आजकल किसी की जान लेने के लिए बम, गोली या हथियारों की जरूरत नहीं है. खाना भी एक तरह का हथियार है, जो जान ले सकता है. किसी का दिया हुआ खाना जब आप भरोसे के साथ खाते हैं, तब आपको पता भी नहीं होता कि उस खाने में कुछ मिला तो नहीं है.
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नई दिल्ली: आज हम टेक्नोलॉजी, फरेब और अंधविश्वास के तालमेल से तैयार एक खतरनाक साजिश का विश्लेषण करेंगे. दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में रहने वाले वरुण अरोड़ा नाम के व्यक्ति ने पत्नी और ससुराल के सारे लोगों को जहर देकर मारने की कोशिश की. दो लोगों की जान भी चली गई.उसने पांच लोगों को मछली से बनी डिश खिलाने के बहाने स्लो पॉयजन दे दिया. स्लो पॉयजन से तुरंत मौत नहीं होती. ये धीरे-धीरे शरीर पर असर डालता है. वरुण अरोड़ा अपनी पत्नी दिव्या के साथ 24 घंटे एक ही छत के नीचे रहता था. सोचिए, फिर भी उसके दिल में अपनी पत्नी और ससुराल वालों के लिए कितनी नफरत भरी थी. इस नफरत की वजह थी अंधविश्वास की दीवार जिसने एक हंसते-खेलते परिवार की खुशियों का गला घोंट दिया.
वरुण अरोड़ा और दिव्या की शादी 12 साल पहले हुई थी. शादी के सात साल बाद दोनों को जुड़वा बच्चे हुए. ये बच्चे भी IVF तकनीक से पैदा हुए थे. इसके कुछ महीने के बाद ही वरुण के पिता का देहांत हो गया. तब वरुण की पत्नी दोबारा गर्भवती हुई. वरुण पुनर्जन्म में विश्वास करता था. वो इस अंधविश्वास में फंस चुका था कि दिव्या के गर्भ से उसके पिता का पुनर्जन्म होगा. दिव्या तीसरा बच्चा नहीं चाहती थी, इसलिए उसने अबॉर्शन की इच्छा जाहिर की. वरुण ने मना किया लेकिन पति की इच्छा के विपरीत दिव्या ने अबॉर्शन करवा लिया. वरुण के मन में ये बाद बैठ गई कि दिव्या ने उसके पिता का कत्ल कर दिया है. वो इस कदर बौखला गया कि इंटरनेट पर ऐसे प्लान ढूंढने लगा जिससे ससुराल के सारे लोगों की हत्या हो जाए और किसी को उसपर शक भी न हो.
एक दिन उसे इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन की एक किताब मिली. इस किताब में लिखा था कि सद्दाम हुसैन अपने विरोधियों को मारने के लिए एक खास स्लो पॉयजन का इस्तेमाल करता था. आरोप है कि 31 जनवरी को वरुण अरोड़ा अपने ससुराल आया. वो अपने साथ मछली से बनी एक डिश लेकर गया. उसने ससुराल के सारे लोगों को वो खिलाया, लेकिन वरुण ने खुद जबड़े में दर्द का बहाना बनाकर न तो मछली खाई और न ही अपने बच्चों को खाने दिया.
मछली खाने के कुछ घंटों के बाद एक-एक कर लोगों की तबीयत खराब होने लगी. सबसे पहले 15 फरवरी को दिव्या की बहन प्रियंका की मौत हो गई. उसके बाद 21 मार्च को वरुण की सास अनिता की जान चली गई. फिर वरुण की पत्नी दिव्या की तबीयत बेहद खराब हो गई और वो पिछले 26 दिनों से कोमा में हैं.
