DNA ANALYSIS: देश में धर्मांतरण जेहाद पर बड़ा खुलासा, समझिए कैसे चलता है ये रैकेट
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DNA ANALYSIS: देश में धर्मांतरण जेहाद पर बड़ा खुलासा, समझिए कैसे चलता है ये रैकेट

Forced Conversion: भारतीय संविधान के आर्टिकल 25 के तहत सभी नागरिकों को अपनी स्वेच्छा से किसी भी धर्म को चुनने, उसे मानने और उसका प्रचार करने की पूरी आजादी है, लेकिन अगर कोई जबरदस्ती किसी का धर्म परिवर्तन कराता है या उसे लालच देकर धर्मांतरण करता है, तो भारतीय संविधान में इसका कोई उल्लेख नहीं मिलता.

DNA ANALYSIS: देश में धर्मांतरण जेहाद पर बड़ा खुलासा, समझिए कैसे चलता है ये रैकेट

नई दिल्ली: आज हम आपको एक ऐसी खबर बताएंगे, जो आपको चौंका देगी. उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक ऐसे गिरोह को पकड़ा है, जो हिंदू धर्म के लोगों का इस्लाम धर्म में परिवर्तन करवाते थे और ये लोग खास तौर पर मूक बधिर, महिलाओं और गरीब लोगों को निशाना बनाते थे और इन्हें पैसा, नौकरी और शादी कराने का लालच देते थे. सबसे बड़ी बात ये कि ये गैंग देश की राजधानी दिल्ली के जामिया नगर से ऑपरेट करता था. ये वही जामिया नगर है, जहां वर्ष 2008 में बम धमाकों के बाद आतंकवादी छिप हुए थे और मशहूर बाटला हाउस एनकाउंटर हुआ था.

क्या है पूरा मामला

सबसे पहले आपको इस पूरी खबर के बारे में बताते हैं. ये खबर उत्तर प्रदेश से आई है, जहां लगभग एक हजार गैर मुस्लिम समुदाय के लोगों का धर्म परिवर्तन किया गया और जिन लोगों ने इस्लाम धर्म को अपनाया, उनमें ज्यादातर मूक-बधिर हैं.

अब मैं उस एफआईआर के बारे में आपको बताता हूं, जो 3 जून को गाजियाबाद पुलिस ने दर्ज की थी. इस एफआईआर में लिखा है कि 2 जून को दो संदिग्ध व्यक्ति गाजियाबाद के एक मंदिर में घुस आए. इन लोगों के पास सर्जिकल ब्लेड, धार्मिक पुस्तकें और शीशियों में कुछ तरल पदार्थ था, जो जहर भी हो सकता है.

इन लोगों को जब मंदिर में घुसते समय पकड़ा गया तो इन लोगों ने अपना नाम विपुल विजयवर्गीय और काशी गुप्ता बताया, लेकिन बाद में पता चला कि जो व्यक्ति खुद को काशी गुप्ता बता रहा है, उसका नाम काशिफ है और विपुल विजयवर्गीय का असली नाम रमजान है. एफआईआर में लिखा है कि ये लोग मंदिर में एक महंत को जान से मारने के लिए आए थे.

ये पूरी घटना 2 जून की है और एफआईआर हुई 3 जून को. अब जब पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की तो वो ऐसे लोगों तक पहुंची, जो पिछले कुछ समय से गैर मुस्लिम समुदाय के लोगों का धर्म परिवर्तन करा कर उन्हें मुस्लिम बना रहे हैं और पुलिस का कहना है कि इन लोगों ने ऐसा सिर्फ एक या दो व्यक्ति के साथ नहीं किया, बल्कि लगभग एक हजार लोगों का धर्म परिवर्तन ये लोग अब तक करा चुके हैं.

