DNA ANALYSIS: 10वीं पास करने के लिए 56 साल का संघर्ष, जानिए ये प्रेरणा देने वाली कहानी
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DNA ANALYSIS: 10वीं पास करने के लिए 56 साल का संघर्ष, जानिए ये प्रेरणा देने वाली कहानी

शिवचरण यादव 86 वर्ष के हैं और ये पिछले 50 साल से ज्यादा समय से 10वीं की परीक्षा दे रहे हैं. हो सकता है, आपको ये सुनकर हैरानी हो, लेकिन शिवचरण के लिए ये एक शपथ की तरह है जो उन्हें मरते दम तक पूरी करनी है.

DNA ANALYSIS: 10वीं पास करने के लिए 56 साल का संघर्ष, जानिए ये प्रेरणा देने वाली कहानी

नई दिल्ली: अब हम आपको राजस्थान के रहने वाले 86 साल के एक व्यक्ति से मिलवाएंगे, जो पिछले 56 वर्षों से लगातार 10वीं कक्षा की परीक्षा दे रहा है और हर बार फेल हो रहा है.

सर्टिफिकेट लेने से किया इनकार

इस बार कोरोना की वजह से परीक्षाएं रद्द कर दी गईं और इस वजह से बाकी छात्रों के साथ इस बुज़ुर्ग छात्र को भी पास कर दिया गया, लेकिन इस बुज़ुर्ग ने 10वीं कक्षा का सर्टिफिकेट लेने से ये कहते हुए इनकार कर दिया कि वो परीक्षा देने के बाद ही अपनी मेहनत से 10वीं पास करेगा. उसे खैरात में मिली मार्कशीट नहीं चाहिए.

ये हमारे युवाओं को प्रेरणा देने वाली खबर है. शरीर में जान भले ही कम हो, लेकिन ये इंसान अपने अरमानों पर अडिग है.

50 साल से ज्यादा समय से दे रहे दसवीं की परीक्षा

शिवचरण यादव 86 वर्ष के हैं और ये पिछले 50 साल से ज्यादा समय से 10वीं की परीक्षा दे रहे हैं. हो सकता है, आपको ये सुनकर हैरानी हो, लेकिन शिवचरण के लिए ये एक शपथ की तरह है जो उन्हें मरते दम तक पूरी करनी है.

शिवचरण यादव राजस्थान के बहरोड़ में खोहरी गांव के मंदिर में रहते हैं. उम्र का तकाजा है कि वो अब ऊंचा सुनते हैं. उनकी जुबान भी उनका साथ कम देती है, लेकिन अपनी बात समझाने की वो पूरी कोशिश करते हैं.

हमारे सवाल समझने में शिवचरण को समस्या आ रही थी. इसलिए हमने उनके दोस्त से उनके बारे में पूछा.

दयानंद, शिवचरण के दोस्त हैं. वो बताते हैं कि शिवचरण 50 साल से दसवीं की परीक्षा दे रहे हैं. उनके परिवार में कोई नहीं है. उन्होंने शपथ ली थी कि10वीं पास करके शादी करूंगा, आज तक शादी नहीं की. 10वीं पास नहीं कर पाए.

10वीं पास करने के बाद शादी करना चाहते थे...

शिवचरण जैसे दृढनिश्चियी और मजबूत इच्छाशक्ति वाले इंसान से हर कोई मिलना चाहता है. इसलिए जब हम इतनी दूर आए थे तो शिवचरण से बात करने का एक अलग तरीका हमने निकाला. हमने लिखकर उन्हें सवाल दिए और उन्होंने उसे पढ़कर हमें जवाब दिया.

शिवचरण ने 60 के दशक से 10वीं की परीक्षा देनी शुरू की थी. 10वीं पास करने के बाद वो शादी करना चाहते थे. फिलहाल उनके परिवार में कोई नहीं है. पिछले काफी समय से गांव के एक मंदिर में रहते आए हैं. पढ़ाई को लेकर उनके उत्साह को देखते हुए यहां उनके लिए अलग कमरे की व्यवस्था भी की गई है.

कोरोना की वजह से नहीं दे पाए परीक्षा

मंदिर के पुरोहित मनोज बताते हैं कि कोरोना की वजह से वह परीक्षा नहीं पाए, जिस सबजेक्ट में फेल होते थे, उसी को पढ़ते थे. 

कोरोना संक्रमण काल में इस बार शिवचरण दसवीं की परीक्षा नहीं दे पाए, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि अगली बार वो परीक्षा जरूर देंगे और पास होकर रहेंगे. इस खबर का सार यही है कि जीवन में पास होने का मतलब है, कभी हार नहीं मानना.

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