चीन में कोरोना वायरस का पहला मामला दिसंबर 2019 में सामने आया था और वहां संक्रमित मरीजों की संख्या करीब 84 हजार है. जबकि भारत में इस समय चीन से लगभग दोगुने मामले हैं.
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नई दिल्ली: आपने भी हालही में भूकंप के झटके महसूस किए होंगे. भूकंप के ये झटके दिल्ली और आस पास के शहरों में महसूस किए गए हैं. ये भूकंप काफी तेज था और जब मैं स्टूडियों में DNA की तैयारी कर रहा था तब मैंने और मेरी टीम ने भूकंप के इन झटकों को महसूस किया. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.6 बताई जा रही है और इसका केंद्र हरियाणा का रोहतक बताया जा रहा है.
आपने गौर किया होगा कि पिछले एक महीने से लगातार दिल्ली और आस पास के शहरों में भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं. इससे पहले 11 और 12 अप्रैल और इस महीने 10 मई को भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. हैरानी की बात ये है कि इनमें से ज्यादातर भूकंपों का केंद्र दिल्ली या उसके आस पास के शहर में ही था. इससे पहले जब भूकंप आते थे तो उनमें से ज्यादातर का केंद्र अफगानिस्तान या हिमालय जैसे क्षेत्रों में हुआ करता था.
वैज्ञानिकों का कहना है कि दिल्ली और आसपास के शहर एक Fault Line पर बसे हैं. Fault Line वो जगह होती है जहां पृथ्वी के नीचे Tectonic Plates आपस में टकराती हैं. दिल्ली सिस्मिक जोन 4 में आती है.
भारत इस समय लॉकडाउन के चौथे चरण में है. ये लॉकडाउन 31 मई को समाप्त हो रहा है और इस बात की पूरी संभावना है कि जल्द ही सरकार ज्यादा रियायतों के साथ पांचवे लॉकडाउन का ऐलान कर देगी.
पांचवे लॉकडाउन में आपको क्या-क्या रियायतें मिल सकती हैं, इसके बारे में हम आपको बताएंगे, लेकिन फिलहाल ये जान लीजिए कि कोरोना वायरस को लेकर अभी भारत की स्थिति क्या है. कोरोना वायरस से होने वाली मौतों के मामले में भारत चीन से आगे निकल गया है. भारत में कोरोना वायरस से मरने वालों का आंकड़ा 4 हजार 700 से ज्यादा हो चुका है. जबकि चीन में इस वायरस से अब तक कुल 4 हजार 634 मौतें हुईं है. भारत में पिछले 24 घंटे में 175 मौत हुई हैं और कोरोना वायरस के करीब साढ़े 7 हजार नए मामले सामने आए हैं. ये भारत में 24 घंटों का अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है.
चीन में कोरोना वायरस का पहला मामला दिसंबर 2019 में सामने आया था और वहां संक्रमित मरीजों की संख्या करीब 84 हजार है. जबकि भारत में इस समय चीन से लगभग दोगुने मामले हैं. भारत में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या लगभग 1 लाख 68 हजार हो चुकी है.
इस मामले में भारत के लिए अच्छी खबर सिर्फ यही है कि भारत में कोरोना वायरस के मरीजों का रिकवरी रेट 42.88 प्रतिशत है. भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित 70 हजार से ज्यादा लोग पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं.
भारत में चार राज्यों की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है. पहले नंबर पर महाराष्ट्र है जहां 60 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. इसके बाद तमिलनाडु का नंबर आता है, जहां कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या 20 हजार से ज्यादा है. तीसरे नंबर पर गुजरात है जहां 15 हजार से ज्यादा लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. चौथे नंबर पर दिल्ली है जहां 16 हजार से ज्यादा लोगों को संक्रमण हो चुका है.
संक्रमित लोगों की संख्या के मामले में भारत अब दुनिया में 9वें नंबर पर है. भारत में अगर कोरोना वायरस के मामले इसी रफ्तार से बढ़ते रहे तो आने वाले तीन से चार दिनों में भारत सिर्फ अमेरिका, ब्राज़ील, रसिया, ब्रिटेन, स्पेन और इटली से पीछे रह जाएगा.
हैरानी की बात ये है कि कल भारत में कोरोना वायरस के नए मामलों का रिकॉर्ड टूटा तो चीन में कल कोरोना वायरस का एक भी नया मामला सामने नहीं आया.