मैं आपको इनके नाम भी बता देता हूं. इनमें एक का नाम है, जहांगीर और दूसरे का नाम है उमर गौतम. उमर गौतम वही व्यक्ति है, जो पहले खुद हिंदू था, लेकिन बाद में इसने भी अपना धर्म परिवर्तन कर लिया और मुसलमान बन गया. पुलिस के मुताबिक़ ये दोनों लोग अपने कुछ साथियों की मदद से उत्तर प्रदेश में धर्म परिवर्तन का रैकेट चला रहे थे और आपको ये बात जानकर काफी हैरानी होगी कि ये सबकुछ दिल्ली के जामिया नगर से हो रहा था.

यानी धर्म परिवर्तन के इस पूरे रैकेट का रिमोट जामिया नगर में था, जहां Islamic Dawah Center का दफ्तर है. ये संस्था लोगों का धर्म परिवर्तन कराने का काम करती है. सोचिए देश की राजधानी में ऐसी संस्थाओं के दफ्तर हैं, जिनका काम लोगों का धर्म परिवर्तन कराना है और उमर गौतम यही करता था.

कैसे चलता है ये रैकेट?

हम आपको सरल शब्दों में बताते हैं कि कैसे ये लोग इस रैकेट को चलाते थे. ये लोग मूक बधिर, महिलाओं, बच्चों और कमजोर वर्ग के लोगों से संपर्क करते थे. फिर इसके लिए इन लोगों से बात की जाती थी और उन्हें धर्म परिवर्तन करने के लिए लालच दिया जाता था. जैसे जिन लोगों की शादियां नहीं होती थी उनसे ये कहते थे कि इस्लाम धर्म अपनाने के बाद ये उनकी शादियां करवा देंगे. गरीब लोगों को ये पैसों का लालच देते थे और उनके बैंक खातों में रकम जमा की जाती थी. मूक बधिर छात्रों को कहते थे कि इस्लाम धर्म अपनाने से सबकुछ सही हो जाएगा और फिर उनकी मदद भी की जाएगी. जो लोग नहीं मानते थे, उन्हें नौकरी का लालच देकर ये लोग उनका धर्म परिवर्तन करवाते थे और इस तरह इन्होंने हजारों लोगों को अपना निशाना बनाया.

पुलिस के मुताबिक, इन लोगों ने नोएडा के सेक्टर 117 में मूक बधिरों के रेजिडेंशियल स्कूल में कई छात्रों को मजबूर किया और इन छात्रों के परिवार को भी इसके बार में नहीं पता चलने दिया. 

उदाहरण के लिए एक छात्र के परिवार ने कानपुर में अपने बच्चे की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई, लेकिन बाद में पता चला कि उसका धर्म परिवर्तन ने लोगों ने करा दिया है. इसी तरह और लोगों को भी निशाना बनाया गया. 

ऐसा भी नहीं है कि ये लोग पहली मुलाकात के बाद ही धर्म परिवर्तन के लिए ऐसे लोगों को राजी कर लेते थे. इसके लिए पहले इन लोगों के अंदर उनके धर्म को लेकर नफरत पैदा की जाती थी और उन्हें बताया जाता था कि उनका धर्म सही नहीं है. जब ये लोग उनका ब्रेन वॉश कर देते थे, तब उन्हें लालच दिया जाता था और कहा जाता था कि इस्लाम धर्म अपनाने से उनकी सारी समस्याएं खत्म हो जाएंगी.

विदेशों से फंडिंग

पुलिस ने बताया है कि इन लोगों को इस काम के लिए विदेशों से फंडिंग मिलती थी और उमर गौतम नाम का व्यक्ति दूसरे लोगों के साथ मिलकर ये रैकेट चलाता था. आज इस पर उत्तर प्रदेश सरकार ने भी संज्ञान लिया है और कड़ी कार्रवाई की बात कही है.

