Taliban का गुलाम बना नया Pakistan? जानिए क्या है Deoband कनेक्शन
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Taliban का गुलाम बना नया Pakistan? जानिए क्या है Deoband कनेक्शन

Deoband Ideology: कई कुख्यात आतंकवादी देवबंद की विचारधारा वाले मदरसों से पढ़कर निकले हैं. देवबंदी आंदोलन की शुरुआत यूपी में सहारनपुर के कस्बे देवबंद से हुई थी.

देवबंद.

नई दिल्ली: अगर हम आपसे कहें कि तालिबान (Taliban) का उदय अफगानिस्तान (Afghanistan) में नहीं बल्कि भारत की राजधानी दिल्ली से 300 किलोमीटर दूर भारत के ही एक राज्य से हुआ था तो आप सोच में पड़ जाएंगे? लेकिन ये बात पूरी तरह से सच है. उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक छोटा सा कस्बा है जिसका नाम देवबंद (Deoband) है. यहीं से सुन्नी इस्लाम के देवबंदी आंदोलन की शुरुआत हुई थी. 155 वर्ष पहले शुरू हुए इस आंदोलन का मकसद तो इस्लाम का प्रचार करना था लेकिन आगे चलकर इसी विचारधारा के दम पर तालिबान और अलकायदा जैसे आतंकवादी संगठन अस्तित्व में आए.

  1. पाकिस्तान के पीएम कर रहे तालिबान का समर्थन
  2. एएमयू के वीसी के खिलाफ लगाए गए पोस्टर
  3. सूफी परंपरा के खिलाफ है देवबंदी विचारधारा

देवबंद की कट्टर विचारधारा

हालांकि भारत के देवबंदी सुन्नी मुसलमान भारत की आजादी के पक्ष में थे और भारत के विभाजन के विरोध में थे. लेकिन बंटवारे के बाद जब ये विचारधारा पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों में पहुंची तो ये इस्लाम की कट्टर विचारधारा में बदल गई और इस पर वहाबी इस्लाम का प्रभाव हो गया.

पाकिस्तान में देवबंदी विचारधारा का प्रचार-प्रसार

आज भी पाकिस्तान की हजारों मस्जिदों और मदरसों से देवबंद की कट्टर इस्लामिक विचारधारा का प्रचार और प्रसार किया जाता है. इन्हीं में से एक है पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में मौजूद लाल मस्जिद, जिसके मदरसे से पढ़कर निकलने वालों में कई कुख्यात आतंकवादी भी शामिल रहे हैं.

लाल मस्जिद पर फहराए गए तालिबान के झंडे

इसीलिए जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया तो इस्लामाबाद की लाल मस्जिद पर ना सिर्फ तालिबान के झंडे लहराए गए बल्कि इन्हीं झंडों के सामने खड़े होकर लाल मस्जिद के मदरसे में पढ़ने वाली लड़कियों ने तालिबान की शान में गीत भी गाए. इस मदरसे का नाम जामिया हफसा है.

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तालिबान के समर्थन में गाया गया गीत

इस्लामाबाद के जामिया हफसा मदरसे में तालिबान की शान में गाए गए इस गीत की कुछ लाइनें आपको सुननी चाहिए. इससे आपको समझ में आ जाएगा कि पाकिस्तान के मदरसे तालिबानियों को किस तरह से देखते हैं. इस गीत की एक लाइन गाते हुए ये लड़कियां कहती हैं कि उस तालिबान को सलाम है जिसे ना तो Russia हरा पाया और ना ही Nato के देश हरा पाए.

लाल मस्जिद में गाए जा रहे इस गीत के गीतकार और कोई नहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान हैं क्योंकि उन्होंने भी कुछ दिनों पहले तालिबान को ऐसे ही सलाम किया था और कहा था कि तालिबान ने गुलामी की बेड़ियां तोड़ने का काम किया है. साफ है कि जिस देश का प्रधानमंत्री ही तालिबान की तरफदारी करता हो उस देश की मस्जिदों और मदरसों से तालिबान को सलामी तो दी ही जाएगी.

इस्लामाबाद की ये लाल मस्जिद एक समय में पूरी तरह से आतंकवादियों के कब्जे में थी. वर्ष 2006 और 2007 में तो हालत ये हो गई थी कि इसी मस्जिद से आतंकवादियों ने पूरे पाकिस्तान में शरिया कानून लागू करने का ऐलान कर दिया था और पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ ही बगावत कर दी थी. इसके बाद बड़ी मुश्किल से पाकिस्तान की सेना ने एक ऑरपेशन चलाकर इस मस्जिद को खाली कराया था. इस ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों समेत सैकड़ों लोग मारे गए थे.

