DNA ANALYSIS: लव जेहाद के पीछे हरियाणा का 'मेवात मॉडल' कितना जिम्मेदार?
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DNA ANALYSIS: लव जेहाद के पीछे हरियाणा का 'मेवात मॉडल' कितना जिम्मेदार?

देश की संसद से मेवात की दूरी 100 किलोमीटर से भी कम है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जहां हरियाणा (Haryana) के गुड़गांव जैसे शहरों की सीमा खत्म होती है, वहीं से मेवात (Mewat) जैसे इलाकों की सीमा शुरू होती है और इन इलाकों में अक्सर देश की संसद द्वारा बनाए गए कानून नहीं चलते.

DNA ANALYSIS: लव जेहाद के पीछे हरियाणा का 'मेवात मॉडल' कितना जिम्मेदार?

नई दिल्ली: फरीदाबाद के बल्लभगढ़ में निकिता (Nikita Tomar) की हत्या करने के बाद आरोपी तौसीफ और रेहान हरियाणा (Haryana) के मेवात (Mewat) भाग गए थे. इसलिए आपको लव जेहाद (Love Jihad) के पीछे जिम्मेदार मेवात मॉडल (Mewat Model) को भी समझ लेना चाहिए. ये मेवात मॉडल मेवात और हरियाणा के आस पास के इलाकों से हिंदुओं के पलायन के लिए भी जिम्मेदार है और आपने निकिता के परिवार को सुना वो भी कह रहे थे कि वो फरीदाबाद से पलायन करना चाहते थे.

देश की संसद से मेवात की दूरी 100 किलोमीटर से भी कम है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जहां हरियाणा के गुड़गांव जैसे शहरों की सीमा खत्म होती है, वहीं से मेवात जैसे इलाकों की सीमा शुरू होती है और इन इलाकों में अक्सर देश की संसद द्वारा बनाए गए कानून और संविधान नहीं चलते. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं इसे समझने के लिए आपको मेवात के इतिहास और भूगोल को समझना होगा. फिर आपको सारी बात समझ में आ जाएगी.

मेवात के इतिहास और भूगोल को समझिए
साइबर सिटी के नाम से मशहूर गुरुग्राम से मेवात की दूरी सिर्फ 60 किलोमीटर है. गुरुग्राम में आधुनिकता और विकास की जो चमक दमक आपको दिखाई देती है वो मेवात पहुंचते पहुंचते अपराध और कट्टरपंथ के अंधेरे में बदल जाती है. अगर आप दिल्ली से राजस्थान के अलवर तक का सफर करेंगे तो आपको मेवात से होकर गुजरना होगा. मेवात में मुख्य रूप से जो विधासभा सीटें आती हैं वो हैं नूंह, फिरोजपुर, झिरका और पुन्हाना.

मेवात के इन्हीं इलाकों में अपराधियों के जो गैंग्स सक्रिय हैं, उन्हें मेवाती गैंग कहा जाता है और ये गैंग्स दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कई इलाकों की पुलिस के लिए सिरदर्द बने हुए हैं. मेवात आतंकवादियों को शरण देने से लेकर लूटपाट, डकैती, अपरहरण और हत्या जैसे अपराधों के लिए भी बदनाम है. मेवात में इस समय अपराधियों के करीब 100 से ज्यादा गैंग्स सक्रिय हैं और मेवात में कई इलाके ऐसे हैं जहां पुलिस भी जाने से डरती है. मेवात की आबादी की बात की जाए तो यहां 80 प्रतिशत मुसलमान रहते हैं जबकि 20 प्रतिशत आबादी हिंदुओं की है.

मेवात के अपराधियों के ये गैंग्स कभी जानवरों की तस्करी के लिए कुख्यात हुआ करते थे. लेकिन अब ये इलाका गाड़ियों की चोरी, हथियारों की तस्करी और बलात्कारियों को शरण देने के लिए बदनाम हो चुका है.

NITI आयोग की रिपोर्ट
NITI आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक मेवात भारत के सबसे पिछड़े जिलों में से एक है. वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक मेवात की जनसंख्या 10 लाख है, जिनमें से सिर्फ 56 प्रतिशत लोग ही पढ़ना-लिखना जानते हैं. साक्षरता दर के मामले में पूरे हरियाणा में मेवात की स्थिति सबसे बुरी है.