अब वैज्ञानिकों और डॉक्टरों में इस बात की बहस छिड़ी है कि भारत में कोरोना वायरस का पीक कब आएगा? किसी भी संक्रमण का पीक तब आता है जब संक्रमण के मामले उच्चतम स्तर पर पहुंच जाते हैं और इसके बाद संक्रमण की रफ्तार कम होने लगती हैं.
कुछ वैज्ञानिकों का अंदाजा है कि भारत में कोरोना वायरस का पीक जुलाई महीने की शुरुआत में आ जाएगा. जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि भारत में जुलाई के आखिर में कोरोना वायरस के मामले कम होना शुरु होंगे.
लेकिन अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी Standard and Poor’s का मानना है कि भारत में कोरोना वायरस का पीक सितंबर से पहले नहीं आएगा और इस वजह से भारत की अर्थव्यस्था में अगले वर्ष भी 5 प्रतिशत की कमी आएगी. यानी स्वास्थ्य और अर्थव्यस्था के नजरिए से अभी भारत के लोगों को लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए.
National Institute of Mental Health & Neuro Sciences के डॉक्टरों का मानना है कि चौथे लॉकडाउन के बाद संक्रमण के मामले और तेजी से बढ़ेंगे और भारत कम्यूनिटी ट्रांशमिशन यानी सामुदायिक संक्रमण के दौर में चला जाएगा. इस संस्थान का तो ये भी आंकलन है कि इस साल दिसंबर तक भारत की आधी आबादी कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुकी होगी. यानी करीब 67 करोड़ भारतीयों को साल के अंत तक कोरोना वायरस का संक्रमण हो चुका होगा.
हालांकि अच्छी बात ये होगी कि इनमें से 90 प्रतिशत लोगों को ये पता भी नहीं चलगा कि उन्हें कोरोना वायरस का संक्रमण हो चुका है. क्योंकि ज्यादातर लोगों में इस वायरस के लक्षण दिखाई ही नहीं देते और सिर्फ 5 प्रतिशत लोगों को ही गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती कराया जाता है.
लेकिन अगर भारत में 67 करोड़ लोगों में से 5 प्रतिशत भी गंभीर रूप से बीमार पड़ गए तो ये आंकड़ा 3 करोड़ 35 लाख होगा, और अगर इन सब लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराना पड़ा तो क्या भारत की स्वास्थ्य सुविधाएं इसके लिए तैयार हैं ?
भारत में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए फिलहाल 1 लाख तीस हजार हॉस्पिटल बेड्स उपलब्ध हैं. लेकिन आने वाले दिनों में जैसे-जैसे गंभीर रूप से बीमार मरीजों की संख्या बढ़ेगी अस्पताल के बिस्तर कम पड़ने लगेंगे और कई राज्यों में तो ऐसा होना शुरू भी हो गया है.
देखें DNA-
ग्रामीण भारत में तो स्थिति और खराब है. मार्च 2019 तक के आंकड़ों के मुताबिक भारत के ग्रामीण इलाकों में सिर्फ 16 हजार 613 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं. इनमें से सिर्फ 6 हजार 733 स्वास्थ्य केंद्र ऐसे हैं जिनका संचालन दिन रात यानी 24 घंटे होता है. इनमें से सिर्फ 12 हजार 760 स्वास्थ्य केंद्र ऐसे हैं जहां 4 या उससे ज्यादा बेड्स उपलब्ध हैं. ग्रामीण भारत के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की हालत तो और गंभीर है. ग्रामीण भारत में सिर्फ 5 हजार 335 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं.
16 मई तक के आंकड़ों के मुताबिक भारत में कोरोना वायरस के कुल मामलों में ग्रामीण जिलों की हिस्सेदारी 21 प्रतिशत है. अगर इसी आंकड़े को भविष्य का आधार मान लिया जाए तो भविष्य में जिन साढ़े तीन करोड़ लोगों के गंभीर रूप से बीमार होने की आशंका है उनमें से करीब 70 लाख लोग ग्रामीण भारत से होंगे. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आने वाले दिनों में कैसे ग्रामीण भारत कोरोना वायरस का नया हॉट स्पॉट बन सकता है और कैसे स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव लाखों लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है.