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लेकिन इससे भी पाकिस्तान की सरकार ने कोई सबक नहीं सीखा क्योंकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इरमान खान ही नहीं बल्कि उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ के नेता भी तालिबान की तारीफ करते नहीं थक रहे. ऐसी ही एक नेता नीलम कादरी शेख हैं, जिन्हें लगता है कि तालिबान अब कश्मीर को भी आजाद करवाएगा.

ऐसा लगता है कि तालिबान अगर आज पाकिस्तान में चुनाव लड़ ले तो वो बहुत आराम से अपनी सरकार बना लेगा क्योंकि पाकिस्तान में तालिबान को चारों तरफ से जबरदस्त समर्थन मिल रहा है.

पाकिस्तान के कट्टरपंथियों ने तो काबुल पर तालिबान के कब्जे से पहले ही जश्न मनाना शुरू कर दिया था. जुलाई के महीने में पाकिस्तान के कुछ शहरों में तालिबान के समर्थन में रैलियां निकाली गई थीं.

कुल मिलाकर अब पाकिस्तान के पत्ते खुल रहे हैं और धीरे-धीरे पाकिस्तान के कट्टरपंथी सामने आ रहे हैं. तालिबान ने अफगानिस्तान की महिलाओं को भले ही पर्दे में रहने का आदेश दिया हो लेकिन उसने पाकिस्तान को दुनिया के सामने बेपर्दा कर दिया है.

और जैसा कि हमने आपसे कहा इस कट्टरपंथ की शुरुआत आज से 155 वर्ष पहले अविभाजित भारत में सहारनपुर के देवबंद से हुई थी. तालिबान पूरी तरह से इस्लाम की देवबंदी विचारधारा में यकीन रखता है.

देवबंदी मुसलमान, इस्लाम का पालन उसके शुद्ध रूप में करते हैं और ये विचारधारा शरिया कानूनों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके अलावा इस विचारधारा को मानने वाले मुसलमान आम तौर पर सूफी परंपरा के भी खिलाफ होते हैं और वो इस्लाम धर्म में किसी भी तरह की मिलावट को बर्दाश्त नहीं करते.

तालिबान की स्थापना करने वाला मुल्ला उमर और जैश ए मोहम्मद का चीफ मसूद अजहर भी देवबंदी विचारधारा को मानने वाले हैं. तालिबान के ज्यादातर आतंकवादी पाकिस्तान के देवबंदी मदरसों से ही पढ़कर निकले हैं. इतना नहीं 1990 से 2009 के बीच पाकिस्तान में जितने आतंकवादी पकड़े गए, उनमें से 90 प्रतिशत देवबंदी मुसलमान थे.

साल 1857 की क्रांति के बाद एक तरफ देवबंदी आंदोलन की शुरुआत हुई जो इस्लाम की कट्टर विचारधारा है और दूसरी तरफ सर सैयद अहमद खान ने अलीगढ़ में Mohammedan Anglo Oriental College की शुरुआत की. जो मुसलमानों को पश्चिमी तौर तरीके से पढ़ाना लिखाना चाहते थे. यही कॉलेज आगे चलकर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में बदल गया.

लेकिन इन दोनों कोशिशों का नतीजा ये हुआ कि देवबंदी विचारधारा को मानने वाले बहुत सारे लोग आतंकवादी बन गए तो सर सैयद अहमद खान का अनुसरण करने वाले Two Nation Theory यानी भारत के बंटवारे की बात करने लगे. यानी एक विचारधारा ने आतंकवादी दिए तो एक ने अलगाववादी.

और आजादी के 75 वर्षों के बाद भी ज्यादा कुछ नहीं बदला है. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुलपति तारीक मंसूर ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की मृत्यु पर एक शोक संदेश लिखा. लेकिन AMU में पढ़ने वाले कई छात्रों को ये बात पसंद नहीं आई और उन्होंने यूनिवर्सिटी में ही AMU के वाइस चांसलर के खिलाफ पोस्टर लगा दिए.

जिसमें ना सिर्फ कल्याण सिंह के लिए अपमानजनक बातें लिखी थीं बल्कि ये भी लिखा था कि कल्याण सिंह एक अपराधी हैं. उनके लिए शोक जताने वाले को माफ नहीं किया जा सकता. इन्हीं पोस्टर्स में ये भी लिखा था कि कल्याण सिंह बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराए जाने के दोषी हैं.

AMU के वाइंस चांसलर का विरोध करने वाले छात्रों की बातें सुनकर आपको लगेगा कि अभी जो कुछ भारत की सीमा से 80-90 किलोमीटर की दूरी पर हो रहा है वो भारत में कभी भी हो सकता है. इसीलिए हम आपसे कह रहे हैं कि तालिबान की जीत पर तालियां बजाने वालों को पहचानिए क्योंकि अगर इन्हें अभी नहीं रोका गया तो अगला नंबर आपके शहर का भी हो सकता है.

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