वर्ष 2016 तक गुड़गांव की जेल में 2 हज़ार 100 अपराधी बंद थे और इनमें से 500 अपराधी सिर्फ मेवात के रहने वाले थे. यानी गुड़गांव की जेल में बंद कुल कैदियों में मेवात के अपराधियों की संख्या 24 प्रतिशत थी. वर्ष 2016 तक फरीदाबाद की ज़िला जेल में भी जितने कैदी बंद थे. उसमें से भी 25 प्रतिशत मेवात के थे.

तबलीगी जमात की विचारधारा का जन्म स्थान
80 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले मेवात की सीमाएं राजस्थान और उत्तर प्रदेश से भी मिलती है. मेवात को ही तबलीगी जमात की विचारधारा का जन्म स्थान माना जाता है. 8वीं, 11वीं और 12वीं शताब्दी में इस पूरे इलाके पर इस्लाम का जबरदस्त प्रभाव पड़ा और इसी दौरान बड़ी संख्या में यहां हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कराकर उन्हें मुसलमान बनाया गया. मेवात में जो राजपूत मुसलमान बन गए थे उन्हें 'मेव' भी कहा जाता है.

मेवात इलाके में धर्म परिवर्तन का जो सिलसिला 8वीं शताब्दी में शुरू हुआ था और लंबे समय तक जारी रहा और इसका नतीजा ये हुआ मेवात भारत के उन जिलों में शामिल हो गया जहां की बहुसंख्यक आबादी मुसलमान है.

वर्ष 2013 में आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि हरियाणा के 500 गावों में से 103 गांव ऐसे हैं जहां अब एक भी हिंदू नहीं बचा है, जबकि 82 गांव ऐसे हैं जहां सिर्फ चार से पांच हिंदू परिवार बचे हैं.

ये रिपोर्ट 7 वर्ष पुरानी है इसलिए हम ये तो नहीं कह सकते कि आज मेवात में क्या स्थिति है. लेकिन मेवात में हालात बेहतर हुए हों इसकी संभावना भी बहुत कम है.

कट्टर इस्लाम की प्रयोगशाला
कुछ लोग मेवात को कट्टर इस्लाम की प्रयोगशाला बनाना चाहते हैं और ये बात कई बार साबित भी हो चुकी है. वर्ष 2017 में DNA शो में ही हमने आपको दिखाया था कि कैसे मेवात के कुछ स्कूलों में हिंदू छात्रों को इस्लाम की शिक्षा दी जा रही थी और उन्हें नमाज पढ़ने पर मजबूर किया जा रहा था.

ये वो मेवात मॉडल है जिसकी आड़ में पूरे देश में कट्टर इस्लाम को बढ़ावा देने की कोशिश हो रही है. यही मेवात मॉडल बच्चों को जबरदस्ती धार्मिक शिक्षा देने से लेकर अब लव जेहाद और लैंड जेहाद में बदल चुका है. मेवात में ये सब कई दशकों से हो रहा है. लेकिन राजनेता सिर्फ इसलिए ये सब चुपचाप देखते रहते हैं क्योंकि वो मेवात की बहुसंख्यक आबादी को नाराज नहीं करना चाहते और इस वोटबैंक को खोने का डर उन्हें मेवात मॉडल का विरोध करने से रोक देता है.

भारतीय संविधान में धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25, 26, 27 और 28 में देश के हर नागरिक को धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है.

अनुच्छेद 25 के मुताबिक, सभी नागरिकों को अपनी पसंद के धर्म को मानने, उसका पालन करने और अपना धर्म के प्रचार की आजादी है. लेकिन प्रचार के अधिकार में किसी अन्य व्यक्ति के धर्मान्तरण का अधिकार शामिल नहीं है.

अनुच्छेद 26 सभी धार्मिक संप्रदायों और संगठनों को नैतिकता के आधार पर धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करने और संस्थाएं बनाने का अधिकार देता है.

और अनुच्छेद 27 में कहा गया है कि किसी भी नागरिक को किसी विशेष धर्म या धार्मिक संस्था को टैक्स या दान देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता. लेकिन दुख इस बात का है कि मेवात मॉडल के नाम पर संविधान की सारी व्यवस्थाओं की धज्जियां उड़ाई जा रही है. संविधान भारत में अल्पसंख्यक को संरक्षण का भरोसा देता है. लेकिन कुछ लोग ये संरक्षण हासिल करके भी देश पर शरिया कानून थोपना चाहते हैं. यानी ये लोग कहते हैं कि तुम मुझे संरक्षण दो, मैं तुम्हें शरिया दूंगा.

