DNA Analysis: असम की भीषण बाढ़ में जिंदगी बचाने को जूझ रहे लाखों लोग, फिर भी मेनस्ट्रीम चैनलों के लिए क्यों नहीं बन पाई मुद्दा?
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DNA Analysis: असम की भीषण बाढ़ में जिंदगी बचाने को जूझ रहे लाखों लोग, फिर भी मेनस्ट्रीम चैनलों के लिए क्यों नहीं बन पाई मुद्दा?

DNA on Assam Flood Latest Updates: असम में आई हुई विनाशकारी बाढ़ (Assam Flood) में करीब 30 लाख लोग अपनी जिंदगी बचाने के लिए जूझ रहे हैं. इसके बावजूद देश की मेनस्ट्रीम मीडिया खासकर चैनल्स में इस बाढ़ की कहीं खास कवरेज नहीं दिख रही. आखिर इसकी वजह क्या है. 

DNA Analysis: असम की भीषण बाढ़ में जिंदगी बचाने को जूझ रहे लाखों लोग, फिर भी मेनस्ट्रीम चैनलों के लिए क्यों नहीं बन पाई मुद्दा?

DNA on Assam Flood Latest Updates: महाराष्ट्र में चल रहे सियासी हंगामे पर मीडिया की लगातार सुर्खियां बन रही हैं लेकिन असम में आई हुई विनाशकारी बाढ़ (Assam Flood) को हमारे देश के न्यूज़ चैनलों पर थोड़ी सी भी जगह नहीं मिली. असम में बाढ़ से मरने वालों का आकंड़ा 100 से बढ़ कर अब 126 हो गया है. दुखद ये है कि हमारे देश का मीडिया अब भी शिवसेना विधायकों की बगावत की खबर से आगे नहीं बढ़ पाया है.

असम की बाढ़ में अब तक 126 मरे

उत्तर पूर्व भारत के राज्यों में हर साल बाढ़ (Assam Flood) आती है और हर साल इस बाढ़ में सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा देते हैं और लाखों लोग प्रभावित होते हैं. इस बार भी स्थिति काफी खराब है. असम में बाढ़ (Assam Flood) से अब तक 126 लोगों की मौत हो चुकी है और 55 लाख लोग इससे सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं. इसके अलावा राज्य के 35 में से 33 जिलों में बाढ़ की वजह से पलायन भी हुआ है.

असम की सरकार ने एक हजार से ज़्यादा राहत शिविरों की व्यवस्था की है, जहां अब तक ढाई लाख से ज्यादा लोग शरण ले चुके हैं. असम के सिलचर शहर में तो हालात काफी खराब हैं. इस शहर में अब तक हजारों मकान और कई हेक्टेयर क्षेत्र में फैली फसल बर्बाद हो चुकी है.

मेनस्ट्रीम मीडिया से क्यों गायब है असम की बाढ़?

इसके बावजूद असम का सिलचर शहर Mainstream Media से पूरी तरह गायब है. ये हमारे लोकतंत्र का कड़वा सच ही है कि यहां लोगों के वोट से विधायक बनने वाले नेताओं की व्यथा को तो सुना जाता है. लेकिन लोगों की व्यथा सुनने वाला हमारे देश में कोई नहीं है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि हमारे देश में बाढ़ कभी बड़ी ख़बर बन ही नहीं पाती. हमारे देश में बिजली, पानी, सड़क, अस्पताल और स्कूल जैसे मुद्दों को लेकर कभी कोई विरोध प्रदर्शन नहीं होता.

इसीलिए हम लगातार असम में आई बाढ़ (Assam Flood) की तरफ आपका ध्यान खींच रहे हैं. हम आपको बता रहे हैं कि गुवाहाटी में जहां शिवसेना के बागी विधायकों पर हर रोज़ लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं, वहां से कुछ ही दूरी पर बाढ़ में फंसे असम के लोगों को जिंदा रहने के लिए कितना संघर्ष करना पड़ रहा है.

बाढ़ के सामने लाखों लोग हो गए हैं बेबस

किसी भी राज्य में सरकार का गठन लोगों की सेवा के लिए होता है. दुर्भाग्य है कि हमारे देश में सरकारें लोगों के वोट हासिल करने के बाद उन्हें भूल जाती हैं और फिर एक ऐसी व्यवस्था तैयार की जाती है, जिसमें आम नागरिकों के लिए ज़्यादा कुछ नहीं होता.

आज एक तरफ़ असम में आई प्राकृतिक आपदा (Assam Flood) है, जिसने लाखों लोगों को बेबस कर दिया है. दूसरी तरफ़ महाराष्ट्र में आई राजनीतिक आपदा है, जिसने एक परिवार को बेबस कर दिया है. अब ये आपको तय करना है कि आपके लिए एक परिवार की राजनीतिक बेबसी बड़ी खबर है या बाढ़ में फंसे लाखों लोग की बेबसी आपके लिए बड़ी खबर है.

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