भारतीय संविधान के आर्टिकल 25 के तहत सभी नागरिकों को अपनी स्वेच्छा से किसी भी धर्म को चुनने, उसे मानने और उसका प्रचार करने की पूरी आजादी है, लेकिन सिर्फ स्वेच्छा से. अगर कोई जबरदस्ती किसी का धर्म परिवर्तन कराता है या उसे लालच देकर धर्मांतरण करता है, तो भारतीय संविधान में इसका कोई उल्लेख नहीं मिलता.

दशकों से उठ रही कानून बनाने की मांग

बड़ी बात ये है कि देश में इसे लेकर कोई कानून नहीं है, लेकिन कानून बनाने को लेकर मांग कई दशकों से उठती रही है. जब भारत में अंग्रेजी सरकार का शासन था, तब कई रजवाड़ों ने धर्म परिवर्तन को लेकर सख्त कानून बना दिए थे, इनमें कोटा, बीकानेर, जोधपुर, रायगढ़, उदयपुर और कालाहांडी राजवाड़ा प्रमुख हैं. हालांकि ब्रिटिश सरकार ने इन कानूनों को कभी नहीं माना.

हालांकि आजादी के बाद वर्ष 1954 में पहली बार धर्म परिवर्तन से संबंधित बिल देश की संसद में पेश किया गया. इसके तहत ये प्रस्ताव रखा गया था कि धर्म परिवर्तन कराने वाली संस्थाओं को इसके लिए भारत सरकार से मंजूरी लेनी होगी और जिला स्तर पर भी अधिकारियों को जानकारी देनी होगी लेकिन ये बिल पास नहीं हो पाया. 

इसके 6 वर्ष बाद वर्ष 1960 में भी एक ऐसा ही बिल आया लेकिन ये बिल भी पास नहीं हो पाया और फिर वर्ष 1997 में भी इसे लेकर कानून बनाने की कोशिश हुई, लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिली.

वर्ष 2015 में संसद में एक बहस के दौरान कानून मंत्रालय ने कहा कि जबरन और धोखाधड़ी से कराए गए धर्म परिवर्तन के मामलों में कोई कानून बनाना संभव नहीं है क्योंकि, कानून व्यवस्था राज्यों का मामला है. यानी केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि इसे लेकर राज्य चाहें तो अपना कानून बना सकते हैं.

इस समय देश में कुल 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं, लेकिन इसे लेकर कानून सिर्फ 8 राज्यों में है और शायद यही वजह है कि ऐसे लोग धर्म परिवर्तन की अपनी दुकानें खुलेआम चलाते हैं. 

धर्म परिवर्तन को लेकर कोई आंकड़ा मौजूद नहीं

आज आपको ये जानकर भी आश्चर्य होगा कि हमारे देश में धर्म परिवर्तन को लेकर राष्ट्रीय कानून नहीं होने की वजह से इसे लेकर कोई आंकड़ा भी मौजूद नहीं है. लेकिन कुछ राज्यों में इसे लेकर अब जानकारियां जुटाई जा रही हैं.

उदाहरण के लिए वर्ष 2019 में गुजरात सरकार ने बताया कि पिछले पांच वर्षों में 1 हजार 895 लोगों ने धर्म परिवर्तन के लिए अनुमति मांगी थी.

ये उन लोगों का आंकड़ा है, जो सरकार के पास पहुंचे, जिन लोगों का लालच देकर धर्म बदला गया या जबरन धर्म परिवर्तन करवाया गया, उनकी कोई संख्या देश में इस समय मौजूद नहीं है और ये एक डराने वाली बात है.

वर्ष 2012 में केरल सरकार ने बताया था कि 2006 से 2012 के बीच में वहां 7 हजार 713 लोगों ने अपना धर्म छोड़ कर इस्लाम धर्म को अपना लिया, जिसमें 2 हजार 667 केवल महिलाएं थीं और इनकी उम्र भी 40 वर्ष से कम थी. 