NIA की जांच में  खुलासा
वर्ष 2018 में मेवात से करीब 45 किलोमीटर दूर हरियाणा के पलवल के उटावड़ गांव में एक मस्जिद बनाई गई थी और नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी यानी NIA की जांच में ये खुलासा हुआ था कि इस मस्जिद का निर्माण आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा की फंडिग से हुआ है. लश्कर ए तैयबा का चीफ आतंकवादी हाफिज सईद है जो मुंबई में हुए 26/11 हमले का मास्टर माइंड था.

यानी मेवात में कट्टरपंथी इस्लाम के जो बीज बोए जा रहे हैं, उसकी फसल देश के दूसरे इलाकों में भी काटी जा रही है और ये बहुत खतरनाक स्थिति है. मेवात में कट्टरता की ये निशानियां आज की नहीं है, बल्कि इसका इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना है. वर्ष 1265 में दिल्ली सल्तनत के सुल्तान गयासुद्दीन बलबन ने मेवात में एक लाख राजपूतों का कत्ल करवा दिया था, ये वो दौर था जब मेवात के रास्ते पूरे देश में इस्लाम का प्रचार प्रसार बहुत तेजी से किया जा रहा था और इसका नतीजा ये हुआ कि मेवात धीरे धीरे इस्लाम के एक बड़े केंद्र के रूप में विकसित हो गया और इस इलाके में मुसलमानों की जनसंख्या तेजी से बढ़ने लगी.

मेवात की आबादी
वर्ष 1981 में मेवात की आबादी में मुसलमानों की आबादी 66 प्रतिशत थी जो वर्ष 2011 आते-आते लगभग 80 प्रतिशत हो गई.

वर्ष 1947 में जब भारत का बंटवारा हुआ तो पूरे देश में हिंदू और मुसलमानों के बीच दंगे शुरू हो गए और इन दंगों से मेवात भी बच नहीं पाया. लोगों को शांत करने के लिए तब खुद महात्मा गांधी मेवात के कुछ गांवों में पहुंचे और उन्होंने मेवात के मुसलमानों से अपील की है कि वो देश छोड़कर पाकिस्तान न जाएं. गांधी जी ने मेवात के मुसलमानों को समझाते हुए कहा कि आप इस देश की रीढ़ की हड्डी हैं. अब ये भी अजीब विडंबना है कि कथित लव जेहाद के नाम पर जिस निकिता तोमर की हरियाणा के बल्लभगढ़ में हत्या की गई है और उसका जन्म दिन 30 जनवरी को आता है. 30 जनवरी वही तारीख है जिस दिन वर्ष 1948 में नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर गांधी जी की हत्या कर दी थी. गांधी जी मेवात के मुसलमानों को देश की रीढ़ की हड्डी मानते थे और ये ठीक है कि कुछ कट्टरपंथियों और अपराधियों की वजह से पूरे मेवात के लोगों को दोष देना ठीक नहीं है. लेकिन आज मेवात के लोगों को भी ये सोचना चाहिए कि जिस नफरत और कट्टरपंथ की दीवारों से उनके जीवन को घेर लिया गया है वो दीवारें इसलिए खड़ी हो पाईं है क्योंकि इस देश का मुसलमान 70 वर्षों से तुष्टिकरण की कोशिशों को स्वीकार करता आया है और इसी तुष्टिकरण ने न सिर्फ मेवात को कट्टर इस्लाम के केंद्र रूप में पहचान दिलाई है, बल्कि यहां रहने वाले मुसलमानों को भी कभी आगे बढ़ने का मौका नहीं दिया.

कट्टरपंथी इस्लाम का सामना फ्रांस के मॉडल के आधार पर
भारत को अब फ्रांस जैसे देशों से सीखना चाहिए. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों खुलकर कट्टरपंथियों के सामने आ गए हैं और अब उन्होंने फैसला किया है कि वो कट्टरपंथी इस्लाम को अपने देश में बर्दाश्त नहीं करेंगे. इसके लिए वो पूरी दुनिया की नाराजगी मोल लेने के लिए भी तैयार हैं. फ्रांस के विरोध सबसे बड़ा उदाहरण पाकिस्तान से आया है जहां पाकिस्तान की संसद ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित करके फ्रांस से अपने राजदूत को वापस बुलाने का फैसला किया. लेकिन फ्रांस अपने फैसले से पीछे हटने को तैयार नहीं है और भारत को कट्टरपंथी इस्लाम का सामना फ्रांस के मॉडल के आधार पर करना चाहिए.

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