DNA ANALYSIS: Cyclone Nivar के संकट के बीच जानिए चक्रवाती तूफानों के नामकरण की परंपरा कैसे पड़ी?
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DNA ANALYSIS: Cyclone Nivar के संकट के बीच जानिए चक्रवाती तूफानों के नामकरण की परंपरा कैसे पड़ी?

तमिलनाडु (Tamilnadu) में NDRF की 19 टीमें मौजूद हैं. इसके अलावा पुडुचेरी, आंध्र प्रदेश और केरल में भी इस तूफान की वजह से अलर्ट जारी किया गया है. लगातार बारिश से सबसे ज़्यादा प्रभावित चेन्नई, महाबलीपुरम और कांचीपुरम हैं.

DNA ANALYSIS: Cyclone Nivar के संकट के बीच जानिए चक्रवाती तूफानों के नामकरण की परंपरा कैसे पड़ी?

नई दिल्ली:  भयंकर चक्रवाती तूफान निवार (Nivar) की वजह से तमिलनाडु में तबाही की आशंका है. इस तूफान को देखते हुए आंध्र प्रदेश, पुडुचेरी, ओडिशा और केरल में भी हाई अलर्ट है. तूफान निवार (Nivar) तमिलनाडु के समुद्री तट से कल रात टकराया. तूफान के टकराने से पहले ही तमिलनाडु के कई जिलों में भारी बारिश हो रही थी.

भारतीय मौसम विभाग (Indian Meteorological Department) ने बुधवार को कहा कि भयंकर चक्रवाती तूफान 'निवार' (Cyclone Nivar) के समुद्र तट से टकराने की प्रक्रिया शुरू हो गई है और यह जल्द ही तट को पार कर जाएगा.

तमिलनाडु में NDRF की 19 टीमें मौजूद हैं. इसके अलावा पुडुचेरी, आंध्र प्रदेश और केरल में भी इस तूफान की वजह से अलर्ट जारी किया गया है. लगातार बारिश से सबसे ज़्यादा प्रभावित चेन्नई, महाबलीपुरम और कांचीपुरम हैं. अगर आप इनमें से किसी राज्य में जाने की योजना बना रहे थे तो अभी आपको इन इलाकों में जाने से बचना चाहिए.

इसके अलावा भारी बारिश की वजह से दक्षिण भारत के कई शहरों में बाढ़ की आशंका जताई गई है.

समुद्र तटों के पास रहने वाले लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचा दिया गया है. अकेले तमिलनाड़ु में ही अब तक एक लाख से ज़्यादा लोगों को राहत शिविरों में पहुंचाया गया है.

चेन्नई में भी लोगों को घर से बाहर ना निकलने की सलाह दी गई है और छुट्टी घोषित कर दी गई है.

निवार इस साल उत्तरी हिंद महासागर से उठने वाला चौथा तूफान
निवार इस साल उत्तरी हिंद महासागर से उठने वाला चौथा तूफान है और इसे ये नाम ईरान ने दिया है. पारसी भाषा में इसका अर्थ रोशनी होता है. लेकिन आधी रात को आने वाले इस तूफान के बारे में आशंका है कि ये तबाही वाला अंधकार भी ला सकता है.

चक्रवाती तूफानों के नामकरण की परंपरा
अब अगर आप ये सोच रहे हैं कि किसी तूफान का नाम इतना सुंदर कैसे हो सकता है  तो इस सवाल का जवाब जानने के लिए आपको चक्रवाती तूफानों के नामकरण की परंपरा और नियम को समझना होगा.

दरअसल, समुद्री तूफानों को नाम देने की शुरुआत, सबसे पहले अटलांटिक सागर के आसपास के देशों ने वर्ष 1953 में की थी. लेकिन बाद में सिस्टम बनाया गया कि तूफान जिस क्षेत्र में उठ रहा है. उसके आसपास के देश ही उसे नाम देंगे.

भारत की पहल पर वर्ष 2004 में, आठ देशों ने अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में आने वाले समुद्री तूफानों के नाम रखने का सिलसिला शुरू किया.

इन आठ देशों में भारत के अलावा बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, थाइलैंड और श्रीलंका शामिल थे.

वर्ष 2018 में इस लिस्ट में ईरान, क़तर, सउदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन को भी जोड़ा गया.

इन 13 देशों की तरफ से सुझाए गए नामों के पहले अक्षर के अनुसार उनका क्रम तय किया जाता है और उसी क्रम के अनुसार चक्रवाती तूफानों के नाम रखे जाते हैं. इन सभी देशों ने तूफानों के नाम की जो लिस्ट दी है, उसमें भारत ने अग्नि, बिजली, मेघ, सागर और आकाश जैसे नाम दिए हैं.

इस बार ईरान की तरफ से भेजे गए नाम को चुना जाना था
इस बार ईरान की तरफ से भेजे गए तूफान का नाम चुना जाना था, इसलिए भारत में आए इस तूफान को निवार नाम दिया गया है.

कई लोग ये भी सोच रहे होंगे कि आख़िर चक्रवाती तूफानों को नाम देने की ज़रूरत ही क्या है. लेकिन तूफानों के नामकरण के पीछे सोच ये है कि नाम की वजह से लोग चेतावनी को ज़्यादा गंभीरता से लेते हैं. तूफान से निपटने की तैयारी में भी मदद मिलती है. मीडिया को रिपोर्ट करने में भी आसानी होती है. लेकिन तूफानों के नाम रखने की कुछ शर्तें भी हैं जैसे कि नाम छोटा और सरल होना चाहिए, जिसे लोग आसानी से बोल और समझ सकें. और कोई भी नाम, सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से संवेदनशील नहीं होना चाहिए.

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