सोचिए ये बात लगभग 10 साल पुरानी है और अब वहां क्या स्थिति होगी.

ऐसा नहीं है कि धर्म परिवर्तन का ये मुद्दा पहली बार सुर्खियों में आया है. भारत में धर्म परिवर्तन का इतिहास बहुत पुराना है.

वर्ष 1930 में राजवाड़ों को धर्म परिवर्तन को लेकर इसलिए कानून बनाना पड़ा था क्योंकि, ईसाई मिशनरी भारत में बड़े पैमाने पर हिंदुओं को ईसाई धर्म अपनाने के लिए काम कर रही थीं और इतिहास में और भी पीछे जाएं तो ऐसी घटनाएं मिलती हैं. 19 जनवरी वर्ष 1790 में टीपू सुल्तान ने अपने एक खत में लिखा था कि उन्होंने मालाबार में चार लाख हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करा कर उन्हें मुस्लिम बना दिया है. एक और खत में टीपू सुल्तान लिखते था कि कालीकट प्रदेश के सभी हिंदुओं का उन्होंने धर्म परिवर्तन करा दिया है और अब सभी इस्लाम को मानने वाले लोग बचे हैं.

मुगलों के समय में भी ऐसे उदाहरण सामने आते हैं. मुगल शासक अकबर ने अपने एक आदेश में कहा था कि जिन लोगों का जबरन धर्म परिवर्तन हुआ है, ऐसे लोग वापस अपने पुराने धर्म में लौट सकते हैं. इस बात ये ही आप समझ सकते हैं कि उस समय भी हिंदुओं का धर्म जबरन बदला जाता था.

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने एक बार कहा था कि मेरे पास कानून बनाने की शक्ति होती तो मैं निश्चित तौर पर धर्म परिवर्तन की सारी गतिविधियों पर रोक लगा देता. यानी महात्मा गांधी लालच देकर और जबरन तरीके से कराए गए धर्म परिवर्तन के खिलाफ थे.

भारत में आक्रामक धर्म परिवर्तन की परंपरा नहीं 

भारत में कभी भी आक्रामक धर्म परिवर्तन की परंपरा नहीं थी. हिंदू धर्म में मान्यता है कि ईश्वर तक पहुंचने के अनेकों रास्ते हैं और हर व्यक्ति अपने मुताबिक मोक्ष का रास्ता ढूंढ सकता है. सम्राट अशोक ने भी अपने लौह स्तंभ में धार्मिक सद्भाव का परिचय दिया था और मध्य युग में कबीर और गुरु नानक देवजी ने भी धार्मिक सद्भाव का संदेश लोगों को दिया था.

गुरु नानक देवजी के जीवन से संबंधित जन्म साखी में उल्लेख मिलता है कि एक बार मर्दाना ने उनके धर्म के बारे में उनसे पूछा ताकि वो भी उस धर्म को अपना सकें, तब गुरु नानक ने उनसे कहा कि वो एक मुसलमान हैं, तो उन्हें अच्छा मुसलमान बनने की कोशिश करनी चाहिए और एक हिंदू हैं तो अच्छा हिंदू बनने की कोशिश करनी चाहिए न कि धर्म को बदलना चाहिए.

लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि उनका धर्म ही एक मात्रा सत्य और बाकी सब धर्म अंधविश्वास है, यही वो भावना है, जिससे समाज में द्वेष की भावना जन्म लेती है.

2011 की जनगणना के मुताबिक भारत में हिंदू 79.8 प्रतिशत हैं और मुस्लिम 14.2 प्रतिशत हैं.

यहां हम आपको एक महत्वपूर्ण बात ये बता दें कि जिस पुजारी पर हमले की कोशिश के लिए ये लोग मंदिर में गए थे, उन पर कुछ समय पहले मंदिर में दो मुस्लिम लड़कों के पानी पीने पर विवाद हुआ था और उन पर मारपीट के आरोप लगे थे.

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