दिव्या की ब्लड रिपोर्ट में एक खास केमिकल की पुष्टि हुई और तब पता चला कि सभी को स्लो पॉयजन दिया गया है. ये बात सामने आने में एक महीने 23 दिन लग गए. पुलिस ने जांच की तो वरुण के घर से स्लो पॉयजन की एक शीशी मिली, जब उसे लगा कि वो पकड़ा जा सकता है तो उसने भी कम मात्रा में पॉयजन पानी मे मिलाकर पी लिया. फिलहाल वो मेडिकल ऑबजर्वेशन में है.
इस व्यक्ति ने अपने ससुराल वालों की जान लेने के लिए जिस स्लो पॉयजन का इस्तेमाल किया. उसका नाम हम आपको नहीं बताना चाहते, लेकिन ये जहर कितना खरतनाक है, ये जरूर बता सकते हैं. 31 जनवरी को वरुण ने ये स्लो पॉयजन खाने में मिलाकर दिया और इसका असर 23 मार्च तक यानी एक महीने 23 दिन बाद तक होता रहा. इस जहर से पहले जोड़ों में दर्द शुरू हो जाता है, इंसान दर्द से इतना परेशान हो जाता है कि अपने पैर जमीन पर नहीं रख सकता. फिर बुखार हो जाता है और बाल तेज़ी से गिरने लगते हैं. ये स्लो पॉयजन है, इसलिए शरीर में अचानक कोई बदलाव नहीं करता. इसे किसी स्टोर या दुकान में नहीं बेचा जा सकता. वरुण के ससुर दवा के कारोबारी थे इसलिए उसने इसे बड़ी आसानी से ऑनलाइन ऑर्डर करके मंगवा लिया.
आजकल किसी की जान लेने के लिए बम, गोली या हथियारों की जरूरत नहीं है. खाना भी एक तरह का हथियार है, जो जान ले सकता है. किसी का दिया हुआ खाना जब आप भरोसे के साथ खाते हैं, तब आपको पता भी नहीं होता कि उस खाने में कुछ मिला तो नहीं है.अगर कोई आपका अपना कुछ खाने के लिए देता है, तो आप उसपर भरोसा करके उसका दिया खा लेते हैं क्योंकि, आपको लगता है कि उसने ठीक ही दिया होगा. लेकिन सोचिए, इस खबर को देखने के बाद हम अपने ही रिश्तेदारों के दिए खाने को शक की नज़रों से देखने लगेंगे और कुछ वक्त के लिए सोच मे पड़ सकते हैं कि कहीं खाने की थाली में जहर तो नहीं है. हम किसी रिश्तेदार से बात करने से बच सकते हैं. उससे नजरें मिलाने से भी भाग सकते हैं, लेकिन उसके दिए खाने से बचना नामुमकिन लगता है.
ऐसी खबर अगर झारखंड के किसी बीहड़ की होती या छत्तीसगढ़ के किसी दूर दराज के गांव की होती तो एक पल के लिए यकीन कर सकते थे, लेकिन दिल्ली के महंगे और पॉश इलाकों में एक ग्रेटर कैलाश में रहने वाले एक करोड़पति व्यक्ति ने इस वारदात को अंजाम दिया है. वरुण अरोड़ा एक पढ़ा-लिखा इंसान है. उसने दिल्ली यूनिवर्सिटी से बी.कॉम तक की पढ़ाई पूरी की. वो दिल्ली का नामी बिल्डर बन चुका था. उसका बिजनेस भी अच्छा चल रहा था. ग्रेटर कैलाश जैसे महंगे इलाके में उसका अपना करोड़ों का फ्लैट है. फिर भी एक अंधविश्वास ने उसकी पूरी जिंदगी बदल दी. जिंदगी भर की कमाई एक गलत हरकत के सामने बेकार हो गई.
पुनर्जन्म होता है या नहीं, इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. हम सब बचपन से इसे एक काल्पनिक कथा और अंधविश्वास की तरह मानते आए हैं, लेकिन शर्म की बात है कि पढ़े-लिखे लोग भी इसकी गिरफ्त में आ जाते हैं.