी को मिलेगा.
आम आदमी पार्टी ने पिछले चुनाव में 20 विधान सभा सीटें जीती थीं. हालांकि पिछली बार अरविंद केजरीवाल ने दो बड़ी गलतियां की थीं.
अरविंद केजरीवाल खुद ये सपना पाल बैठे थे कि वो पंजाब के सीएम बन जाएंगे और दूसरी गलती ये कि उन्होंने खालिस्तान का साथ दे दिया था और ये दांव उल्टा पड़ गया था.